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बापू धाम चंद्रैह्या की पंचायत की वार्ड सदस्या सविता देवी ने ऐसा काम किया है जो महिला सशक्तिकरण एवं लड़कियों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज द्वारा पूर्वी चम्पारण जिला के मोतीहारी सदर एवं छौरादानो में चलाए जा रहे चैम्पियन परियोजना से जुड़ी महिला वार्ड सदस्यगण बढ़-चढ़ कर ऐसे ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं जो कोरोना महामारी के दौरान उनकी नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शिता और समाज के लोगों के प्रति उनकी भावना को दर्शाता है।
कोरोना की महामारियों के बीच जब पूरा देश और समाज संक्रमण से बचने के लिए घर में रहने को प्राथमिकता दे रहा है, उसी समय गाँधी जी की कर्मभूमि से आने वाली इन महिला वार्ड सदस्यों ने गांधीजी के सपनों को साकार करते हुए ऐसे सशक्त पंचायत की नींव रखी है, जो जमीनी स्तर पर सुशासन के सपने को चरितार्थ करता है। इन वार्ड सदस्यों ने अपने हौसलों और विश्वास से कोरोना, बाढ़ जैसी भीषण आपदा को भी अवसर में बदलने का काम किया है।
बापू धाम चंद्रैह्या की रहने वाली वार्ड सदस्या सविता देवी ने कुछ ऐसा ही काम करके दिखाया है जो महिला सशक्तिकरण एवं लड़कियों के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने ‘बदलाव की शुरुआत स्वयं से करनी चाहिए’ वाली चरितार्थ को स्थापित करते हुए अपने आप को चैम्पियंस ऑफ चैम्पियन साबित किया जिसके कारण उन्हें मोतीहारी सदर के विधायक एवं कला संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री, श्री प्रमोद कुमार के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।
कोरोना महामारी में भी उनके द्वारा अपने समुदाय को मास्क पहनने, हाथों की साफ़ सफाई रखने, शारीरिक दूरी का पालन करने, लिंग आधारित भेदभाव को बढ़ावा ना देने एवं महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए कई सारे जागरूकता कार्यक्रम उनके द्वारा किया जा चुका है। इसके अलावा उन्होंने समुदाय के बीच राहत सामग्रियों के वितरण, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को भी पहुँचाने का बेहतरीन कार्य किया है।
कोरोना के दौरान बढ़ रही घरेलू हिंसा को रोकने के क्रम में उन्हें पता चला की कविता कुमारी (बदला हुआ नाम) जिसकी उम्र अभी महज 12 वर्ष है उसकी शादी उनके घर वालों ने बिना उसके मर्जी के तय कर दी और उसकी पढ़ाई भी बंद करवा दी। लड़की की शादी सरकारी नौकरी प्राप्त एक ऐसे व्यक्ति से तय कर दी गई थी जो उम्र में उससे तीन गुना बड़ा, दिव्यांग व्यक्ति था।
सविता देवी को शादी की खबर उनकी बेटी के माध्यम से शादी के 4 दिन पहले हुयी। शादी पूरे गाँव के लोगों से छुपा कर की जा रही थी। उनकी बेटी और कविता दोनों सहेली थीं। शादी की खबर सुन कर उनको अच्छा नहीं लगा, क्योंकि कविता बहुत ही दुखी थी और उसकी उम्र शादी की नहीं थी। बच्ची की उम्र अभी पढ़ने की है और कविता बार-बार बोलते हुए रो रही थी कि मेरे घरवाले मेरी जिंदगी खराब कर रहे हैं।
उसके बाद जब सविता देवी और वार्ड के ही कुछ लोग मिल कर उसके घर गए तो लडक़ी के घरवाले बहुत गुस्सा हुए। परिवार वालों ने सविता देवी को घर के मामलों से दूर रहने को कहा। सविता देवी ने भी साफ़ कह दिया कि ‘वार्ड सदस्या होने के नाते यह मेरा कर्त्तव्य है कि मैं ऐसी घटनाएँ अपने समाज में ना होने दूँ। अगर आप लोग नहीं माने तो मुझे पुलिस एवं प्रशासन को इस बात की सूचना देनी होगी, जो निश्चित से आपके परिवार, वार्ड और पंचायत के लिए अच्छी बात नहीं होगी। मेरा आग्रह है कि आप इस शादी को अभी टाल दें।’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘जब लड़की अपनी पढ़ाई पूरी कर लेगी एवं 18 वर्ष से ऊपर की हो जाएगी की हम समुदाय से चंदा इकट्ठा कर कविता की शादी करेंगे। कविता मेरी भी बेटी की तरह है, हम उसका कम उम्र में शादी नहीं होने देंगे।’ सविता जी ने इस बीच लड़के के परिवार से भी बात कर उन्हें कानून का हवाला देकर शादी रुकवाने में अहम भूमिका निभाई।
बहुत सारे बातो और लोगों के दबाब और 6 घंटे की बातचीत के बाद लड़की के घर वालो को कम उम्र में शादी ना करने हेतु, एवं एक लड़की की जिंदगी को बर्बाद ना करने हेतु मनाने में सफल रहीं।
चित्र साभार : लेखक द्वारा
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