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गाड़ी के अंदर रिया अपने फ़ोन में बिजी थी कि तभी किसी ने गाड़ी की खिड़की पे ठक-ठक की। जैसे ही रिया ने नज़रें उठाईं, उसे तो वहीं काठ मार गया।
“पापा! चलो ना आइसक्रीम खाने चलें,” पांच साल की रिशु ने अपने पापा से ज़िद करनी शुरू कर दी। “हाँ पापा, चलो ना चलते हैं। अपनी बहन को देख सात साल का धैर्य भी पापा को मनाने लग गया।”
बच्चों का मन देख अमित मना नहीं कर पाया, “ठीक है चलो दोनों, लेकिन वापस आते ही सीधा ब्रश करके बेड पर। प्रॉमिस?”
“प्रॉमिस पापा!” दोनों बच्चे ख़ुशी से उछलने लगे। भाग-भाग के गाड़ी की चाभी और अपने पापा का पर्स ले आये और जल्दी से कपड़े बदल रेडी हो गए
“चलो रिया, तुम भी रेडी हो जाओ”, अमित ने अपनी पत्नी रिया को कहा।
“आइसक्रीम खाने ही तो जाना है, इसमें क्या रेडी होना। जैसी हूँ, वैसी ही चलूंगी।”
“लेकिन अपने कपड़ों को तो देखो। पुरानी सी टीशर्ट, हल्दी वाली और गंदे पाजामे में हो। तुम ऐसे कैसे चलोगी?” अमित झुंझला उठा।
“एक काम करती हूँ, मैं गाड़ी से उतरूंगी ही नहीं। तुम मुझे अंदर ही आइसक्रीम पकड़ा देना।”
“इससे अच्छा तो दो मिनट में कपड़े बदल लेतीं तुम”, अमित ने कहा।
“जाऊंगी तो ऐसे ही, वरना नहीं”, गुस्से से रिया ने कहा तो अमित चुप रह गया।
रिया की एक बहुत बुरी आदत थी, वो था उसका आलस। किसी भी काम में उसे आलस होता। घर का काम तो जैसे तैसे कर भी देती, पर खुद पे तो बिलकुल ध्यान नहीं देती। अलमारी कपड़ो से भरी रहती, लेकिन पुराने से पाजामे पे पड़ी रहती सारा दिन। अब तो अमित समझा समझा कर थक गया था। बहुत चिढ़ होती रिया के आदत से उसे।
पूरे रास्ते बच्चे प्लानिंग करते रहे कौन सी आइसक्रीम खानी है। आइसक्रीम शॉप के पास गाड़ी रोक अमित बच्चों को ले अंदर चला गया। गाड़ी के अंदर रिया अपने फ़ोन में बिजी अपनी आइसक्रीम का इंतजार कर रही थी। तभी किसी ने गाड़ी की खिड़की पे ठक-ठक की। जैसे ही रिया ने नज़रें उठाईं, उसे तो वहीं काठ मार गया।
सामने अमित के ऑफिस के दोस्त अपनी अपनी बीवियों के साथ खड़े थे। वो भी वहाँ आइसक्रीम खाने आये थे। शॉप में उन्हें अमित दिख गया। अमित कुछ कहता उससे पहले ही दोनों बच्चों ने वहाँ सब को बता दिया कि मम्मा भी आयी है, गाड़ी में बैठी है और पूरी की पूरी पलटन रिया को लेने पहुंच गई।
रिया की काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गई। अब गाड़ी से तो बाहर आना ही था बालों का जुड़ा बनाये, पुरानी टीशर्ट जिस पे हल्दी के दागों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी हुई थी, पायजामे और घर की चप्पलों रिया निकली बाहर सब के चेहरों पे मंद-मंद हसीं साफ दिख रही थी। किसी तरह नमस्ते किया।
सब अच्छे से रेडी हो आइसक्रीम खाने आये थे। उन सब की बीवियां भी जीन्स टॉप हल्के मेकअप में कमाल लग रहीं थीं। वहीं रिया को अपने आप पर शर्म आ रही थी। अमित को भी बहुत शर्म आ रही थी और गुस्सा भी जान रहा था रिया पर। कितना समझाता था, थोड़ा प्रेजेंटेबल रहा करो, लेकिन रिया सुनती कहाँ थी?
आइसक्रीम खाने का सारा उत्साह ठंडा पड़ चुका था। सुबह बच्चों के स्कूल का बहाना कर अमित निकल गया वहाँ से। पिछली सीट पे बच्चे आइसक्रीम खाने में लगे थे और आगे की सीट पे बैठी रिया सुबकने।
“अब रोने से क्या होगा? जब तुम्हें समझाता था तो समझती नहीं थीं। देख लिया ना तुम्हारे साथ साथ मेरा भी मज़ाक बन गया सबके सामने?” अमित ने गुस्से में खूब सुनाया रिया को।
घर आ कर सब सो गए। अगले दिन अमित घर आया तो सुन्दर सा सूट पहने बालों की चोटी बनाये, छोटी सी बिंदी माथे पे सजाये रिया ने दरवाजा खोला। अपनी बीवी का ये अवतार देख अमित को विश्वास ही नहीं हुआ।
“माफ़ कीजियेगा, लगता है गलत घर में आ गया”, कह अमित वापस जाने लगा।
“हेलो मिस्टर अमित, ये आपका ही घर है और मैं आपकी पत्नी! भूल गए क्या?”
रिया की बात पे अमित हँसने लगा, “बहुत प्यारी लग रही हो। ऐसे ही रहा करो।”
“मैं समझ गई हूँ अमित। आगे से मैं खुद पे भी ध्यान दिया करुँगी।”
“चलो आज हम डिनर बाहर लेंगे और उसके बाद आइसक्रीम भी…”
“ये ये येप्पी!” बच्चे ख़ुशी से उछलने लगे।
“वैसे भी मेरी प्यारी सी रिया की कल की आइसक्रीम रह गई थी”, कह अमित ने रिया को गले लगा लिया।
चित्र साभार : Sunil Krishnan from Getty Images, via CanvaPro
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