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स्कॉटलैंड पीरियड प्रोडक्ट्स को मुफ्त में देने वाला पहला देश बन गया, लेकिन भारत…

24 नवंबर, 2020 को स्कॉटिश पार्लियामेंट ने एक बिल पारित किया, जिसके तहत उन्होंने स्कॉटलैंड में पीरियड्स प्रोडक्ट्स को फ्री कर दिया।

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24 नवंबर, 2020 को स्कॉटिश पार्लियामेंट ने एक बिल पारित किया, जिसके तहत उन्होंने स्कॉटलैंड में पीरियड्स प्रोडक्ट्स को फ्री कर दिया।

किसी भी महिला के लिए मासिक धर्म उसके जीवन की सामान्य और एक स्वस्थ हिस्सा है। 2500 दिन से अधिक दिन या लगभग 7 साल का समय एक महिला पीरियड्स में बीताती है। फिर भी भारत में कई लड़कियां और महिलाएं हर महीने अपनी मासिक धर्म के चक्र(पीरियड साईकिल) के समय पीरियड्स प्रोडक्ट्स (सैनिटेरी पैड, मेस्ट्रुअल कप, आदि) का प्रबंध करने के लिए संघर्ष करती हैं।

भारत के अलावा भी कई देश हैं जो पीरियड पोवरटी  से इस समस्या लड़ रहे हैं। पर स्कॉटलैंड नाम के एक देश ने इसका निपटारा करने के लिए सबसे ठोस कदम उठाया है। बीते मंगलवार, 24 नवंबर, 2020 को स्कॉटिश पार्लियामेंट ने एक बिल पारित किया, जिसके तहत उन्होंने स्कॉटलैंड में पीरियड्स प्रोडक्ट्स को फ्री कर दिया। इस कदम से लाखों स्कॉटिस लड़कियों और महिलाओं की मदद होगी। जो पीरियड्स प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल नहीं कर पाती थी। इस फैसले को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। लोग इस फैसले की खूब सराहना कर रहे हैं।

स्कॉडलैंड संसद की वेबसाइट के अनुसार, इस कानून में स्कॉटलैंड सरकार को एक सार्वभौमिक प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि जब भी किसी को पीरियड उत्पादों की आवश्यकता हो, तो वे मुफ्त में मिल सकें। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को भी टॉयलेट में मुफ्त मासिक धर्म उत्पाद उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी। स्थानीय प्रशासन और शिक्षा प्रणाली यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगी कि नि: शुल्क उत्पादों को कानून के तहत उपलब्ध कराया जाए।

अब इसी तर्ज पर भारत की सरकार को भी पीरियड प्रोडक्ट्स फ्री करना चाहिए। अभी भारत की स्थिति को देखे तो यह काफी डरावनी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के मुताबिक केवल 36 प्रतिशत महिलाएं ही मासिक धर्म के समय सैनेटरी पैड का इस्तेमाल कर पाती हैं। NGO दसरा की 2014 की एक रिपोर्ट जिसका शीर्षक है- स्पॉट ऑन। उसके मुताबिक लगभग 2 करोड़ लड़कियां मेंस्ट्रुअल हाइजिन न होने के कारण स्कूल से बाहर निकल जाती हैं

एक लड़की जब पीरियड्स प्रोडक्ट्स का प्रबंध करने में चुनौतियों का सामना करती है। तो यह न केवल उनके शारीरिक बल्कि इसके साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। हाइजिन न होने के कारण न केवल उन्हें संक्रमण का खतरा होता है, बल्कि इसके साथ शिक्षा, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर भी काफी गहरा और बुरा असर पड़ता है।

भारत में जो गरीब महिलाएं है, या जो दिहाड़ी मजदूर है, या मनरेगा योजना में काम करने वाली महिलाएं है। वैसी महिलाओं को खाने और सैनेटरी पैड में केवल एक चुनने की स्थिति रहती है। वो या तो भूखी रहे, या संक्रमण का सामना करें। उनके लिए एक तरफ कुआं, तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति है। हमें इन दोनों तरफ जाने के बजाय भारत की हर एक लड़की और महिला के लिए ऐसे भविष्य का रास्ता हमें देना है। जहां वे आजादी से अपना जीवन बीता सकें। उन्हें खाना भी मिले और मेस्ट्रुअल हाइजिन भी। इसके लिए भारत सरकार को अपने बजट में महिलाओं के लिए फ्री पीरियड उत्पाद की सुविधा करने की आवश्यकता है।

मूल चित्र : Erstudiostock from Getty Images, via Canva Pro

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