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जो प्रतिबंध वेब सीरीज चुड़ैल्स पर लगा वह कोई नयी बात नहीं है। हमेशा से ही समाज नारी और नारीवादी मुद्दों पर ऐसे प्रतिबंध लगता आ रहा है।
पाकिस्तान की वेब सीरीज चुड़ैल्स अंत्तराष्ट्रीय स्तर पर तारीफें बटोर रही है। यह एक महिला प्रधान सीरीज है जिसमें बाल दुर्व्यवहार, जबरन विवाह, अपमानजनक श्रम की स्थिति, नस्ल और वर्ग के वर्चस्व और आत्महत्या जैसी सामाजिक बुराईयों को दर्शाया गया है। ज़ी5 ग्लोबल पर प्रसारित होने वाली यह सीरीज असीम अब्बासी द्वारा निर्देशित है।
हाल ही में इस सीरीज की एक क्लिप वायरल हो गयी जिसमें मशहूर कलाकार हीना ख्वाजा हयात शैरी का किरदार अदा करते हुए यह बता रही हैं कि उन्हें जॉब पाने के लिए कैसे समझौते करने पड़े और इस वार्तालाप में सेक्स का भी उल्लेख है। इस क्लिप के आधार पर इस बहुप्रसिद्ध और प्रशंसित सीरीज पर पाकिस्तान में प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यह सीरीज अपने बोल्ड कंटेंट के लिए प्रसिद्ध हुई थी और इसे नारीवाद का एक उदाहरण माना जा रहा था। ऐसे में यह सीरीज समाज के ठेकेदारों की नज़रों में खटक रही थी और वह इसको बंद करने की हरसंभव कोशिश कर रहे थे। इस क्लिप के ज़रिये उन्हें इस पर प्रतिबन्ध लगाने का मौका मिल गया है और प्रतिबन्ध लगाने का मुख्य कारण है इस सीरीज की अश्लीलता।
देखा जाए तो इस प्रकार का प्रतिबन्ध कोई नयी बात नहीं है। हमेशा से ही समाज नारी और नारीवादी मुद्दों पर ऐसे प्रतिबन्ध लगता आ रहा है। इस सीरीज में उठाये गए बहुत से मुद्दे इस संकुचित और कुण्ठित सामाजिक संरचना पर सवाल उठाते हैं, उन्हें जड़ से मिटाने का प्रयास करते हैं और दूसरों को ऐसा करने की प्रेरणा देते हैं।
अश्लीलता की ओट में यह प्रतिबंध वास्तविकता में किसी भी बदलाव पर प्रतिबंध है। समाज द्वारा अश्लीलता को मापने का पैमाना बहुत दोहरा है। नारी द्वारा किसी भी तरह की अभिव्यक्ति झट से अश्लीलता की शिकार बन जाती है और सदियों से पुरुषों द्वारा फैलाई हुई गन्दगी इस समाज को कभी नहीं खटकती।
समाज के ठेकेदारों का काम है सामाजिक व्यवस्था ज्यों की त्यों बनाये रखना और सबको यह विशवास दिलाना कि हमारा समाज समानता और न्याय की पराकाष्ठा है। अपने तहज़ीब, संस्कार और रीतियों की दुहाई देकर इस समाज ने हमेशा ही महिलाओं का शोषण किया है। इतना ही नहीं, इस शोषण को सजाकर ऐसे परोसा जाता है कि वह बहुत ही सुन्दर लगता है।
यह ठेकेदार हरसम्भव कोशिश करते है कि सभी सामजिक प्राणी इस पाखंड को मानते रहें क्योंकि उससे ही इनका सामाजिक व्यवस्था तटस्थ रहेगी। उस सामाजिक व्यवस्था की पोल पट्टी खोलने वाली ऐसी सीरीज इन ठेकेदारों को भयाक्रांत कर देती हैं और वो जुट जाते है इनका खात्मा करने में।
सामाजिक मुद्दों और कुरीतियों पर ऊँगली उठाना हमेशा समाज को भयभीत करता है। बंद दरवाज़े के पीछे होने वाले काम जब सबके सामने आते हैं तो उन पर सवाल उठते है, उनके उचित अनुचित होने पर बहस छिड़ जाती है और समाज को तर्कसंगत बहस नहीं शर्तरहित समर्पण चाहिए।
इन सीरीज से समाज में व्याप्त बुराइयों और असामनता का पर्दाफाश होता है और समाज की सुन्दर परिकल्पना भ्रष्ट हो जाती है। आज तक जिस सत्य को सत्ता, प्रभुता और वर्चस्व से इन ठेकेदारों से दबा रखा था वो उभर कर सबके सामने आने लगती है।
पूरे विश्व में फैले मी टू मूवमेंट में भी यह ही सच्चाई उभर के आए थी कि महिलाओं को फिल्मों आदि में अपना स्थान बनाने के लिए क्या क्या करना पड़ता है। उस मीे टू मूवमेंट को भी खूब नकारा गया था और उसे भी दबाने के कोशिश की थी।
जॉब पाने के लिए महिलाओं को कई बार अनेकों तरह के समझौते करने पड़ते है यह समाज की सच्चाई है। इस सच्चाई को उजागर करने से सिर्फ उनको दिक्कत हो सकती है जो इस व्यवस्था से अत्यधिक लाभ प्राप्त करते हैं। मी टू जैसे आंदोलनों से समाज के पुरुषों की अश्लीलता स्पष्ट सामने आने लगती है और यह बदलाव को आमंत्रण देती है।
ऐसे मुद्दे अगर खुलकर सामने आने लगे तो शायद क्रांति की एक लहर आये और उनके सारे लाभ उनसे छीन जाए। इसी डर से कभी महिलाओं पर तो उनकी अभिव्यक्ति पर अश्लीलता, सुरक्षा, संस्कृति और संस्कारों की आड़ लेकर प्रतिबन्ध लगाए जाते हैं।
पाकिस्तानी वेब सीरीज चुड़ैल्स, संस्कार, रीति, अश्लीलता और सामाजिक सुरक्षा में लिपटा हुआ ऐसा ही एक प्रतिबन्ध है जो महिलाओं से और उनकी अभिव्यक्ति से डरता है और इसलिए उन पर अपना शासन थोपना चाहता है।
मूल चित्र : IMDb/Zee5
Political Science Research Scholar. Doesn't believe in binaries and essentialism. read more...
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