कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगते हुए उनके विवाह के पंजीकरण के लिए एक दिशा निर्देश की मांग की।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को, दो समान-लिंग (Same-Sex Couple) वाले जोड़ों द्वारा अलग-अलग दलीलों पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगते हुए उनके विवाह के पंजीकरण के लिए एक दिशा निर्देश की मांग की। जहां एक जोड़ा विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act), 1954 के तहत शादी करना चाहता है, वहीं दूसरा विदेशी विवाह अधिनियम (Foreign Marriage Act), 1969 के तहत अमेरिका में अपनी शादी के पंजीकरण की मांग कर रहा है।
जस्टिस आरएस एंडलॉ और आशा मेनन की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि एसएमए के तहत शादी करने की मांग करने वाली दो महिलाओं द्वारा याचिका पर अपना पक्ष रखें। इसके अलावा दूसरी याचिका जिसमे दो पुरुषों ने अमेरिका में शादी की थी, लेकिन भारत में एफएमए के तहत उनकी शादी के पंजीकरण से इनकार कर दिया गया था को लकेर अदालत ने न्यूयॉर्क में केंद्र और भारत के महावाणिज्य दूतावास (Consulate General) को भी नोटिस जारी किया। बेंच दोनों मामलों की अगली सुनवाई 8 जनवरी, 2021 को करेगी।
याचिकाकर्ताओं के मुख्य तर्क है कि समलैंगिक विवाह को विवाह अधिनियम में शामिल न करना उनके संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
दो महिलाओं, जिन्हें अरुंधति काटजू, गोविंद मनोहरन और सुरभि धर ने रिप्रेजेंट करा है, ने अपनी याचिका में कहा है कि वे 8 साल से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं, एक दूसरे के साथ जीवन के हर मोड़ को साझा कर रहे हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते क्योंकि वे समलैंगिक हैं। दोनों महिलाओं ने यह दलील दी कि विवाह नहीं करने देने से उन्हें कई अधिकारों से वंचित कर दिया गया है – घर खरीदना, बैंक खाता खोलना, परिवार का जीवन बीमा – जिनके लिए हेट्रो सेक्सुअल जोड़ों को तो अनुमति है।
उन्होंने आगे कहा, “शादी केवल दो व्यक्तियों के बीच का एक रिश्ता नहीं है, ये दो परिवारों को एक साथ लाता है। लेकिन यह अधिकारों का बंडल भी है। विवाह के बिना, याचिकाकर्ता कानून में अजनबी हैं। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 किसी को भी अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार देता है। और ये हेट्रोसेक्सुअल जोड़े की तरह ही होमोसेक्सुअल दम्पति पर भी लागु होता है।”
हालाँकि यह निर्णय किया जाना बाकी है, लेकिन केंद्र तक समलैंगिक विवाह की बात पहुंचना भी बहुत बड़ी जीत है। यहाँ लड़ाई कानूनी रूप से अपने साथी से शादी करने का अधिकार शामिल करना है। जिन अधिकारों से होमोसेक्सुअल कपल वंचित रहते आये हैं, उन्हें इस फैसले के बाद समान अधिकार मिलेंगे। और इससे एक बार फिर हम LGBTQIA++ कम्युनिटी को अपनाने के तरफ एक कदम बढ़ाएंगे।
सोशल मीडिया पर भी इस फैसले के लिए आवाज उठायी जा रही है। ट्विटर पर #YesHomoVivah ट्रेंड कर रहा है जिसमें सेलेब्रिटीज़ से लेकर आम जनता अपना समर्थन जाहिर कर रहे हैं। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक फैसला होगा जिससे होमोसेक्सुअल कपल के लिए सारे अधिकारों के दरवाज़े खुल जायेंगे। अभी होमो सेक्सुअल कपल को न ही फैमिली राइट्स मिलते हैं और न ही एक दूसरे के लिए फैसले ले सकते हैं। इन सब कारणों के चलते आज भी बहुत से लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। तो इंतज़ार है अब उस वक़्त का जब इन्हें भी हेट्रो सेक्सुअल दंपति के तरह सारे अधिकार और सबसे बढ़कर सम्मान मिलेगा।
मूल चित्र : SolStock from Getty Images Signature via CanvaPro
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
Please enter your email address