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हमेशा मेरे बच्चों को खुश रखना!

जब भी जरूरत होगी एक आवाज़ देना तुम्हारा ये भाई हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा मिलेगा, मरते दम तक...

जब भी जरूरत होगी एक आवाज़ देना तुम्हारा ये भाई हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा मिलेगा, मरते दम तक…

“माँ! क्या छोटी भी शादी करके चली जाएगी?” आरव अपनी नन्ही सी बहन प्रिया का हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोला।

“क्यों बेटा! ऐसा क्यों पूछ रहे हो?” उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा।

“वो आप मासी से बोल रही थीं ना कि सब लड़कियों को एक दिन शादी करके जाना पड़ता है। तो क्या छोटी भी जाएगी?” आरव बहुत परेशान दिख रहा था।

उसकी बात पर मम्मा मुस्कुरा दी।

“हाँ बेटा! मगर अभी तो बहुत टाइम है। अभी तो ये बहुत छोटी है।”

“नहीं मम्मा! मैं इसको तो नहीं जाने दूंग।” उसने अपने दोनों हाथों से छोटी नैना को पकड़ लिया।

मम्मी दोनों बच्चों में प्यार देखकर खुश हो गई।

नैना अब थोड़ा थोड़ा चलने लगी थी। आरव उसके पीछे पीछे भागता कि कहीं वो गिर ना जाए। उसको गोद में उठाकर वापस बेड पर बैठाता थोड़ी देर में वो फिर गिरते पड़ते चलने लगती। उसने नया नया चलना सीखा था इसलिए बार बार भागने लगती। आरव बेचारा उसको चोट लगने से ही बचाता रहता।

नैना अब बड़ी हो गई थी और आरव के साथ लड़ाई झगड़ा भी करने लगी थी। आरव अब भी उसका ख्याल रखता मगर अब प्यार के साथ फिक्र भी करने लगा था। कभी सही होता कभी गलत भी होता मगर रौब पूरा दिखाता। बड़े भाई होने के नाते नैना भी कभी उसकी बात मान भी लेती कभी उससे भिड़ जाती। मम्मी उन दोनों की लड़ाई में बहुत कम ही दख़ल देतीं। लेकिन जब ज्यादा हो जाता तो किसी एक को सज़ा देतीं तब पता ही नहीं चलता कि गलती किसकी थी क्योंकि दोनों ही मुंह बना कर बैठ जाते।

 

“मम्मा देखिए ये बाहर खड़ी थी। इससे कहिए ज्यादा बाहर खड़े होने की ज़रूरत नहीं है। जब काम हो तभी जाया करे बल्कि जो बाहर का काम हो मुझे बोले।” वो उसका हाथ पकड़ कर अंदर लाते हुए बोला।

“आपकी जानकारी के लिए बता दूँ माता श्री अभी सो रहीं हैं और आप भी तो बाहर निकलते हैं। आपको तो कोई कुछ नहीं कहता और मम्मा पापा भी मुझे कुछ नहीं कहते फिर आप क्यों पीछे पड़े रहते हैं।”

“मम्मा पापा इसलिए नहीं कहते क्योंकि मैं तुम्हारे साथ होता हूँ और ज्यादा ज्ञान ना दो फटाफट चाय बनाकर लाओ।”

“चाय आप खुद बनाओ और मुझे भी चाहिए एक कप” वो वहीं सोफे पर लेटती हुई बोली।

“उठ जा फटाफट। जा चाय और साथ में पकौड़े भी बना लाना। हम दोनों भाई बहन आराम से खाएंगे।”

“भाई! कभी तो आप बना लिया करो। अभी कहेंगे मुझे आता नहीं क्योंकि मैं लडका हूँ। लडके काम नहीं करते। कहाँ लिखा है कि काम सिर्फ लडकियों की ही जिम्मेदारी है। कल को शादी हो जाएगी तो बीवी के सारे काम करिएगा।” वो बड़बड़ाते हुई किचन में चली गई। आरव को हंसी आ गई उसकी बड़बडाहट सुन कर।

“भाई! आप किचन में क्या करने गए थे?” वो गुस्से में वापस आकर बोली। तो आरव को कुछ याद आया और…

“मैं! नहीं तो क्या हुआ?” वो मासूम सी शक्ल बना कर बोला।

“मैं जा रही हूँ मम्मा को बताने। दोपहर में मैंने सब साफ किया था। अभी कितना गंदा हो गया है। आप कब गए थे? क्या काम था आपको? कोई काम तो करते नहीं फिर?” वो फुल मूड में थी लडने के।

“अरे यार! वो हर्ष आया था। मैंने बहुत मना किया मगर उसको पास्ता खाना था और तुम तो जानती हो, मैं सिर्फ मैगी बना सकता हूँ। उसको बनाने में किचन गंदा नहीं होता। अच्छा चलो दोनों मिलकर साफ़ करते हैं।”

फिर बोला…

“तुम साफ करना और मैं तुमको काम करते हुए देखूंगा और सीख लूंगा। फिर तुम्हारी मदद करूँगा और तुमको तो खुश होना चाहिए कि मैंने तुम्हे परेशान नहीं किया। नहीं तो कितने भाई होते हैं जो अपने दोस्तों को बुला बुला कर अपनी बहनों से उनके लिए क्या क्या डिश बनवाते हैं कि पूछो मत।” वो एहसान जताने लगा।

आपको बड़ा पता है सबकी बहनों के बारे में? वो किचन में जाते हुए बोली।

पता है आपके बारे में। इतने दिन में तो सीख नहीं पाए अब क्या सीखेंगे। रहने दीजिये आप साथ में रहेंगे तो और काम बढ़ा देंगे। मैं बना लाती हूँ तब तक मम्मा भी उठ जाएंगी और सबकी बहनों को मत देखा करिये। नहीं तो जल्द ही मम्मा को बोलना पडेगा कि आपके लिए लड़की देखें। इस बार वो हंसी थी। वैसे भी ना तो वो मम्मा से शिकायत करती ना तो उसकी जल्दी कोई बात टालती थी।जितना प्यार वो करता था शायद उससे ज़्यादा वो करती थी।

एक दिन पापा ने बताया कि नैना के लिए उनके दोस्त ने अपने बेटे का रिश्ता दिया है। आरव ने सुना तो थोड़ी देर के लिए वो चुप सा हो गया।

“क्या हुआ बेटा?” मम्मा ने पूछा।

“क्या सचमुच छोटी की शादी हो जाएगी और वो चली जाएगी?” आज वो एकदम छोटा सा आरव लग रहा था जो नन्ही सी नैना का हाथ पकड़ कर बोल रहा था कि उसे कहीं नहीं जाने देगा।

“हां बेटा! नैना बड़ी हो गई है तो अब रिश्ते तो आएंगे ही। ज़रूरी नहीं है कि तुरंत ही शादी कर देंगे।पहले लड़का देखेंगे फिर उसके बारे में सब छानबीन होगी तब बात आगे बढेगी।”

“मम्मा! ये सब मैं जानता हूँ। बच्चा नहीं हूँ। मगर नैना को भेजने की क्या जरूरत है आप ऐसा लडका देखिए ना जो हमारे घर आकर रहे।”

“पागल!” पापा हंसे।

“नहीं बेटा! कल को तुम्हारी भी शादी होगी। तुम्हारा परिवार होगा। वो भी अपनी फैमली छोड़ कर आएगी। मैं भी तो आई थी ना। सबको अपनी बेटी अपनी बहन से प्यार होता है मगर बेटा हम हमेशा तो बेटियों को घर नहीं बैठा सकते। एक वक्त बाद वो मायके में अच्छी नहीं लगतीं।”

“हम कैसे रहेंगे मम्मा उसके बिना?” उसकी आंखे नम हो गई।

“वक़्त वक़्त की बात है बेटा! वक़्त हर सवाल का जवाब दे देता है।” उन्होंने कहा।

वो उठकर अपने कमरे की तरफ जाने लगा जब दरवाजे के पीछे नैना खड़ी नज़र आई। वो उसके पास चला आया। उसका सर झुका हुआ था आरव ने हाथ से उसका चेहरा ऊपर किया तो हैरान रह गया। उसकी बड़ी बड़ी आंखों से आंसू बह रहे थे वो एक दम परेशान हो गया। वो कहाँ देख पाता था कि उसकी आँखों में आंसू। उसने एकदम से उसे गले से लगा लिया।

“भाई! मैं आप लोगों को छोड़कर नहीं जाऊंगी।”

“मगर बच्चा! सब लड़कियों को जाना पड़ता है। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ और हमेशा रहूंगा। जब भी जरूरत होगी एक आवाज़ देना तुम्हारा ये भाई हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा मिलेगा, मरते दम तक।” वो उसके आंसू साफ करता हुआ बोला। उसके खुद के आंखों में भी तो आंसू आने लगे थे।

दरवाजे पर खड़े मम्मा पापा ने उन दोनों का प्यार देखकर दिल में एक दुआ मांगी।

“ऐ ऊपर वाले इन दोनों के प्यार को हमेशा ऐसे ही सलामत रखना। कभी किसी की नज़र ना लगने देना। हमेशा मेरे बच्चों को खुश रखना।”

मूल चित्र : Pexels

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