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पैसे बचाने के आसान तरीके ढूंढने के लिए हम महिलाओं के जुगाड़ विश्वविख्यात हैं और बात जब घर खर्च से पैसे बचाने की हो तो उनका कोई मुकाबला नहीं।
डिस्क्लेमर : लेख में दिए गए निवेश के ऑप्शंस सिर्फ़ एक सुझाव हैं। निवेश में होने वाले फ़ायदे या नुक़सान की सभी जिम्मेदारी पाठकों की है, विमेंस वेब और लेखिका की नहीं।
भारतीय महिलाएं अपने जुगाड़ के लिए विश्वविख्यात हैं और बात जब घर खर्च से पैसे बचाने की हो तो उनका कोई मुकाबला ही नहीं। घर का बजट कितना भी टाइट क्यों ना हो, कहीं किचेन के डब्बों में, पुराने पर्स में, कपड़ों के पीछे या बक्से के अख़बार के नीचे… कुछ नोट छुपे रखे ही होते हैं। नोटबंदी (डेमॉनेटाइज़ेशन) का वक़्त हम सब भूले नहीं है जब महिलायें अपनी पाई-पाई जोड़ कर बचाई पूंजी बैंकों में जमा करने के लिए लाइन में खड़ी थीं। आपने भी अपने घर-परिवार में माँ-दादी-नानी के छुपे ख़ज़ाने के बारे में सुना होगा।
चाहे आप की स्वयं की आमदनी है या आपके पति ही पैसे कमाते हैं, बचत करने की ज़िम्मेदारी काफ़ी हद तक आपकी ही होती है। पर दादी-नानी की इस बचत का राज़ क्या है? महिलाएं आख़िर बचत करती कैसे हैं? क्या घर में कैश पैसा रखने में समझदारी है या अपनी बचत के पैसे को कहीं निवेश कर देना चाहिए?
सबसे पहले तो अपने आप को बचत करने के लिए प्रेरित करने के लिए गोल बनाएं। गोल लॉन्ग टर्म भी हो सकता है और शार्ट टर्म भी। जैसे सालाना छुट्टी में ट्रिप पर जाना, बच्चों की हायर एजुकेशन, कार या घर खरीदना, कोई गैजेट या एप्लायंस खरीदना, परिवारजनों के लिए बर्थडे या एनिवर्सरी गिफ़्ट या अपनी निजी ज़रुरत की कोई चीज़ खरीदना। किस चीज़ के लिए कितने पैसे की बचत करनी होगी ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप उसे कितनी अवधि के बाद खरीदना चाहती हैं।
अब आप अपने मासिक आय-व्यय का ब्यौरा बनायें। राशन, सब्ज़ी-फल-दूध, बच्चे (अगर हैं और स्कूल जाते हैं) की स्कूल-ट्यूशन-एक्टिविटी फीस, मेडिकल खर्च और इंश्योरेंस प्रीमियम, मकान का किराया, बिजली-पानी का बिल, मकान-कार-बाइक आदि की ईएम्आइ, हाउस हेल्प की सैलरी, पेट्रोल खर्च, रेस्ट्रां में खाना या डेलिवर करवाना, मूवी देखना, कपड़े-जूते इत्यादि खरीदना, ब्रॉडबैंड और फ़ोन बिल, और इसके अलावा जो भी कोई ख़र्च करती हैं, उनके लिए कॉलम बना कर व्यय करने वाला अमाउंट लिखें।
कुछ ख़र्च ऐसे होते हैं जो हर महीने नहीं, साल में दो-तीन बार होते हैं, जैसे त्यौहार, कपड़ों की ड्राई क्लीनिंग, गैजेट्स और एप्लायंसेज की एऍमसी आदि, पर इनके लिए भी बजट में जगह बनानी ज़रूरी है। मेहमान, बीमारी, घरेलू सामान की टूट-फूट भी आपके बजट को हिला देते हैं तो कुछ पैसा इन अप्रत्याशित खर्चों के लिए भी अलग रखना ज़रूरी है।
दो-तीन महीने तक ये सब नोट करने पर आप समझ पाएंगी कि किस चीज़ पर आपका औसत ख़र्च कितना है।
यदि आप अपने सभी ख़र्चे अपनी आय के अंदर कर पा रही हैं तो बहुत अच्छा है पर अगर आपको लगता है कि आपके मासिक व्यय आपकी आय से ज्यादा हैं तो आपको अपने ज़रूरी और ग़ैर-ज़रूरी खर्चों में सामंजस्य करने की ज़रुरत है।
अपना मासिक बजट बनाने के बाद देखिये कि आप के पास कितने पैसे बच रहे हैं। इन पैसों को आप महीने की शुरुआत में ही अलग कर के रख दें ताकि आप के पास ज़रुरत से ज़्यादा खर्च करने की गुंजायश ही ना रहे। हर चीज़ के लिए नियत पैसे अलग-अलग लिफ़ाफ़े में डाल कर रखना भी अच्छा रहता है, जैसे राशन-सब्ज़ी-फल के लिए एक लिफ़ाफ़े में, दूध के लिए दूसरे लिफ़ाफ़े में, पेट्रोल-बस-मेट्रो आदि का तीसरे में। इस तरीक़े से आप का व्यय कंट्रोल में रहेगा।
कुछ छोटे-छोटे उपाय कर के आप और पैसे बचा सकती हैं। पर इसके लिए आप को अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं में अंतर समझना होगा। ये थोड़ा मुश्किल होगा पर अपने परिवार को इन निर्णयों में शामिल कर के आप ग़ैर ज़रूरी खर्चों पर अंकुश लगा सकती हैं। हर त्यौहार पर नए कपड़े या हर हफ़्ते रेस्ट्रां में डिनर ज़रूरी नहीं और ना ही हर डिस्काउंट सेल में शॉपिंग करना। और क्योंकि आप के पड़ोसी या रिश्तेदार ने दीवाली पर नया टीवी खरीदा है तो आप भी खरीदें, ऐसा किसी पंडित ने तो कहा नहीं।
फ़िल्म घर पर देखना थिएटर में देखने से सस्ता पड़ता है पर अगर आप थिएटर में देखना ही चाहती हैं तो वीकएंड पर देखने की बजाय हफ़्ते के बीच में देखें जब टिकट के दाम कम होते हैं। मोबाइल फ़ोन कनेक्शन को पोस्ट पेड से प्री-पेड में बदल दें, फ़ोन कॉल्स व्हाट्सएप्प से करें। इस से आप के फ़ोन कॉल्स और बिल को कम करने में मदद मिलेगी।
ये पैसे बचाने के आसान तरीके में से एक है क्योंकि जब आप को अपने हाथ से पैसे नहीं देने होते तो आप थोड़ा असावधान हो जाते हैं। कैश पैसे देने से आप अपने ख़र्च का हिसाब बेहतर तरीके से रख पाएंगी ।
दुकान या स्टोर में बहुत सारी चीज़ें शेल्फ़ में रखी देख कर आपका मन आकर्षित हो जाता है। इसलिए घर से निकलने से पहले ज़रूरी सामान की लिस्ट बनायें, इस से आपका समय भी बचेगा और बेवज़ह बिना ज़रुरत की चीज़ें भी नहीं खरीदी जाएँगी।
ई-कॉमर्स वेबसाइट से सामान खरीदते समय भी ध्यान रखें कि सेल सारे साल चलती रहती हैं, जब ज़रुरत हो तभी कपड़े आदि खरीदें। हाँ, ग्रॉसरी के सामान पर कई बार अच्छे ऑफर्स होते हैं तब महीने भर का (या ज्यादा) राशन मंगवा कर रख लें। लेकिन तब भी संयम बनाये रखें, बिना ज़रुरत की चीज़ें ‘डिस्काउंट ऑफर मिल रहा है’, ये सोच कर ना खरीद लें। कई बार खाने-पीने की चीज़ें इस्तेमाल नहीं होती और पुरानी हो जाने पर फेंकनी पड़ती हैं।
कोई भी बड़ा सामान जैसे फ़ूड प्रॉसेसर, एयर कंडीशनर, फ्रिज आदि खरीदने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करें। विभिन्न कंपनियों और मॉडल्स के फ़ीचर्स और क़ीमत की तुलना करे बिना ना खरीदें। बीईई (ब्यूरो ऑफ़ एनर्जी एफिशिएंसी) के द्वारा 4 या 5-स्टार सर्टिफाइड अप्प्लायन्सेस खरीदने पर आपके बिजली ख़र्च में कमी आएगी। इसके अलावा ऑनलाइन स्टोर और शोरूम की कीमतों में काफी फ़र्क़ होता है, इसे ध्यान में रखकर ही निर्णय लें।
बिजली-पानी-गैस के इस्तेमाल में किफ़ायत बरतनी चाहिए, यह तो हम सभी को मालूम है। कोशिश करें कि कूलर-ए सी-हीटर चलते वक़्त सारा परिवार उसी कमरे में बैठ जाये। सारा दिन गीज़र चलता ना छोड़ें। सभी लोग खाना-नाश्ता एक साथ खा लें तो बार-बार गर्म नहीं करना पड़ेगा, इस से गैस कम लगेगी।
शादी-विवाह के अवसर पर ही नहीं, बहुत सारी महिलाओं को वैसे भी नए-नए सोने के ज़ेवर ख़रीदने का शौक़ होता है, ख़ास तौर पर तीज-त्यौहार के मौके पर। अग़र नया नहीं ख़रीद सकती, या किसी गहने से बोर हो गयी तो वे पुराने ज़ेवर को बदल कर और कुछ पैसे डाल कर नए गहने ले ही लेती हैं। पर क्या आपने ध्यान दिया है कि पुराने गहने देने पर सुनार उस सोने की कीमत में से 20-25% काट लेता है? यानि कि अगर आप 4-5 बार अपने ज़ेवर बदलती हैं तो आपके सोने की क़ीमत जीरो हो जाती है। तो सोने की खरीदारी में भी समझदारी की ज़रूरत है।
तो चलिए अब ‘पैसे बचाने के आसान तरीके’ से आप के पास कुछ बचत और कुछ जमा पूँजी है, पर आप इसका क्या करेंगी? बैंक अकाउंट में जमा करेंगी, किटी या कमेटी डालेंगी या कैश घर में ही रख लेंगी?
कोरोना की वजह से आजकल अर्थ व्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और ज़्यादातर सेविंग बैंक अकाउंट पर इंटरेस्ट रेट और सेविंग प्लान्स में रिटर्न काफ़ी गिर चुके हैं फिर भी निवेश के कुछ ऑप्शन्स अभी भी अच्छे हैं। पर निवेश करने का पहला नियम याद रखिये कि अपना सारा पैसा किसी भी एक योजना में ना लगाएं, निवेश हमेशा अलग-अलग योजनाओं में होना चाहिए।
यदि आप अपना पैसा बैंक में जमा करना पसंद करती हैं तो सेविंग बैंक अकाउंट की बजाय फिक्स डिपॉज़िट करना बेहतर होगा क्योंकि उसमें इंटरेस्ट रेट ज्यादा मिलता है। फिक्स डिपॉज़िट की अवधि आप अपनी ज़रुरत के अनुसार तय कर सकती हैं पर लम्बी अवधि के लिए पैसा जमा करने पर इंटरेस्ट ज्यादा मिलता है। यदि सीनियर सिटीजन्स के नाम पर खाता खोला जाए तो उस पर इंटरेस्ट रेट और ज़्यादा मिल सकता है।
छोटी बचत के लिए रेकरिंग डिपॉज़िट भी एक अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इसमें भी इंटरेस्ट रेट सेविंग बैंक अकाउंट से ज्यादा मिलता है । इसमें आप को हर महीने एक नियत धनराशि जमा करनी होती है। अगर आप फ़िक्स डिपाजिट से मिलने वाले इंटरेस्ट को ही रेकरिंग डिपाजिट में जमा करें तो आपका रिटर्न बढ़ जायेगा।
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट भी एक सरकारी स्कीम है और गारंटीड रिटर्न देती है। इस में भी 100 रुपए से निवेश की शुरुआत की जा सकती है। इस स्कीम का लॉक-इन अवधि 5 साल और 10 साल है और इंटरेस्ट रेट (जुलाई 2020 की अधिसूचना अनुसार) 6.8% है।
पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम भी एक बेहतरीन ऑप्शन है। इसमें हर वर्ष कम से कम 1500 रुपए जमा करने होते हैं और आपके निवेश के ऊपर मिलने वाला इंटरेस्ट हर महीने आपके खाते में जमा हो जाता है। यह स्कीम ग्रामीण इलाकों में बहुत प्रचलित है।
अग़र आपकी बेटी है (10 वर्ष से काम आयु की) तो आप सुकन्या समृद्धि योजना में भी निवेश कर सकती हैं। इसे आप सिर्फ़ 250 रुपये शुरू कर सकती हैं और इस में हर साल 1. 5 लाख तक की जमा राशि पर टैक्स में छूट भी मिलती है। और तो और इस योजना में मिलने वाले इंटरेस्ट और मैच्योरिटी पर मिलने वाली कुल धनराशि पर भी कोई टैक्स नहीं लगता।
बैंक या पोस्ट ऑफिस में पी पी एफ़ अकाउंट खोल कर उसमें पैसे जमा कीजिये। इसमें भी इंटरेस्ट रेट ऍफ़डी से भी ज्यादा है और 1. 5 लाख तक की जमा धनराशि पर टैक्स में छूट है। इस अकाउंट से आप तीन साल बाद कुछ पैसा लोन ले सकती हैं और सातवें साल से आप हर साल कुछ पैसा अपनी ज़रूरतों के लिए निकाल भी सकती हैं। 15 साल बाद यह अकाउंट मैच्योर हो जाता है पर यदि आप चाहें तो इसे 10 साल तक बढ़वा भी सकती हैं।
इन योजनाओं के अलावा आप म्यूच्यूअल फंड और शेयर मार्केट में भी निवेश कर सकती हैं पर ऐसा करने से पहले सारी ज़रूरी सावधानियों की जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए । बेहतर तो यही होगा कि ऐसे निवेश किसी एक्सपर्ट निवेशक की देखरेख में ही किये जाएँ क्योंकि म्यूच्यूअल फंड और शेयर्स की क़ीमत बाज़ार में रोज़ाना होने वाले उतार-चढ़ाव और सरकार की आर्थिक नीतियों से प्रभावित होते हैं ।
ये तो वे टिप्स हैं जिन में आप सारे परिवार को शामिल रखती हैं पर कुछ तरीक़े ऐसे हैं जो महिलायें सिर्फ़ अपने तक ही सीमित रखती हैं, यानि घर वालों और ख़ास तौर पर पति से छुपा कर पैसे बचाना।
हर महिला के अपने तरीके होंगे पर मैं एक सुझाव साझा कर रही हूँ जो वर्षों पहले मुझे मेरी कज़िन ने दिया था। उन्होंने कहा था कि वे हर सौ रुपये जो खर्च करती थीं उसमें से 5-10 रुपये अलग रख देती थीं यानि कि 100 रुपये खर्च करने की बजाय 90-95 रुपये ही खर्च किये और बाकी किसी मुश्किल वक़्त की ज़रूरत के लिए जोड़ कर अलग रख दिए। इस तरह आप के कुल घरेलू बजट का करीब 5 से 10% आप चुपचाप बचा सकती हैं, हालांकि हर बार, हर महीने ऐसा कर पाना शायद मुमकिन नहीं होगा।
तो ये थे कुछ पैसे बचाने के आसान तरीके। आप और आपकी दोस्त-रिश्तेदार बचत के क्या तरीके अपनाती हैं, हम सब से साझा ज़रूर करिये।
मूल चित्र : GODS_AND_KINGS from Getty Images via Canva Pro
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