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साउथ एशियन विमेंस डे के लिए आयोजित ये फिल्म फेस्टिवल अब आप भी देख सकते हैं!

साउथ एशियन विमेंस डे को सेलिब्रेट करने के लिए संगत नेटवर्क और क्रीति फिल्म क्लब एक साउथ एशियन फेमिनिस्ट फिल्म फेस्टिवल आयोजित कर रहे हैं।

साउथ एशियन विमेंस डे को सेलिब्रेट करने के लिए संगत नेटवर्क और क्रीति फिल्म क्लब एक साउथ एशियन फेमिनिस्ट फिल्म फेस्टिवल आयोजित कर रहे हैं।

संगत नेटवर्क और क्रीति फिल्म क्लब अपना दक्षिण एशियाई नारीवादी फिल्म महोत्सव (साउथ एशियन फ़ेमिनिस्ट फिल्म फेस्टिवल) का शुभारम्भ आज से करने जा रहे हैं। ये 27 से 30 नवंबर 2020 तक ऑनलाइन आयोजित किया जायेगा। जेंडर बेस्ड वायलेंस के खिलाफ 16 दिनों तक चलने वाले वैश्विक अभियान के हिस्से के रूप में, 30 नवंबर को इस क्षेत्र में नारीवादी संघर्षों को याद करने के लिए ‘दक्षिण एशियाई महिला दिवस’ (साउथ एशियन विमेंस डे) मनाया जाता है। 

साउथ एशियन विमेंस डे को सेलिब्रेट करने के लिए ही संगत नेटवर्क और क्रीति फिल्म क्लब एक साउथ एशियन फेमिनिस्ट फिल्म फेस्टिवल आयोजित कर रहे हैं, जिसमें फीचर फिल्में, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट्स, एनिमेशन, और पैनल डिस्कशन, जैसे इवेंट्स ऑनलाइन हो रहें हैं जिसका हम सब हिस्सा बन सकते हैं। 

यह फेस्टिवल का पहला संस्करण है और इसमें फेस्टिवल के छह थीमों पर 29 फिल्मों को दिखाया जाएगा। इसके अलावा 2 पैनल डिसकशन भी आयोजित किये जायेंगे। इस उत्सव को आंचल कपूर और रीना मोहन द्वारा क्यूरेट किया गया है और क्रीति फिल्म क्लब द्वारा संगत नेटवर्क के समर्थन से ऑनलाइन किया जा रहा है। 

साउथ एशियन विमेंस डे के लिए 6 अलग अलग थीम्स को चुना गया है

साउथ एशियन फ़ेमिनिस्ट फिल्म फेस्टिवल में 6 अलग अलग थीम्स हैं – रिडिफाइनिंग आइडेन्टिटीज़, लेबरिंग लाइव्ज़, फ़्रेमिंग चाइल्डहुड, फैमिलीज़ एंड मेमॉरीज, रेजिस्टेंस एंड सॉलिडेरिटी, बियॉन्ड बॉर्डर्स। इनके तहत 29 फिल्में दिखाई जाएँगी। इस फेस्टिवल के क्यूरेटर कहते हैं, “कुछ पुरानी, कुछ नई और कुछ रीसेंट फिल्मों को फेस्टिवल में शामिल किया गया है ताकि हमें पता चले कि इसका दक्षिण एशियाई होने का क्या मतलब है।”

हिंदी सबटाइटल के साथ प्रदर्शित होने वाली फ़िल्मों की लिस्ट

साउथ एशियन विमेंस डे के तहत प्रदर्शित होने वाली फिल्मों में से कुछ हिंदी सबटाइटल के साथ फ़िल्में ये भी हैं – शाज़िया इक़बाल की ‘बेबाक’ (2019), मिताली त्रिवेदी और गगनदीप सिंह की ‘प्लीज़ माइंड द गैप’ (2018),  एकतारा कलेक्टिव के ‘चंदा के जूते’ (2011), तिशा देब पिल्लई द्वारा ‘इफ यू फॉल’ (2017), साबा देवान की ‘सीताज़ फैमिली’ (2002), नंदिता दास की ‘लिसन टू हर’ (2020), देबजानी की ‘अवेकनिंग ऑफ़ द गॉडेस’ (2020), वैशाली सिन्हा की ‘आस्क द सेक्सपर्ट’ (2017) आदि फिल्में दिखाई जायेंगी।  

पैनल डिस्कशन की थीम्स बहुत इंट्रेस्टिंग हैं

फिल्मों के अलावा, फेस्टिवल के दौरान दो पैनल डिस्कशन होंगे जिनकी थीम्स बहुत इंट्रेस्टिंग है। पहले पैनल डिस्कशन की थीम है, ‘माइनॉरिटी एंड क्वीर नैरेटिव्ज़’ इस पैनल में शज़िआ इक़बाल, ज़बीन मर्चेंट, गगनदीप सिंह और अनोमा राजाकरुणा हैं और इसे वाणी सुब्रमण्यन द्वारा संचालित किया जाएगा।

दूसरे पैनल में लुबना मरियम, सलीमा हाशमी, सपना प्रधान मल्ला, निमाल्का फर्नांडो और मिरियम चेंडी मेनचेरी शामिल होंगी और कमला भसीन द्वारा मॉडरेट  किया जाएगा। इस डिस्कशन की थीम है, ‘व्हॉट डज़ इट मीन टू बी अ साउथ एशियन टुडे’। 

साउथ एशियन विमेंस डे क्यों मनाया जाता है?

दक्षिण एशिया की महिलाऐं समान पितृसत्ता-संबंधी परेशानियों का सामना कर रही हैं। इसीलिए महिलाओं के रूप में एक समान पहचान बनाने के लिए, शांति, न्याय, मानव अधिकारों और लोकतंत्र की प्रतिज्ञा करने और हमारी उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए, विभिन्न दक्षिण एशियाई देशों की महिलाओं ने 2002 में 30 नवंबर को साउथ एशियन विमेंस डे के रूप में मनाने का फैसला किया। यह दिन, तब से पूरे दक्षिण एशिया में कई महिला समूहों और समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा मनाया जाता है।

तो हमारे साथ आप भी साउथ एशियन विमेंस डे का हिस्सा बनिए और इस फिल्म फेस्टिवल में आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लीजिए और एक कदम समानता की और बढ़ाइए।

मूल चित्र : Mienny from Getty Images Signature, via Canva Pro

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Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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