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ज़िंदगी की उलझनों से ठहरकर फिर याद दिलाना, हम एक दूसरे के लिए बहुत ख़ास, इस दिन के बहाने ही सही, एक बार फिर अपने प्यार को पुलकित करते हैं...
ज़िंदगी की उलझनों से ठहरकर फिर याद दिलाना, हम एक दूसरे के लिए बहुत ख़ास, इस दिन के बहाने ही सही, एक बार फिर अपने प्यार को पुलकित करते हैं…
रोज़ रोज़ कहाँ होता है अब सजना सँवरना घर की जिम्मदारियों में ही भूल से गए है खुद का ध्यान रखना पति पत्नी चक्की के दो पाट चल रहे है अपनी अपनी धुरी में जिम्मदारियों कर्तव्यों को पूर्ण करने में ख़ास वर्ष भर चलता है त्योहारों का आना जाना पर करवाचौथ के रोमांच का तो क्या ही है कहना ये दिन पति पत्नी के लिए है बहुत ही ख़ास
ज़िंदगी की उलझनों से ठहरकर फिर एक दूसरे को याद दिलाना, हम एक दूसरे के लिए भी है बहुत ख़ास इस दिन के बहाने ही सही एक बार फिर से अपने प्यार को पुलकित करते है एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम को व्यक्त करते है इस तरह पति पत्नी अपने रिश्ते को फिर से मज़बूत करते है
दिल में नयी उमंग के साथ सोलह शृंगार करने का उत्साह फिर से पिया के लिए सुंदर दिखने की चाह उसकी लम्बी उम्र के लिए कुछ भी कर जाने की चाह चाहे अपने सुहाग को सलामत रखने के लिए चलनी पड़े काँटों की राह बेझिझक कर लेगी वो उसका चुनाव यही तो है एक सुहागन के मन की कामना जब तक जीवन रहे उसका सुहाग सदा सलामत रहे!!
मूल चित्र : Visage from Canva Pro
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