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यहां मिलिए चेन्नई की 82 साल की किरण बाई से जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी और व्हीलचेयर से उठकर आज एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं...
यहां मिलिए चेन्नई की 82 साल की किरण बाई से जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी और व्हीलचेयर से उठकर आज एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं…
‘अब आपका बुढ़ापा आ गया है, आपको बिस्तर में ही रहना चाहिए।’, बुढ़ापे में वजन नहीं उठाना है। ‘कुछ दिन और रहे हैं।’ ये सब कमैंट्स अक्सर हमारे सीनियर सिटीजन्स को सुनने को मिलते हैं। हमें लगता बुढ़ापे में अगर वो बेड में रहेंगे तो ज्यादा स्वस्थ रहेंगे, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
तो आज मिलिए इन सभी को चुनौती देकर एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी होनी वाली चेन्नई में रहने वाली 82 साल की किरण बाई से। बचपन से एक्टिव रहने वाली किरण बाई ने 76 साल की उम्र तक ख़ूब काम किया। उसके बाद वे एक बार गिर गयीं थी और जब उन्हें बेड में रहना पड़ा तो वे शारीरीक के साथ साथ मानसिक रूप से भी टूटने लग गयी थीं। फिर उन्होंने एक्सरसाइज से एक बार फिर से खुद को सशक्त करने का ठाना और आज वे पहले से बेहतर हैं।
आइये जानते हैं सशक्तिकरण और सकारात्मक सोच की कहानी चेन्नई की किरण बाई से :
मैं बहुत नर्वस रहने लग गयी थी लेकिन फिर…
चेन्नई की किरण बाई बचपन से बहुत एक्टिव रही हैं। खेल कूद में हमेशा आगे रहती थीं फिर 15 साल की उम्र में शादी हो गयी और ससुराल में आकर भी पूरा काम किया। पालतू पशुओं को संभालने से लेकर घर पर मिर्च मसाले आदि कूटना पीसना, पूरे परिवार को संभालना जैसे सारे काम अकेले किये हैं। वे पहले सिलाई मशीन का भी काम करती थीं। तो इस तरह से काम करने की उन्हें आदत भी थी और ख़ुशी भी मिलती थी।
लेकिन अभी पिछले 3-4 साल पहले वे गिर गयीं। किरण बाई कहती हैं, “तब मेरा पैर मुड़ गया था, सूजन और घुटनों में दर्द रहने लग गया था। मैंने दवाईयां ली, हल्की फुलकी कसरत भी करी लेकिन कुछ फ़ायदा नहीं हुआ। डॉक्टर ने भी कह दिया था कि आपकी हड्डियां कमजोर हो गयी हैं। अब आप सिर्फ आराम करें। मैं ठीक से चल फिर नहीं पा रही थी। थोड़ा चलने में ही सांस भरने लग जाती थी।”
और फिर से वे 3-4 महीने पहले बेड से फिर गिर गयी थीं। उस समय लॉक डाउन की वज़ह से डॉक्टर के पास भी नहीं जा सकते थे और रिकवरी में बहुत वक़्त लग रहा था इन सब वज़ह से वे बहुत नर्वस हो गयी थीं। वे कहती थीं कि मेरा जाने का टाइम आ गया है। फिर किरण देवी के पोते चिराग ने आकर उन्हें हौसला दिया।
इस बारे में चेन्नई की किरण बाई कहती हैं, “चिराग जिम ट्रेनर है। उसने कहा माँ आप सब कुछ कर सकती हैं, आप इस तरह निराश मत रहिये। फिर मैं उसके साथ एक्सरसाइज करने लगी। पिछले 2- 3 महीनों से हम लगातार एक्सरसाइज कर रहे हैं। और आज मैं कह सकती हूँ कि मैं पहले से बहुत बेहतर हो गयी हूँ। आज मैं 82 साल की हूँ और ख़ुद का काम ख़ुद से करने लग गयी हूँ। अब मैं बहुत खुश रहती हूँ।“
मैंने सभी एक्सरसाइज साड़ी में ही करी हैं…
उनके पोते चिराग ने उन्हें धीरे धीरे बेड पर ही फिर से एक्सरसाइज शुरू करवाई। शुरुवात मैं वे 5 मिनट करतीं, फिर 5 मिनट रुकतीं। और एक एक्सरसाइज को 10 से 15 बार करती थीं। फिर हल्का हल्का वजन उठाना शुरू किया। बॉटल में पानी भरकर ऊपर निचे रखना, हाथों में वजन रखकर मूव करना, उल्टा चलना, पैरों को ऊपर उठाना, क्रॉलिंग करना, आदि से शुरू करी थी।
वे आगे कहती हैं, “मैंने सभी एक्सरसाइज साड़ी में ही करी हैं। मुझे सबसे ज़्यादा बैंडेड रोज (बैंड को पुल करना) और बर्ड डॉग एक्सरसाइज पसंद है। इससे मेरे रीढ़ की हड्डी और कमर में बहुत फायदा है।”
मैं काम करते रहना पसंद करती हूँ…
“पहले मुझे नींद नहीं आती थी। मन बहुत विचलित रहता था। क्योंकि मैं इससे पहले कभी बीमार नहीं हुई और हमेशा एक्टिव रही हूँ। फिर एक्सरसाइज करने के बाद से अब मैं सुबह 6 बजे उठती हूँ। उसके बाद घर के काम में भी मदद करती हूँ। धार्मिक किताबें पढ़ती हूँ। दिन में एक घंटा आराम करती हूँ। और रात में 11 बजे बाद सोती हूँ। इन सब में मुझे बहुत ख़ुशी होती है। क्योंकि मैं काम करते रहना पसंद करती हूँ।”
पहले से बहुत कम दवाइयां रह गयी हैं…
वे कहती हैं, “अब मुझे एसिडिटी की दिक्कत भी नहीं रहती है। नींद भी आने लगी है। अब मुझे फिर से पहले जैसा महसूस होने लगा है। अभी भी दवाई लेती हूँ लेकिन अब पहले से बहुत कम दवाइयां रह गयी हैं। लोग मुझसे कहते थे कि आप तो इतनी सशक्त हैं, आप कैसे हिम्मत हार सकती हैं। हमें भी आप जैसी शक्ति चाहिए। तो ये सुनकर बहुत अच्छा महसूस होता है और शक्ति मिलती है। अब मेरे परिवार वाले भी अब बहुत खुश रहते हैं कि माँ अब फिर से खुश रहने लगी हैं। मेरे परिवार ने मेरा बहुत साथ दिया। मुझे बहुत गर्व महसूस होता है।”
शुरू में तकलीफ़ तो होगी लेकिन बहुत अच्छा लगेगा…
“मैं सभी लोगों को यही कहना चाहती हूँ कि आप शुरुवात तो कीजिए। पहले पांच मिनट करें फिर 5 मिनट आराम करें। शुरू में तकलीफ़ तो होगी लेकिन बहुत अच्छा लगेगा। धीरे धीरे हाथ पैर के पुर्ज़े खुलने लगेंगे। खून का दौरा बढ़ेगा और फिर से ताकत आएगी। हाँ, एकदम से तो कोई भी नहीं कर सकता है। धीरे धीरे सब कुछ होगा।”
वे भी शुरुवात में सहारे से चलने लगी थीं, फिर बीच बीच में खुद से चलने लगी और अब पूरी तरह बिना सहारे के फिर से चलने लगी हैं। शुरुवात में खुद से थोड़ा ज़बरदस्ती करें, इससे आपका अंदर का डर निकलेगा। किरण बाई भी मानसिक रूप से कमजोर हो गयी थीं, डर बैठ गया था। लेकिन उनके परिवार ने बहुत हौसला बढ़ाया। तो आप परिवार की मदद लेने से घबराएं नहीं। वे आगे कहती हैं, “अब मेरे चेहरे की रौनक देख कर मेरे परिवार में भी रौनक आ गयी है।”
अब सब उन से आकर कहते हैं चलिए आपके स्विमिंग करने का वक़्त लौट आया है। तो वे कहती हैं, “चलिए मैंने पहले भी साड़ी में ही स्विमिंग करी है और अब भी मैं साड़ी में ही करुँगी।”
“अब मेरा बचपन लौट रहा है। मेरी बहुएँ कहती हैं हमारी कमर में दर्द रहता है। तो मैं कहती हूँ क्या अभी से ही तुम्हारी कमर में दर्द रहता है। मैं सबका हौसला बढ़ाती हूँ और एक्टिव रहने के लिए जोर देती हूँ। हमें हमेशा हसते हुए रहना चाहिए इससे सामने वाले का भी हौसला बढ़ेगा। मैं चिराग की शुक्रगुज़ार हूँ। मैं बस यही चाहती हूँ कि सब स्वस्थ रहें, खुश रहें।”
(इस सवाल का ज़वाब चिराग चोरड़िया जो कि एक जिम ट्रेनर हैं, दे रहें हैं। ये किरण बाई के पोते हैं और यही उनके एक्सरसाइज ट्रेनर भी हैं।)
जब हम सीनियर सिटिज़न्स की बात करते हैं तो हमे सबसे पहले ये जानना होगा कि उन्हें एक्सरसाइज क्यों करनी चाहिए। ये इसलिए क्योंकि ज़्यादातर लोगों को अपनी डेली रूटीन एक्टिविटीज़ करने में भी परेशानी आ रही है। फिर हमें उनकी हेल्थ हिस्ट्री देखनी होगी। तो ये अलग अलग लोगो पर निर्भर करता है कि उन्हें किस तरह की एक्सरसाइज करनी होगी। सामान्य तौर पर सीनियर सिटीजन्स को मूवमेंट में परेशानी रहती है। तो उन्हें उसके लिए एक्सरसाइज रेकमेंड करी जाती है। और जिस एक्सरसाइज से उन्हें कॉन्फिडेंस मिले वो करनी चाहिए।
मूवमेंट एक्सरसाइज जैसे कार्डिओ करनी चाहिए। आप रोज 10 मिनट चलें। अगर ज्यादा परेशानी है तो बीच बीच में ब्रेक लें। इसके अलावा स्ट्रेंग्थिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए। जब मेरी दादी को मैंने हल्का हल्का वज़न उठवाना शुरू किया तो ज्यादातर लोग कहते हैं कि सीनियर सिटीजन्स को वज़न नहीं उठाना चाहिए। लेकिन अब मेरी दादी वज़न उठा सकती हैं। इससे उन्हें ताकत मिली है। तो जब ताकत आएगी तभी सीनियर सिटीजन्स अपना रोज़मर्रा का काम कर पाएंगे। स्ट्रेंथ सभी मूवमेंट्स का आधार है।
तो आप अलग अलग अपने हेल्थ कंडीशन के हिसाब से गोल सेट करें। और एक एक करके उन्हें पूरा करें। कई कहते हैं कि शरीर और दिमाग को अलग अलग रखना चाहिए। लेकिन मेरा मानना है कि जब हमारे सीनियर सिटीजन्स शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे तब ही वो मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह पाएंगे।
तो आप भी एक बार फिर वर्कआउट के लिए तैयार हैं?
मूल चित्र : Provided by Chirag Chordia
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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