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शादी के सीज़न का ‘बेटा, अगला नंबर तुम्हारा ही है’ को मैं बहुत मिस कर रही हूँ…

जब से इस फेस्टिवल और शादी के सीज़न की शुरुआत हुयी है, तब से मैं सबसे ज़्यादा मिस कर रही हूँ रिश्तेदारों के इन इर्रिटेटिंग सवालों को...

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जब से इस फेस्टिवल और शादी के सीज़न की शुरुआत हुयी है, तब से मैं सबसे ज़्यादा मिस कर रही हूँ रिश्तेदारों के इन इर्रिटेटिंग सवालों को…

हम इंडियंस को हमारे त्यौहार और दूसरों की शादियाँ सबसे ज़्यादा प्रिय होती है। और अभी इस कोरोना वायरस और सोशल डिस्टन्सिंग के रहते सबसे ज्यादा हम इन्हें ही मिस कर रहे हैं। इस बार दिवाली में भी वो रौनक नहीं थी। हम सभी ने बहुत कुछ मिस किया। और अब होने वाली ज़्यादातर शादियों में भी हम शामिल नहीं होंगे। तो आप सबसे ज्यादा क्या मिस करेंगे? वो तरह तरह का खाना, नए डिज़ाइनर कपड़े, कजिनंस को या फिर कहीं उन रिश्तेदारों को? 

हाँ, मैं तो जब से फेस्टिवल और शादी का सीज़न शुरू हुआ है तब से सबसे ज़्यादा जिस चीज़ को मिस कर रही हूँ वो है रिश्तेदारों के इरिटेटिंग सवालों को। जिन्हें मेरे करियर से लेकर शादी तक, हर चीज़ की चिंता रहती है। तो क्यों न एक बार उन सभी अन्नोयिंग रिमाइंडर्स को याद करके थोड़ा मुस्कुरा लिया जाये। तो अगर आप भी 20s में हैं, इंडिपेंडेंट वीमेन हैं, शादी नहीं हुई है और अगर आप का नंबर उन स्पेशल 50 या 200 की गेस्ट लिस्ट में है तो आप के लिए उन सवालों के जवाब उन्हीं के अंदाज़ में देने के लिए भी ये लिस्ट काम आएगी।  

बेटा, अगला नंबर तुम्हारा ही है ना? 

दिवाली से लेकर भाई की शादी तक, हर जगह पूछे जाने वाले इन सवालों से लगता है हमारे कुछ रिश्तेदारों को बस अगले इनविटेशन का ही इंतज़ार रहता है। अगर आप 20s में हैं तो आपने भी ये किसी दूर की बुआ, मामी से ज़रूर सुना होगा?   

हाय, कितनी मोटी हो गयी हो! तुमसे शादी कौन करेगा? 

आप मज़े से अपने कजिन के साथ शाही पनीर का मज़ा ले रहे हैं और फिर अचानक से कोई पापा के चाचा की बेटी आपको आकर कहेंगी, ‘बेटा, बहुत फ़ैलती जा रही हो। आजकल के लड़के मोटी लड़कियों से शादी करना पंसद नहीं करते हैं। थोड़ा ध्यान दो, अपने शरीर पर।’ तो इस बार उन्हें कहें, ‘आंटी आपको नहीं लगता फिल्में देख देख कर आपकी नैरो माइंडेड सोच मेरे वजन से भी ज्यादा फ़ैल गयी है।’     

तुम्हें पीएचडी क्यों करनी है? शादी के बाद तो वैसे भी पति के पैसों पर घर बैठकर ऐश करोगी… 

ये वही अंकल आंटी होते हैं जिन्हें हमारे साइंस छोड़कर आर्ट्स चुनने से सबसे ज्यादा परेशानी होती है। तो आंटी आपको नहीं लगता घर बैठकर ऐश करने के चक्कर में आपने दूसरों को जज करने का धंधा शुरू कर दिया है। 

बेटा, तुम फ़ेसबुक पर मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट अक्सेप्ट क्यों नहीं करती? 

क्या आप से भी पड़ोस वाली आंटी ने दिवाली पर यही पूछा था। मुझसे पूछा तो मैंने कहा, ‘आंटी,  हर 5 मिनट में आप ही के ऊपर तो मीम शेयर करती हूँ तो सोचा कहीं आपको बुरा न लग जाये। बस इसीलिए आज तक एड नहीं किया।’  हाँ लेकिन इसके बाद घर आकर मम्मी से डांट ज़रूर मिलेगी। 

ब्लाउज ज्यादा डीप नहीं हो गया? 

हर फंक्शन में किसी न किसी से तो आपको भी ये सब सुनने को मिला होगा। तो अब जब भी कोई ऐसा कहे तो असहज महसूस न करें और उन्हें कहें, ‘आपकी सोच का लेवल मैच करना है अभी आंटी।’   

ये जो टैटू बनवाया है, इसे अपने दुप्पटे से ढक लो

पहले घरवालों से लड़कर फिर अपनी सेविंग्स से टैटू बनवाने पर भी अगर आपको ये सुनने को मिलता है तो हम समझ सकते हैं, उस वक़्त कितना गुस्सा आता है। तो ऐसा कहने वाली आंटियों से ज़रा पूछें, ‘क्यों, आपकी हाथो पर बने मेहँदी के टैटू के लिए क्या कहा लोगों ने।’    

तुमने यही ड्रेस लास्ट वेडिंग में भी पहनी थी ना? 

‘और यही सवाल आपने लास्ट वेडिंग में भी किया था ना?’ ऐसे लोगो का मुँह बंद करने के लिए इतना ही काफी है। मुझे समझ नहीं आता क्यों लड़कियों से परफेक्ट मेक अप, हेयरस्टाइल, ब्रांड न्यू डिज़ाइनर ड्रेस की उम्मीदें की जाती है। क्या हम सब्यसाची की कोई मॉडल है?

तुम्हें उस लड़के के साथ रात में देखा था, बॉयफ्रेंड है क्या?

और वो दूरबीन जैसी नज़रों वाली आंटी के इस तरह के सवालों के लिए तो किसी फेस्टिवल या शादी के सीज़न का होना भी ज़रूरी नहीं है। ख़ैर, डिअर आंटी जी, मेरे घरवाले आपसे मुझ पर नज़रें ना टिकाये रखने के लिए कहेंगे।  

और फिर आपसे कहेंगे, बेटा जी, लड़कियों का इतना बोलना शोभा नहीं देता। तुम्हें देखकर लगता है तुम्हारे ससुराल वालों को बहुत अडजस्ट करना पड़ेगा, blah blah blah…. इन टोन्ट्स की लिस्ट तो बहुत लम्बी है। हर बार आपको कुछ नया ही सुनने को मिलता होगा। हर इंडियन लड़की को इन सवालों से गुज़रना पड़ता है। तो कमेंट करके बताएं क्या आप भी इस बार ये सब मिस कर रहे हैं? और आपने क्या क्या ज़वाब दिए है इन लोगो को?

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About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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