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बस अब बहुत सह लिया, अब और नहीं सहना है मुझको, नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको...अब सहारा बनना है मुझको...
बस अब बहुत सह लिया, अब और नहीं सहना है मुझको, नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको…अब सहारा बनना है मुझको…
लड़की बनकर जन्मी, इसमें क्या है मेरा दोष? अनहोनी भी मुझ संग घटती, और निकलता भी मुझ पर ही रोष।
इस निर्दयी, अंधे जमाने से, मैं पूछती बस चन्द सवाल, जानती हूं इन सवालों पर भी, निश्चित ही उठेगें बवाल।
क्यूँ निकलती है रात में? तो दिन में क्या महफूज़ हूँ मैं?
जीन्स, स्कर्ट पहनोगी तो यही होगा! तो साड़ी,सूट में क्या महफूज़ हूँ मैं?
लड़कियों का बोलना ज़रुरी है क्या? तो चुप रहूँ तो क्या महफूज़ हूँ मैं?
बराबरी करना ज़रुरी है क्या? तो पीछे ही रहूँ तो क्या महफूज़ हूँ मैं?
लिफ्ट माँगनी ज़रूरी थी क्या? तो बस या ऑटो में क्या महफूज़ हूँ मैं?
ज्यादा मॉडर्न बनोगी तो यही होगा तो पिछड़े रहने में क्या महफूज़ हूँ मैं?
लोगों के साथ घूमोगी तो यही होगा। तो अपनों के बीच क्या महफूज़ हूँ मैं?
बाहर निकलेगी तो यही होगा। तो अपने ही घर में क्या महफूज़ हूँ मैं?
हैवानियत जब होती सवार तब नहीं देखते मेरी जाति या धर्म। आत्मा तक कुचल जाती जब मेरी , मुद्दा केवल जाति होता, कौन जाने मेरा मर्म?
कोई देश, शहर, गाँव, मौहल्ला, है कहीं, जहाँ महफूज़ हूँ मैं? दुनिया में आने पर तो छोड़ो, कोख में भी क्या महफूज़ हूँ मैं?
बस अब बहुत सह लिया, अब और नहीं सहना है मुझको। नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको।
नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको…
मूल चित्र : menonsstock from Getty Images, via CanvaPro
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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