कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

क्या भारत को अपनी महिलाओं से कोई लगाव नहीं है?

भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। हर रोज़ खबरों में किसी न किसी रेप या अन्य केस के प्रति आक्रोश भड़क रहा होता है।

भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। हर रोज़ खबरों में किसी न किसी रेप या अन्य केस के प्रति आक्रोश भड़क रहा होता है।

सभी उम्र के महिलाओं के साथ घिनोने अपराध हो रहे हैं और महिला सुरक्षा में भारत का बदतर होता जा रहा है। हाल ही में प्रकाशित राष्टीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में डराने वाले आंकड़े सामने आये हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2018 की तुलना में 2019 में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में 7.3 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

2019 में कुल 4,05,861 महिला हिंसा के मामले दर्ज हुए हैं। इन भयावह आंकड़ों को देखते हुए यह कहना होगा की देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। 2012 में निर्भया गैंगरेप होने बाद, ज़ोरदार जान आंदोलन होने के बाद न्याय में कई सरे बदलाव लाये गए थे परानु आज 8 वर्ष बीत जाने पर स्तिथि यह है कि हर 16 मिनिट में एक महिला का रेप होता है, एक दिन में 88 रेप केस दर्ज हो रहे हैं और हर चार घंटों में एक महिला तस्करी का शिकार बनती है।

में इज़ाफ़ा होने के बाद भी न्यायालयों और पुलिस द्वारा मामलों के निष्पादन के दर निराशाजनक ही रही है। अधिकार मामलों में अपराधी को सजा न होने के कारण ऐसे अपराधों को बढ़ावा मिला है और महिलाओं की असुरक्षा में इज़ाफ़ा हुआ है। न्याय प्रणाली के ठप्प होने से महिलाओं को मिलने में भरी गिरावट आयी है।

किन राज्यों के हैं सबसे खराब हाल

उत्तर प्रदेश का महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में सर्वप्रथम स्थान है और राजस्थान का दूसरा। दोनों ही राज्यों में लिंग अनुपात और साक्षरता दर बहुत काम है जो इन आंकड़ों को समझने के लिए एक महत्ववपूर्ण कड़ी है। उत्तर प्रदेश में बीते साल में कुल 59,853 केस दर्ज किये गए हैं जो कि देश भर में दर्ज मामलों का 14.7 प्रतिशत है। दूसरे स्थान पर, राजस्थान में 41,550 केस दर्ज किये गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर कलकत्ता है परन्तु वह भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है।

उत्तर प्रदेश में सबसे बुरा हाल

ऐसा कहना बिल्कुल अनुचित नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए नहीं है। सभी तरह के महिला हिंसा में प्रथम स्थान परैत करके उत्तर प्रदेश ने नए रिकॉर्ड कायम किये हैं। देश भर में सर्वाधिक बालिका हिंसा की घटनाऐ उत्तर प्रदेश में होती है और सबसे अधिक दहेज़ से प्रताड़ित महिलाओं की मृत्यु में भी उत्तर प्रदेश का ही वर्चस्व है। रेप के केस में राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश का दूसरा स्थान और गत वर्ष में राज्य में 3065 केस दर्ज किये गए हैं।

दलित महिलाओं का हाल बेहाल

सामाजिक सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर रहीं दलित महिलाओं के प्रति हिंसा में देश भर में 7.3 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। हाल ही में हुए हाथरस गैंगरेप केस के साथ उत्तर प्रदेश में दलितों की स्तिथि पर प्रकाश डाला है। देश भर में दलित महिलाओं के खिलाफ हुयी हिंसा में से लगभग 25  प्रतिशत  (11,829 केस) उत्तर  प्रदेश में हुए हैं। हाथरस केस में राष्ट्रिय स्तर पर न्याय की मांग हो रही है परन्तु पूरे साल में ऐसे न जाने कितने केस दर्ज भी नहीं किये जाते।

क्या इस देश को अपनी महिलाओं से कोई लगाव नहीं है?

इतने भयंकर आंकड़ों के बाद भी न्याय निष्पादन निराशाजनक है अथवा ना के बराबर है। पुलिस की चार्जशीट दाखिल करने में देरी और मामलों की धीमी पड़ताल न्याय को पीड़ितों से दूर ले जाते हैं। न्यायलयों में बढ़ती विचारधीनता दर और घटती दोषसीद्धि दर भी महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को बढ़ावा देता है।

इन सभी आंकड़ों से हम यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या भारत को अपनी महिलाओं से कोई लगाव नहीं है? क्या इस समाज का महिला असुरक्षा के प्रति कोई कर्त्तव्य नहीं है? क्या इस समाज में महिलाओं का कोई स्थान है? एनसीआरबी रिपोर्ट को देखें तो इन सभी सवालों का जवाब नहीं लगता है।

मूल चित्र : Bhupi from Getty Images via Canva Pro 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Sehal Jain

Political Science Research Scholar. Doesn't believe in binaries and essentialism. read more...

28 Posts | 140,465 Views
All Categories