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मशहूर डिज़ाइनर सब्यसाची ने डिज़ाइन की है राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की यूनिफार्म

सब्यसाची के द्वारा डिज़ाइन यूनिफार्म राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की लड़कियाँ पहनेगी। यहां महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया जायेगा।

सब्यसाची के द्वारा डिज़ाइन यूनिफार्म राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की लड़कियाँ पहनेंगी। यहां महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया जायेगा।   

सब्यसाची ने जैसलमेर के राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की यूनिफार्म डिज़ाइन करी है। इस खबर की जानकारी अपने इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए सब्यसाची कुछ लड़कियों की तस्वीर भी शेयर करी जिसमे वे बेहद खुश नज़र आ रही हैं।

सुनने में है कि जैसलमेर का ये स्कूल ये 21 जुलाई, 2021 को खुलेगा।

USA बेस्ड CITTA आर्गेनाईजेशन ने राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल और विमेंस सेंटर की नींव रखी थी। Michael Daube ने इस स्कूल को डिज़ाइन करा है। इस सेंटर में जहां एक और लड़कियों को पढ़ाई का मौका दिया जा रहा है वहीं उनकी माताओं और अन्य महिलाओं को अपने हेंडीक्राफ्ट के ट्रेडिशन को जारी रखने का मौका दिया जा रहा है।

इसमें एक मार्केट भी खोला जायेगा जिसमें महिलाओं द्वारा बनाये हुए प्रोडक्ट्स बिकेंगे। राजस्थान का बहुत बड़ा टूरिस्ट हब होने की वजह से जैसलमेर में इस इनिशिएटिव को एक बेहतर उछाल मिलेगा। 

राजस्थान जहां एक और कभी बाल विवाह की बढ़ती संख्या तो कभी सबसे कम साक्षरता दर को लेकर खबर में बना रहता है तो वही दूसरी और अपने हैंडीक्राफ्ट्स और वाइब्रेंट कल्चर को लेकर भी चर्चा में रहता है।

तो सोचिये, अगर दोनों को जोड़कर दोनों को बढ़ावा दिया जाये तो उससे अच्छा क्या होगा। और इसी कांसेप्ट पर बना है राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल और विमेंस सेंटर

जैसलमेर जैसे इलाके में विकास दर बहुत ही कम है। मुश्किल से वहां की लड़कियां अपनी पढ़ाई पूरी कर पाती है। और इन सबके साथ वहां का आर्ट भी अब जैसे खत्म सा होता जा रहा है। तो CITTA आर्गेनाईजेशन का ये कदम सराहनीय है। 

सब्यसाची ने यूनिफार्म में अजरक का इस्तेमाल करा है

इसी के बारे में सब्यसाची अपनी डिज़ाइन करी हुई यूनिफार्म को शेयर करते हुए इसके पीछे की कहानी बताते हुए लिखते हैं, “जब Michael Daube ने मुझे ये यूनिफार्म डिज़ाइन करने के लिए एप्रोच करा तो मैं बहुत उत्साहित हुआ। मुझे हमेशा से लगता है कि हम शिक्षा से बहुत बड़े बदलाव ला सकते हैं। इन ऑउटफिट्स को डिज़ाइन करते हुए मैं चाहता था कि इनमे वहां के लोकल क्राफ्ट की झलक हो जिससे उन लड़कियों में अपने लोकल क्राफ्ट को लेकर गर्व और जुड़ाव महसूस हो। इसीलिए इसमें हमने वहां के ट्रेडिशनल टेक्सटाइल – अजरक का इस्तेमाल करा है। यह ब्लॉक प्रिंटिंग होती है जिसमे नेचुरल डाई का इस्तेमाल किया जाता है।”  

जैसलमेर के राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल 

राजस्थान के जैसलमेर के थार मरुस्थल में रहने वाली गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों को राजकुमारी रत्नावती स्कूल में पढ़ने का मौका मिलेगा। इसमें क्लास रूम, एक लाइब्रेरी, एक कंप्यूटर सेंटर और पड़ोसी गांवों की लड़कियों को लाने के लिए बस सुविधा शामिल होगी।

इसमें लगभग 400+ लड़कियों को 10वीं तक की पढ़ाई कराई जाएगी। इसमें किताबी पढ़ाई के साथ लड़कियों को वहां के यूनिक ट्रेडिशनल क्राफ्ट में निपुण किया जायेगा। साथ ही मिड डे मील की भी सुविधा प्रदान की जाएगी।

विमेंस कोऑपरेटिव एवं मार्केट और एक्सहिबिशन हॉल

CITTA विमेंस कोऑपरेटिव के माध्यम से इस क्षेत्र में महिलाओं को आर्धिक रूप से सशक्त करने के लिए भी काम करेगा। इसमें महिलाओं को जैसलमेर क्षेत्र की बुनाई और कढ़ाई की तकनीक सिखाएंगे जो विलुप्त होने के कगार पर है।

इससे जेंडर इक्वलिटी के साथ साथ लोकल आर्ट और आर्टिसन को भी नई पहचान मिलेगी। साथ ही इन्हें कंटेम्पररी डिज़ाइन के साथ भी जोड़ा जायेगा जिससे ये क्वालिटी प्रोडक्ट डिज़ाइन कर पाएं।

केंद्र में महिलाओं के सामान को खूबसूरती से प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक बाज़ार भी होगा, जो यहां पर आने वाले टूरिस्ट के लिए आकर्षण केंद्र होगा। साथ ही ये एक एक्सहिबिशन हॉल के रूप में भी होगा जहां प्रसिद्ध वुमन डिज़ाइनर स्थानीय कलाकारों के साथ मिलकर काम कर सकती हैं।

जैसलमेर की राजकुमारी रत्नावती थीं एक साहसी लड़की 

आज हमें ऐसे ही इनिशिएटिव की ज़रूरत हैं जहां महिलाओं में आत्म विश्वास और हिम्मत भी दिया जाये। जब वो पढेंगी, अपने परम्परागत टेलेंट से अपनी पहचान बनाएंगी, तो वो वास्तव में सशक्त हो पाएंगी। इस स्कूल के नाम में जिन राजकुमारी का जिक्र है उससे ही हमे आभास होता है कि अब ये लड़कियाँ कुछ करके ही निकलेगी। 

जैसलमेर की राजकुमारी रत्नावती के बारे में कहा जाता है कि जब उनके पिता महल को उनके भरोसे छोड़ युद्ध पर चले गए थे तब उन्होंने अपने पिता से कहा था, “आप चिंता मत कीजिये पिताजी, मैं इस महल का बाल भी बांका नहीं होने दूंगी।”

और जब दुश्मन हमला करने आते हैं तो वो अपने महल पर चढ़कर उनके ललकारती हैं, “मै स्त्री हूँ, पर अबला नहीं। मुझमे मर्दों जैसा साहस और हिम्मत है।”

और इस बात को उन्होंने साबित भी कर दिखाया था और अपने महल को बचा लिया था। आज की नारी में भी यही हिम्मत है बस उसे अब एक मोड़ देने की जरूरत है जो CITTA और सब्यसाची जैसे ब्रांड मिलकर कर रहे हैं। 

मूल चित्र : Instagram, Sabyasachi 

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About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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