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नवाज़उद्दीन और पंकज त्रिपाठी बनाते हैं ‘अनवर का अजब किस्सा’ को एक कल्ट…

नवाज़उद्दीन और पंकज त्रिपाठी की अनवर का अजब किस्सा एक प्रयोगधर्मी फिल्म है जिसमें डार्क कांमेडी भी है, थोड़ी सी जासूसी भी है और रोमांस भी...

नवाज़उद्दीन और पंकज त्रिपाठी की अनवर का अजब किस्सा एक प्रयोगधर्मी फिल्म है जिसमें डार्क कांमेडी भी है, थोड़ी सी जासूसी भी है और रोमांस भी…

अनुराग कश्यप जब अपनी गैम्स ऑफ वासेपुर  लेकर आए तो उससे नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी और पंकज त्रिपाठी हिंदी फिल्म के स्थापित अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए। उनके अभिनय को देखकर निर्देशक डायरेक्टर बुद्धदेव दासगुप्ता ने एक जासूस के जीवन के उतार-चढ़ाव की कहानी कहने की कोशिश की है अनवर का अजब किस्सा। इसके पहले बुद्धदेव दासगुप्ता अंधी गली, बाघ बहादुर, तहादेर कथा और कालपुरुष  जैसे प्रयोगधर्मी फिल्मों के कारण ही जाने जाते हैं, जो यथार्थवादी अधिक हैं।

अनवर का अजब किस्सा  भी इसीतरह की प्रयोगधर्मी कहानी है जिसके दर्शक मुख्यधारा सिनेमा से अलग तरह के हैं। 2013 लंदन फिल्म फेस्टिवल में वहां के दर्शकों और ज्यूरी ने इस कहानी और अभिनय की बहुत तारीफ की। भारत में सिनेमाघरों में वह रिलीज होने के लिए बांट जोहती रही पर कामयाबी कोरोना महामारी के दौरान सिनेमाघरों के बंद रहने के दौर में इरोज नाऊ के ओटीटी प्लेटफार्म पर कुछ दिन पहले मिली। अब जब फिल्म पब्लिक डोमेन में सब देख रहे हैं तो नवाज़ और पकंज त्रिपाठी के एक्टिंग के उन पहलूओं के कसीदें पढ़ रहे हैं जो मुख्यधारा के फिल्मों में अभी तक देखने को नहीं मिला था। फिल्म में नवाज़, पकंज के अलावा निहारिका सिंह और अनन्या चटर्जी भी दिखते हैं पर निगाहे नवाज़ और पकंज से हटती नहीं हैं।

क्यों अजब है अनवर का किस्सा

अनवर का अजब किस्सा  एक प्रयोगधर्मी फिल्म है जिसमें डार्क कांमेडी भी हैं, थोड़ी सी जासूसी भी हैं, थोड़ा सा  रोमांस भी हैं और इंसानी समाज के कई हकीकत हैं, जो हमारे जीवन में आस-पास घट रहे हैं या पर्दे के पीछे छिपे हुए हैं। हम उनको जानते भी हैं पर सही-गलत के दायरे में इस तरह कैद हैं कि उसको स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। अनवर का अजब किस्सा  एक जासूसी कहानी कम एक जासूस की जिंदगी की कहानी ज्यादा हैं। अनवर के किरदार में गुजरे दिनों की यादों और मौजूदा हालात के बीच उलझे अनवर के जटिल किरदार को बहुत शिद्दत से अदा किया हैं। खासकर जब वह लालू नाम के कुत्ते से बात करता हैं और अपने अतीत के बारे में बताता हैं।

क्या है फिल्म की कहानी

नवाज का किरदार अनवर का है जो एक ट्रेनी जासूस है उसकी जासूसी इस तरह की है कि वह अक्सर वह स्वयं को प्रकट कर देता है कि वह कौन हैं? एक ट्रेनी जासूस के दिक्कतों को जिस तरह से नवाज से फिल्माया है वह हँसा देता है। अनवर के साथ अजीब यह होता हैं कि वह जिस केस पर भी काम करता हैं उसमें स्वयं को शामिल कर लेता हैं जिससे उसके जीवन को देखने का नज़रिया बदलने लगता हैं। इसी तरह पकंज त्रिपाठी का किरदार भी है जिसकी डायलांग डिलेवरी कमाल की हैं। जब पंकज और नवाज एक साथ सीन में आते हैं तो वह क्षण अभिनय के लिहाज़ से कमाल के दृश्य बनाते हैं।

अनवर के अजब किस्से का माजरा क्या हैं? वह क्यों दिलचस्प हैं? इसके लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी। अगर आप फिल्म देखने का मूड बनाते हैं तो आपको अभिनय का फुल एंटरटेनमेंट मिलेगा, पर मुख्यधारा फिल्मों से अलग होगा क्योंकि अनवर की अजब किस्सा  के व्यंग्य और कहानी को समझने के लिए आपको ठहरकर सोचना होगा। तब जाकर आप एक-एक दश्य को समझ सकेगे और उससे कनेक्ट हो सकेगे। आप ठहरकर कहानी के बारे में सोचेगे तो लगेगा कि यह कहानी आपके अपने जीवन में घटती हैं जब आप अपने जीवन के अतीत के बारे में सोचते हैं और मौजूदा जीवन के भाग-दौड़ से झलाने लगते हैं। कभी लगता है काश हम अपने बीते हुए दिनों में लौट पाते तो कितना अच्छा लगता।

मूल चित्र : Screenshot of Movie Trailer, YouTube  

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