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मुझमें लाखों बुराई हो, पर गौर करो होंगी कुछ तो अच्छाई। कहते हैं, बुरा वक्त कुछ सिखा कर है जाता। अगर मैं नहीं आता तो 2021 कैसे आता?
मैं वर्ष 2020 हूँ, नफरत से मुझे लोग कोरोना इयर कह कर बुलाते हैं।
कड़वी यादों से भरा, ले रहा हूँ अब तुमसे विदाई। मुझसे नफरत करने का हक है तुमको, क्यूंकि मुझमें भरी हैं लाखों बुराई।
करीबी रिश्तों में मैने बढ़ा दी इतनी दूरी, अजीज़ के मरने पर ना पहुंचने की मजबूरी।
चाहोगे बिसारना मुझको अपनी यादों से, मुकरें हैं कई करीबी ऱिश्ते अपने वादों से।
कितनों का सुख, आराम, कारोबार छीना, माता-पिता, भाई-बहन और घरबार छीना।
खाने को मुँह में भले ना हो निवाला, ज़रा सी खाँसी ने जान से मार डाला।
हर कोई कर रहा बस यही इन्तज़ार। कब जाऊँगा मैं, कब लौटेगी बहार।
भले ही रही हों मुझमें लाखों बुराई, पर गौर करो होंगी कुछ तो अच्छाई।
तुमने जो पर्यावरण को किया था दूषित, नदियों का पानी कर दिया प्रदूषित।
ज़हर घुल गया था, साँस लेना था भारी, मैने प्रकृति की सुन्दरता है सँवारी।
गाँव-शहर उजाड़े, उजाड़ दिए तुमने वन, मुश्किलों भरा अस्तव्यस्त कर दिया जीवन।
मेरे ही कारण तुम्हारे बच्चे घर आ गए, फास्ट-फूड छोड़कर घर के व्यंजन भा गए।
कहते हैं, बुरा वक्त कुछ सिखा कर है जाता। अगर मैं नहीं आता तो 2021 कैसे आता? अगर मैं नहीं आता तो 2021 कैसे आता?
तो आइये बढ़ते हैं नए कल की ओर, सुनहरे कल की ओर, ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ।
मैं समिधा नवीन, अपनी इस कविता के माध्यम से आपको नव वर्ष की शुभकामनाएँ देती हूँ।
मूल चित्र : Pixabay
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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