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हमारे पाठकों का मानना है कि 2020 ने हमें विलासिता के बिना जीने का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया और एक नए नज़रिये से जीवन को देखने का मौका दिया।
2020 एक ऐसा साल है जिसने ज़िंदगी के एक अलग मायने प्रस्तुत किए हैँ। 2020 ने काफी उत्तार चढ़ाव दिखाए हैं, परंतु हम सबने कुछ ना कुछ सीखा ज़रूर है। फिर चाहे वो वापस लिखना हो, पढ़ना हो या सेहत का ख्याल रखना हो।
जैसे जैसे हम 2020 को विदाई देने के करीब आ रहे हैं वैसे वैसे हमारे मन में यह उम्मीद भी जग रही है कि 2021 नयी उम्मीदें और आशाएँ लेकर आएगा। कहते हैं बुरा वक्त भी हमें कुछ न कुछ सीख देकर जाता है। 2020 में वियश्विक महामारी ने अपना प्रकोप दिखाया लेकिन इस निराशा में आशा भी बहुत से लोगों ने ढूंढ ली।
इसी से जुड़ा एक सवाल हमने अपने पाठकों से किया था, आपके कमैंट्स से पता चला कि आप सभी ने इस निराशा में आशा को ढूंढ लिया है। इन्हीं में कुछ कमैंट्स को चुन कर देश के हर तबके की महिलाओं और लड़कियों की बात आप तक पहुंचा रहे हैं। इन्हे पढ़िए और जानिये कैसे आपके जैसे और महिलाओं ने उत्साह से अपना जीवन परिपूर्ण रखा।
“वर्ष 2020 ने हमे स्वयं पर विश्वास करना सिखाया। काम वाली से लेकर हलवाई, टीचर, हर क्षेत्र में हम काम कर सकते है, बस लगन होनी चाहिए। रिश्तों की अहमियत दूरियों ने ही समझाई। प्रकृति कितनी क़ीमती है ये भी समझाया। सीमित साधन में जीवन जीने की कला सिखाई और इच्छाओं पर अंकुश लगाना सिखाया।”
“वर्ष 2020 ने एक शिक्षक के रूप में हमे उन छोटी छोटी बातों को फिर से सिखाया हैं जिन्हें हम खुद को बड़ा समझकर भूल गए थे। 2020 ने सिखाया की प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना कर, गरीब को गरीब समझ कर उसका अपमान ना कर। किसी से अपशब्द बोलकर उसके आत्मसम्मान को ठेस मत पहुँचा। माना आज तू धन सम्पदा से परिपूर्ण हैं लेकिन जितना है उतने में खुश रहने की कोशिश कर। हमेशा अपने से ऊंचे वाले को नहीं नीचे वाले को देखकर चल। ज़रूरतमंदों की सेवा कर, क्योंकि जो देगा वही पायेगा। पहले थोड़ा था तो खुशियाँ ज़्यादा थीं परन्तु आज सब कुछ होने पर भी वो पहले वाली खुशी नहीं मिलती। यह सब फिर से वर्ष 2020 ने याद दिला दिया जो हम विलासितापूर्ण जीवन मे भूल गए थे।”
“बचपन से लेकर 2020 तक, पितृसत्तात्मकत्ता में चूर व्यक्तियों के चेहरों ने ही मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।”
“वर्ष 2020 ने सेहत और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना सिखाया। इसके साथ ही यह भी सीखा कि जीवन की मूल भूत जरूरतें बहुत कम हैं। कई महीने सैलरी आधी ही मिली और उसी में काम चलाना सीखा। विलासिता से दूर होने में कठिनाई तो हुई पर उनके बिना काम चलाना असम्भव नहीं रहा। शायद आज से चालीस पचास साल पहले की जीवन शैली लौट आई है। जब सादा जीवन-उच्च विचार का महत्त्व था।”
2020 ने भले ही हमें घरों में कैद कर दिया लेकिन हमें नयी शिक्षाएँ बहुत दी। इसी तरह आशा में निराशा ढूँढ़ते-ढूँढ़ते ये निराशा के बादल भी छट जायेंगे।
मूल चित्र: Ketut Subiyanto via Pexels
Political Science Research Scholar. Doesn't believe in binaries and essentialism. read more...
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