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छठ पूजा का प्रसाद ऐसी अनेक चीज़ों को शामिल करता है, जिससे शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं, इसलिए इसका वैज्ञानिक महत्व भी बहुत ज़्यादा है।
बिहार का महापर्व कहा जाना वाला छठ पूजा दस्तक दे चुका है। हर तरफ छठ पूजा की चहल-पहल नज़र आ रही है और सभी उम्र के लोगों में उत्साह का संचार अपने चरम पर है। ऐसे भी छठ को लेकर लोगों के मन में आस्था की नींव इतनी मज़बूत है कि लोग इस त्यौहार को बहुत संजीदगी और अनुशासनात्मक ढंग से मनाते हैं।
छठ पूजा को प्रकृति का पर्व कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि छठ संपूर्ण तरीके से प्रकृति का ही त्यौहार है। छठ पूजा के प्रसाद में ऐसी अनेक चीज़ें शामिल होती है, जिससे शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं।
चूंकि छठ में सूर्य की उपासना होती है इसलिए छठ में सबसे पहले नई फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसमें गन्ना और चावल के आटे से बने पकवान शामिल होते हैं। साथ ही तमाम तरह के मौसमी फलों को भी चढ़ाया जाता है। सबसे अनोखी बात यह है कि छठ में बनने वाले प्रसाद और फलों का वैज्ञानिक महत्व होता है।
छठ में गुड़ और चावल के आटे से बनने वाला ठेकुआ लोगों को जितना प्रिय होता है, उससे भी ज़्यादा उसके फायदे होते हैं। गुड़ में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। साथ ही शरीर में रक्त की कमी को पूरा करते हैं। सर्दी की शुरुआत में गुड़ खाने से शरीर को अनेक बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
छठ में गन्ना मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है। गन्ने में पाए जाने वाले तत्वों से शरीर को कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। साथ ही पाचन क्रिया को मज़बूती मिलती है। इसके साथ डायबिटीज को कंट्रोल करने, हृदय के रोगों से बचाव में गन्ना बहुत उपयोगी साबित होता है। गन्ने के सेवन से त्वचा में निखार भी आता है।
छठ में चढ़ने वाला नारियल भी गुणों की खान होता है क्योंकि इसमें मिलने वाले पौष्टिक तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
इस पूजा में विशेष प्रकार का नींबू भी चढ़ाया जाता है, जिसे गागर या डाभ नींबू कहा जाता है। इसमें विटामिन-सी की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
छठ में लोग केले को भी अधिक प्राथमिकता देते हैं। ऐसे भी केले में मिलने वाला आयरन शरीर में रक्त की कमी को पूरा करता है और एनीमिया को ठीक करता है। कब्ज जैसी परेशानियों को दूर करने में केला एक अहम भूमिका निभाता है।
सर्दी के मौसम में पाए जाने वाली मूली भी छठ में चढ़ाई जाती है। मूली में विटामिन-सी, फॉलिक एसिड, एंथोकाइनिन पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण डायबिटीज में मूली बहुत फायदेमंद साबित होती है। यह थकान मिटाने के साथ-साथ पायरिया की समस्या से निजाद दिलाती है।
अदरक जहां एक ओर सर्दी-जुकाम में राहत देता है, तो वहीं दूसरी ओर किडनी के रोगों से लड़ने में मदद करता है।
छठ में ऐसे अनेक फल हैं, जिसे सूर्य उपासना में चढ़ाया जाता है। इसमें वैसे फल भी शामिल हैं, जिसका सेवन लोग सामान्यतः नहीं करते हैं। जैसे – पानी फल (सिंघाड़ा), कच्ची हल्दी और सुथनी।
छठ एक प्राकृतिक त्यौहार है क्योंकि यह लोगों को प्रकृति के समीप लाता है। कोरोना के काल में हुए बदलाव की धमक इस बार छठ में भी देखने को मिल रही है, मगर लोगों का उत्साह बरकरार है। छठ में चढ़ाए जाने वाले समस्त प्रसाद रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जो अभी के माहौल में अत्यंत जरूरी है।
चित्र साभार : MD YASIN from Getty Images, via Canva Pro
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