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नैना मॉल जा कर मेहंदी लगवा आना और अच्छे से तैयार हो पूजा करना और कुछ भी खाना पीना मत नहीं तो नमन के ऊपर परेशानी आयेंगी।
नमन और नैना के शादी के बाद पहली तीज थी। जॉब के कारण दोनों दिल्ली में रहते थे। नैना की सास पुराने विचारों की महिला थी। उनके लिये व्रत उपवास रखना अच्छी बहु होने की निशानी थी। नैना ने कभी व्रत नहीं रखा था पर मम्मी जी ने कहा तो नैना ने सारी तैयारी अपनी सास से पूछ पूछ के कर ली।
“नैना व्रत रखना जरूरी है क्या?” नैना को तैयारी करता देख नमन ने कहा, “नैना तुमसे एक टाइम तो भूखा रहा नहीं जाता, चौबीस घंटे का निर्जला व्रत कैसे करोगी।”
“लेकिन नमन मम्मीजी ने कहा है ये व्रत घर पर सभी करते है तो मुझे भी करना होगा।”
“एक काम करो पूजा कर लो फिर फ्रूट्स खा लेना”, नमन ने आईडिया दिया।
“नहीं नहीं नमन! मम्मीजी नाराज़ हो जायेंगी। वैसे भी हमारे लव मैरिज से वो ख़ुश नहीं है फिर से कोई मौका नहीं दूंगी उन्हें मैं।” जब नैना ने कहा तो नमन चुप हो गया।
तीज से एक दिन पहले नमन की मम्मी ने फ़ोन कर फिर से नैना को खूब सारी हिदायते दे दी, “नैना मॉल जा कर मेहंदी लगवा आना और अच्छे से तैयार हो पूजा करना और कुछ भी खाना पीना मत नहीं तो नमन के ऊपर परेशानी आयेंगी।”
मम्मी जी की बात सुन, पढ़ी-लिखी आधुनिक नैना भी थोड़ी डर गई। “कहीं व्रत ना रखने पे नमन को कुछ हो गया तो। नहीं नहीं अपने नमन के लिये क्या एक दिन भूखी भी नहीं रह सकती मैं?” और नमन की लाख कहने पे भी नैना ने व्रत रख लिया।
नमन की तीज के दिन मीटिंग थी तो वो ऑफिस चला गया। “नैना मैं कोशिश करूँगा जल्दी आने का। तुम पूजा करके पानी और जूस पी लेना”, नमन ने कहा तो नैना ने झूठ कह दिया, “हाँ हाँ मैं पी लुंगी तुम जाओ।”
नमन के जाने के बाद नैना ने अपनी सास को फ़ोन कर प्रणाम किया।
“सदा सौभाग्यवती रहो”, मम्मीजी ने आशीर्वाद दिया और वापस चेतावनी भी दे डाली कि कुछ खाना पीना मत आज। “जी मम्मीजी”, कह नैना ने फ़ोन रख दिया।
घड़ी देखा तो अभी सिर्फ दस ही बजे थे। पूजा तो शाम को करनी थी तो नैना अपने ऑफिस का कुछ काम करने लगी।
एक बजते बजते नैना की तबियत ख़राब लगने लगी। पेट में भूख से दर्द और गैस बनने लगी और उल्टियाँ शुरू हो गई। बचपन से नैना को खाली पेट गैस बनने और उलटी होने की समस्या थी। नमन ये जनता था और उसके मना करने पर भी नैना नहीं मानी थी।
खाली पेट उल्टियाँ करने से डिहाइड्रेशन हो गया। किसी तरह नैना ने नमन को कॉल किया और दरवाजा को थोड़ा खुला छोड़ दिया।
नैना को आवाज़ लगाते हुए घबराया हुआ नमन घर आया देखा तो नैना बेड में लगभग बेहोश सी पड़ी थी। घबराहट से नमन के हाथ पैर काँपने लगे जल्दी से गाड़ी में डाल नैना को हॉस्पिटल ले गया।
डॉक्टर्स ने तुंरत ड्रिप चढ़ाया तब जा कर एक घंटे बाद नैना को होश आया। नैना की आँखे खुली तो देखा नमन सिरहाने बैठ उसका सिर सहला रहा था। ‘सॉरी नमन’ जब नैना ने कहा तो नमन ने उसे चुप रहने का इशारा किया।
“नहीं मानी ना मेरी बात। वो तो मैं वक़्त पे आ गया वर्ना कुछ हो जाता तो मेरा क्या होता ये नहीं सोचा तुमने।”
“अगर मैं व्रत नहीं रखती तो तुम्हे कुछ हो जाता तब नमन”, नैना ने कहा।
“नैना तुम पढ़ी लिखी हो फिर ये अंधविश्वास? ईश्वर में आस्था जरूरी है या ना की सिर्फ उपवास जरूरी है। सच्चे दिल से ईश्वर को याद करो तो भी ईश्वर ख़ुश हो जाते है। भूखा रह खुद तो परेशान करो ये कहाँ ईश्वर कहते है। सच्चा तो मन होना चाहिए नैना फिर सब अच्छा ही होता है।”
“लेकिन मम्मी जी”, नैना ने धीरे से कहा…
“उनसे मैं बात करूँगा आज से तुम कोई व्रत नहीं करोगी बस।” गुस्से से नमन ने कहा तो मुस्कुरा कर नैना ने अपने कान पकड़ लिये, “सॉरी बाबा अब नहीं करुँगी।”
दो तीन घंटे बाद नैना को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई और घर आ के दोनों ने एक साथ तीज की पूजा की। अगले साल से नैना फ्रूट्स और जूस पी लेती फिर पूजा करती और नमन ने भी अपनी मम्मी को समझा दिया।
मूल चित्र : triloks from Getty Images Signature, Canva Pro
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