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कुछ तो अलग बात है अनुपमा सीरियल की अनुपमा में…

अनुपमा सीरियल एक सवाल पूछता है, क्या हमारा समाज विवाह निभाने की जिम्मेदारी स्त्रियों पे डाल पुरुषों को इस जिम्मेदारी से आज़ाद कर देता है?

अनुपमा सीरियल एक सवाल पूछता है, क्या हमारा समाज विवाह निभाने की जिम्मेदारी स्त्रियों पे डाल पुरुषों को इस जिम्मेदारी से आज़ाद कर देता है?

राजन शाही और दीपा शाही के कूट प्रोडक्शन तले राजन शाही द्वारा निर्देशित रुपाली गाँगुली और सुधांशु पांडे द्वारा अभिनीत सीरियल अनुपमा आज कल ट्रैंड कर रहा है।

हर सोमवार से शनिवार रात दस बजे स्टारप्लस पे आने वाला ये सीरियल, जिसमें रुपाली गाँगुली ने अनुपमा का रोल किया है सबको बहुत पसंद किया जा रहा है।

आज कल टीवी पे आने वाले अन्य सास बहु के सीरियल हैं, जिसमें औरत के उन पक्षों को मजबूती से नहीं दिखाया जाता जो समाज को कोई प्रेरणादायक संदेश दें। वहीं इन सास बहु सीरियल के लिक से हट राजन शाही ने समाज को प्रेरणादायक संदेश देती एक अनूठे सीरियल का निर्माण किया है।

अपने स्वाभिमान के लिये संघर्ष करती एक आम भारतीय नारी अनुपमा जिसने अपने सपनों को अपनी आकांक्षाओ को अपने परिवार के लिये त्याग दिया। लेकिन यही अनुपमा तब टूट जाती है जब उसके त्याग का उसके समर्पण का कोई मोल उसके पति को नहीं होता और तब वो खुद के लिये खड़ी होती है अपने सपनों को पूरा करने के लिये।

अभी तक, काव्या और वनराज के रिश्ते की सच्चाई को जानने के बाद और ये जानने के बाद भी की वो दोनों मंदिर में शादी भी करने वाले थे। अनुपमा ने जिस तरह से खुद को मजबूती से संभाला वो अनुपमा के सौम्य स्वभाव के साथ साथ उसके दृढ़ आत्मसम्मान को भी दिखलाता है।

अपनी भावना को काबू कर सिर्फ अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान के लिये अनुपमा ने वनराज को अपने रिश्ते से आजाद करते हुए काव्या के सामने ये शर्त रख दी की वो तभी उनकी शादी को राज़ी होगी जब वनराज खुद अपने और काव्या के रिश्ते की सच्चाई उनके माता पिता को बताये।  अब देखना ये होगा वनराज क्या करेगा?

क्या ये सवाल वनराज से कर अनुपमा ने गलत किया कि ‘अगर वो किसी से अनैतिक संबन्ध रखती तो?’ इस एक सवाल से वनराज अनुपमा पे नाराज़ हो उठा उसके पुरुष के अहं को ठेस पहुंची; जबकि वनराज ने खुद ऐसे किया था।

इस सीरियल के द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठाया गया है कि क्या शादी निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ पत्नी की होती है? क्या हमारा समाज विवाह की निभाने की सारी जिम्मेदारी स्त्रियों पे डाल पुरुषों को इस जिम्मेदारी से आज़ाद कर देता है?

जैसा की आज कल अनुपमा में देखने को मिल रहा है, एक और जहाँ अनुपमा है जो तन मन से अपने पति वनराज के परिवार को अपना चुकी है। अपने पति के माता पिता को खुद के माता पिता मान सेवा करती है। तीन बच्चों के माँ बन कहीं ना कहीं खुद के वजूद को अपने नृत्य के शौक को भुला बैठी। जिस इंसान के प्यार पे विश्वास कर अपना सारा जीवन अनुपमा ने समर्पित कर दिया बदले में उस इंसान ने क्या किया, किसी और औरत के लिये अपनी पत्नी को धोखा दिया।

क्या ये गलत नहीं? क्यों अनुपमा जैसी साधारण घेरलू औरतों को उनके पति कमतर आंकते हैं  किसी अन्य मॉडर्न औरतों की तुलना में? आज के मॉडर्न समाज का एक कड़वा अपितु सच्चाई का आईना दिखाता हुआ है ये सीरियल अनुपमा। आज भी ऐसी कई औरते हमारे आस पास दिख जायेंगी जो इस स्थिति में हैं।

विवाह में ईमानदारी और समर्पण पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है फिर भी देखा जाता है कि कई पुरूष वनराज की मानसिकता के होते हैं।

ये देखना भी महत्पूर्ण होगा की अनुपमा अपने स्वाभिमान के लिये क्या कदम उठाती है। बहुत सी औरतें जो आज अनुपमा जैसे परस्थिति में है इस धारावाहिक की ओर एक आशा से देख रही होंगी कि शायद कहीं ना कहीं अनुपमा के फैसले से उन्हें भी हिम्मत मिले और एक फैसला वो भी ले सकें  अपने खुद के लिये, अपने स्वाभिमान के लिये।

चित्र साभार : Instagram

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