कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

तलाक के नये नियम 2021 अपने डिवोर्स पेपर्स साइन करने से पहले समझें!

यदि कोई भी शादी से नाखुश हैं तो उन्हें तलाक लेने का पूरा हक़ है। इसके लिए तलाक के नये नियम 2021 के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक है।

यदि कोई भी शादी से नाखुश हैं तो उन्हें तलाक लेने का पूरा हक़ है। इसके लिए तलाक के नये नियम 2021 के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक है।

तलाक कानूनी करवाई के माध्यम से रिश्ते से अलग होने की प्रक्रिया है। तलाक या डिवोर्स लेने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मनमुटाव, असहमतियाँ, घरेलु हिंसा, आदि। लेकिन अगर आप दोनों इस रिश्ते से आजाद होना चाहते हैं तो उसमें दूसरों की कोई ‘किन्तु’, ‘परन्तु’ की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। आख़िरकार इससे आपको आपकी शांति ही वापस मिलेंगी। तो अगर आप या आपके कोई जानकार तलाक़ लेना चाहते हैं तो उनके लिए सबसे पहले डाइवोर्स लॉज़ यानि तलाक़ के नियम जानना जरुरी है। 

भारत में तलाक के कानून दंपति के धर्म पर निर्भर करता है। हिन्दुओं में हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के अंतर्गत, मुस्लिम कम्युनिटी में मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939, से तलाक़ लेने का अधिकार है। वहीं इंटरकास्ट मैरिज के लिए विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के द्वारा फैसला सुनाया जाता है। इनके अलावा कुछ तलाक़ के नियम (divorce in hindi) हैं जो हर जगह समान हैं।

भारत में दो तरीके से तलाक़ लिया जा सकता है : पहला – आपसी सहमति से तलाक़, दूसरा – असहमति से तलाक़।    

2021 में आपसी सहमति से तलाक के नये नियम (2021 mein talak ke naye niyam)

अगर पति-पत्नी दोनों आपसी रज़ामंदी से तलाक़ लेना चाहते हैं तो वो बहुत आसानी से ले सकते हैं। इसके लिए दोनों का एक साल से अलग रहना सबसे पहला कदम होता है। उसके बाद वे कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। इसमें कोर्ट के समक्ष दोनों के बयान रिकॉर्ड करे जाते हैं और सिग्नेचर लिए जाते हैं। (talak ke niyam hindi me)

इसके बाद दोनों को पुनः विचार करने के लिए छह महीने का वक्त दिया जाता है। और छह महीने पूरे होने के बाद अगर वे तलाक़ लेना चाहते हैं तो कोर्ट में उनके तलाक़ को मंज़ूरी दे दी जाती है। हालांकि ये कूलिंग पीरीयड् ज़रूरी नहीं है। अगर दोनों पक्ष आपसी सहमति से एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं तो उन्हें 6 महीने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। इसमें बच्चे की कस्टडी के बारे में पति-पत्नी आपस में फैसला करते हैं। 

एकतरफा तलाक के नियम (Ek Tarafa Talak ke Niyam) 

अगर पति या पत्नी में से कोई अलग होना चाहता है तो वो कोर्ट में तलाक़ की याचिका दायर कर सकता है। इसके लिए आपको तलाक़ लेने के कारणों को स्पष्ट करना होता है। डाइवोर्स लॉज़ में इसके लिए कुछ आधार दिए गए हैं जिस पर पुरुष और महिला तलाक मांग सकते हैं। और कुछ विशेष आधार भी हैं जो केवल महिलाओं के लिए उपलब्ध हैं। भारत में एकतरफा तलाक के नियम जानने के लिए ये पढ़ें।

कैसे लें तलाक : तलाक प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है? (divorce process in hindi) 

सबसे पहले आपको जिस आधार पर डाइवोर्स (divorce) तलाक लेना है, वो सुनिश्चित करें और उसके सबूत जुटाना शुरू करें। इसके बाद कोर्ट में सारे कागजों और सबूतों के साथ अर्जी दाखिल करें। इसके बाद कोर्ट दूसरे पार्टनर को नोटिस भेजेगी। नोटिस के बाद अगर पार्टनर कोर्ट नहीं पहुंचता है तो मामला एकपक्षी रह जाता है और तलाक लेने वाले पार्टनर को कागजों के हिसाब से फैसला सुना दिया जाता है। 

वहीं अगर नोटिस के बाद दूसरा पक्ष कोर्ट पहुंचता है तो दोनों की सुनवाई होती है और ये कोशिश की जाती है कि मामला बातचीत से सुलझ जाए। अगर बातचीत से मामला नहीं सुलझता है तो केस करने वाला पार्टनर दूसरे पार्टनर के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल करता है।

लिखित बयान 30 से 90 दिन के अंदर होना चाहिए। इसके बाद दोनों पक्षों की सुनवाई होती है और सबूतों व दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट अपना अंतिम फैसला सुनाती है। ये प्रक्रिया कई बार कई समय तक खींच जाती है। इस तरह के तलाक़ में न्यायालय कस्टोडियल अधिकारों को तय करते समय बच्चे के हित में निर्णय लेती है।

तलाक के नये नियम 2021 के अनुसार तलाक आधार जो पति-पत्नी, दोनों पक्षों के लिए उपलब्ध हैं (talak ke naye niyam 2021)

  • पति या पत्नी में से कोई भी एक शादी के बाहर किसी अन्य के साथ में यौन संबंध बनाता है। इसे अडल्ट्री कहा जाता है। और अगर ऐसा है तो एक साबुत भी आपके तलाक़ लेने लिए काफी है। 
  • शादी के बाद अगर पति या पत्नी एक-दूसरे को किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक क्रूरता से नुक़सान पहुंचाते हैं, तो ऐसी स्थिति में भी डिवोर्स हो सकता है। इसमें खाना न खाने देना, अपशब्दों का उपयोग, बाहर न निकलने देना, बात करने पर मनाही, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना जैसे कई कारणों को तलाक़ के नियमों में शामिल किया गया है। 
  • यदि पति या पत्नी में से कोई सात साल या उससे अधिक समय से गायब हैं, तो उन्हें कानून की नजर में मृत मान लिया जाता है। यदि जीवित पति या पत्नी स्थानीय परिवार या जिला अदालत में यह मुद्दा उठाते हैं, तो यह तलाक के लिए एक वैध आधार बन जाता है।
  • शादी होने के बाद यदि एक पार्टनर दूसरे पार्टनर को बिना किसी उचित कारण के छोड़ दिया हो और वे दो साल से साथ में नहीं रह रहे हैं तो भी डिर्वोस हो सकता है। इसे डेज़रशन कहा जाता है। और सबसे अच्छी बात है कि डेज़रशन इमोशनल और फिजिकल भी हो सकता है जहाँ पति-पत्नी एक ही घर में रहते हैं लेकिन अपने पार्टनर से कोई सम्बन्ध नहीं रखते हैं। 
  • पति या पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति यौन रोगों का शिकार है और अगर साथ के साथ में यौन संबंध बनाने से यह रोग फैल सकता है, तो ऐसी स्थिति में तलाक दिया जाता है।
  • यदि पति या पत्नी में से कोई एक दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाता है तो धर्म परिवर्तन के आधार पर भी भारत में डाइवोर्स लॉज़ में डिवोर्स दिया जा सकता है। साथ ही, अगर पति या पत्नी धार्मिक, आध्यात्मिक या किसी अन्य कारण से दुनिया का त्याग करते हैं तो पार्टनर तलाक़ के लिए अर्ज़ी कर सकते हैं। ये तलाक़ के कानून में ‘कन्वर्जन और त्याग’ के रूप में लिखित है। 
  • अगर पति या पत्नी में से कोई मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो ये भी तलाक़ का आधार बन सकता है। लेकिन अगर शादी से पहले पार्टनर की इस हालत का पता है तो तलाक़ के अर्ज़ी नहीं डाल सकते हैं। मानसिक अस्वस्थता एक ब्रॉड केटेगरी है और मेन्टल हेल्थ एक्ट, 2015 के अंदर आती है। ऐसे मामलों में कोर्ट में सुनवाई जल्दी होती है।

पहली शादी खत्म किये बिना यदि पति दूसरी शादी कर लेता है, तो पत्नी तलाक़ के लिए कोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल कर सकती है। तलाक के रूल में ध्यान दे, यह कानून मुस्लिम धर्म की महिलाओं पर लागू नहीं होता है क्योंकि मुस्लिम कानून में सीमित बहुविवाह की अनुमति है।

बाल विवाह के मामलों में, अगर पत्नी पंद्रह साल से ऊपर और अठारह साल से कम उम्र की है, तो वे भी तलाक़ के लिए अर्ज़ी डाल सकती हैं।

ध्यान दे, पत्नी खुद के लिए और अपने बच्चे के लिए एक मेंटेनेंस याचिका दायर कर सकती है। अदालत पति के वेतन, उसके रहने के खर्च, उसके आश्रितों आदि जैसे मुद्दों पर विचार करने के बाद पत्नी का मेंटेनेंस तय करती है। इसके अलावा साथ में खरीदी गयी संपत्ति का बंटवारा भी तलाक़ की प्रक्रिया के दौरान किया जाता है।

कोई भी कदम उठाने से पहले उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेना अति आवश्यक होता है। इसीलिए अगर आप तलाक़ लेना चाहते हैं तो भारत में सन 2021 में तलाक के नये नियम सबसे पहले जानें और इसकी जानकारी जरुरतमंदों तक अवश्य पहुँचाये।

मूल चित्र : AndreyPopov from Getty Images Pro, via Canva Pro

इस लेख से जुड़े अन्य लेख यहां पढ़ें :

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

136 Posts | 566,554 Views
All Categories