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शार्ट फिल्म ‘लघुशंका’ के विषय पर आज भी समाज में खुल कर बात नहीं होती है

मात्र 15 मिनट की शार्ट फिल्म 'लघुशंका' में नींद में बिस्तर गीला करने की परेशानी पर बात करी गई है जिस पर सामान्यत: बात नहीं की जाती है।

मात्र 15 मिनट की शार्ट फिल्म ‘लघुशंका’ में नींद में बिस्तर गीला करने की परेशानी पर बात करी गई है जिस पर सामान्यत: बात नहीं की जाती है।

लघुशंका इस भौतिक जगत में हर संजीव जीव की मानवीय शारीरिक जरूरत है। परंतु इसके कारण कई लोग कुछ परेशानी से घिरे रहते हैं। उन्हीं में से एक है नींद में बिस्तर गीला करने की परेशानी। इसकी वजह शरीर के तापमान से वातावरण के तापमान में कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। कई लोग इसका अंदाज नहीं लगा पाते हैं खासकर रात के सोने के समय। इसके कारण वह हीन ग्रंथि से घिरे रहते हैं। कभी-कभी यह समस्या अधिक गंभीर बन जाती है जब आपको अपना बिस्तर दूसरे के साथ शेयर करना पड़ता है।

दामप्त्य जीवन की शुरुआत सच के बुनियाद पर करनी चाहिए

सोनी लिव पर रिलीज़ हुई शार्ट फिल्म ‘लघुशंका’ में इसी समस्या को बताने की कोशिश की है फिल्मकार निखिल मेहरोत्रा ने। मात्र 15 मिनट की इस शार्ट फिल्म के माध्यम से उस विषय पर अपनी बात करी गई है जिस पर सामान्यत: बात नहीं की जाती है। साथ ही साथ यह भी संदेश देने की कोशिश की गई है कि दामप्त्य जीवन की शुरुआत सच के बुनियाद पर करनी चाहिए न की सच्चाई को छुपाकर। दामाप्य जीवन के शुरूआत में बोला गया झूठ बाद में लड़को के लिए नहीं पर लड़कियों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जाती है। कभी-कभी यह संबंध-विच्छेद तक भी पहुंच जाता है।

क्या कहती है शार्ट फिल्म लघुशंका की कहानी 

शार्ट फिल्म लघुशंका शादी योग्य हो चुकी लड़की श्रुति (श्वेता त्रिपाठी) को रात में बिस्तर गीला करने की आदत है। इस आदत से उनकी माँ (कनुप्रिया पंडित) और परिवार के सभी सदस्य परिचित हैं और शर्मिदर्गी महसूस करते है। दो दिन बाद श्रुति की शादी है और वो होने वाले पति को यह बताना चाहती है। इसपर परिवार में बहस छिड़ जाती है। अंत में शर्मिदर्गी महसूस करते हुए वह चुप हो जाती है और शादी के लिए तैयार हो जाती है। शादी के बाद क्या होता इसके लिए आपको लघुशंका देखनी चाहिए जिसको मन्नास शाह का बैकग्राउंड म्यूजिक और अधिक मजेदार बना देता है।

निखिल मेहरोत्रा  ने मात्र 15 मिनट के शार्ट फिल्म लघुशंका में उस विषय पर संदेश दिया है जिसपर समाज में खुल कर बात होनी चाहिए। पहला बिस्तर गीला करना कोई बिमारी नहीं है और दामप्त्य जीवन की शुरुआत सच्चाई के नीव पर ही की जानी चाहिए। एक रूढ़िवादी विषय पर चुटकुले अंदाज में कहना जितना अच्छा देखने में लगता है उसपर उतने ही गंभीरता से बातचीत करने की जरूरत है। शार्ट फिल्म लघुशंका के हर पात्रों ने अपना बेहतरीन अभिनय किया। श्रेव्ता त्रिपाठी अपने अभिनय से बहुत अधिक प्रभावित करती हैं।  

मूल चित्र : Still from the Short Film Laghushanka

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