कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

पुरुष का रोना

पुरुष का रोना हरबार ढूंढता है मां का आँचल, प्रेमिका का काजल, बहन का कांधा, और अपने तकिए का कोना!

पुरुष का रोना हरबार ढूंढता है मां का आँचल, प्रेमिका का काजल, बहन का कांधा, अपने तकिए का कोना!

पुरुष का रोना
व्याकुल कर जाता है
उस आसमान को,
जिसने अपना दर्द
हंसते हंसते
सौंप दिया था
एक दिन बारिश को !

पुरुष का रोना
हरबार ढूंढता है
मां का आँचल,
प्रेमिका का काजल,
बहन का कांधा,
अपने तकिए का कोना!

पुरुष के रोते ही
‘पुरुष’ हो जाती है,
वह स्त्री
जो पोंछती है
उसके आँसूं ,
और मर जाता है
वह दर्द जो
जीत कर
मुस्कुरा रहा था
उस पुरुष से!

पुरुष के रोने से
टूट जाते हैं पितृसत्ता के
पाषाण हृदय ताले,
और खुल जाते हैं द्वार
उन अहसासों के,
जो उसे उसके भी
इंसान होने का
अहसास दिलाते हैं!

पुरुष के रोते ही
पृथ्वी आकाश से
अपनी गति, स्थिति और
कक्षा की मंत्रणा कर,
हिसाब लगाती है उस आँसू का
जो गृहों की चाल के सारे गणित
बिगाड़ कर रख देता है!

चित्र साभार: Michael Jung, via Canva Pro

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

98 Posts | 300,926 Views
All Categories