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बिहार की हुस्ना खातून के शब्दों में, "मैंने अपने घर से ही घरेलू हिंसा के खात्मे की शुरुआत कर लोगों को संदेश देने का काम किया है!"
बिहार की हुस्ना खातून के शब्दों में, “मैंने अपने घर से ही घरेलू हिंसा के खात्मे की शुरुआत कर लोगों को संदेश देने का काम किया है!”
सामाजिक और आर्थिक रूप से मुख्य धारा से कटे हुए बिहार के मधुबनी जिला में एक ऐसी घटना प्रकाश में आई है, जिसने ना सिर्फ कोरोना महामारी के दौरान महिला पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा दिखाए जा रहे नेतृत्व कौशलों को दर्शाने का काम किया है वरण समाज के अंदर घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को भी लगाम लगाने में मदद की है।
राष्ट्रपिता श्री महात्मा गाँधी ने हमें यह शिक्षा दी है की किसी भी बदलाव की शुरुआत खुद से करनी चाहिए, और गाँधी जी के सपने पर चलते हुए मैंने अपने घर से ही घरेलू हिंसा के खात्मे की शुरुआत कर लोगों को संदेश देने का काम किया है – हुस्ना खातून, वार्ड सदस्य, मधुबनी
हुस्ना खातून में यह बदलाव अचानक से नहीं आया और उन्हें भी उन सारी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा, संघर्षों का सामना करना पड़ा एवं अनुभवों से सीखना पड़ा जो किसी भी बड़े नेताओं की जीवनी में पढ़ने /देखने को मिलता है ।
यह कहानी है महिला जन प्रतिनिधि हुस्ना खातून की। हुस्ना खातून पति मोहम्मद हादी, उम्र 48 वर्ष, ग्राम खजुरी, प्रखंड रहिका, जिला मधुबनी, बिहार की रहने वाली हैं और वह खजुरी पंचायत, रहिका प्रखंड, वार्ड 03 जिला मधुबनी, बिहार की वार्ड सदस्या हैं। वह अनपढ़ हैं तथा उनका परिवार बेहद गरीब है। वह परिवार वालों के खिलाफ पहली बार चुनाव लड़ीं, जिसमें रिकार्ड मार्जिन से जीत हासिल कर, वार्ड सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं।
हुस्ना खातून ने अपनी बेटी नाजनी खातून की शादी पांच वर्ष पूर्व मुस्लिम रीति रिवाजों के साथ बड़े ही खुशनुमा माहौल में मोहम्मद जुबैर, पिता मोहम्मद उबैस, ग्राम रजौड़ा, प्रखंड क्योटी, जिला दरभंगा, बिहार के साथ की थी। शादी के दो वर्ष तक सब ठीक ठाक रहा लेकिन उसके बाद हुस्ना खातून का दामाद और दामाद के पूरे परिवार के द्वारा हुस्ना खातून की बेटी नाजनी खातून के साथ मार पीट शुरू कर दिया गया और मायके से रुपया लेने के लिए कहा जाने लगा।
इस दरम्यान हुस्ना खातून की बेटी नाजनी खातून को अपने पति मोहम्मद जुबैर से तीन संताने भी हुईं। दिनांक 24 जुलाई 2020 को नाजनी खातून को पुनः उसका पति मार पीट कर घर से बाहर कर दिया और तीनों बच्चों को अपने पास रख लिया। नाजनी खातून रोती हुई अपनी मां हुस्ना खातून के पास आ गई।
कोरोना के पहले अनलॉक डाउन चरण में जब चैम्पियन सभा की बैठक में घरेलू हिंसा मुद्दे के ऊपर चर्चा की गई तब मुझे समझ में आया की घरेलू हिंसा सिर्फ परिवार ही नहीं वरन समाज को भी प्रभावित करता है । अब तक वह घरेलू हिंसा को परिवार का निजी मामला ही समझती थी एवं किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से परहेज करती थी – हुस्ना खाातून
कोरोना महामारी के दौरान जब महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव एवं घरेलू हिंसा की जानकारी एवं महिलाओं को इस कुचक्र से निकालने की प्रेरणा मिली तो सबसे पहले उन्हें लगा की सबसे पहले इस अभियान की शुरुआत अपने घर एवं अपनी बेटी को न्याय दिलाकर करनी चाहिए ताकि दूसरे समुदाय के सदस्यों को भी यह प्रेरणा मिले की यह मुद्दा कतई बर्दाश्त करने योग्य, किस्मत भरोसे या परिवार का निजी मामला नहीं है।
चैम्पियन परियोजना द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भागीदारी, सामाजिक गतिविधियों के आयोजन ने उनके अंदर के नेतृत्व क्षमता एवं आत्मविश्वास में काफी बढोत्तरी कर दी थी। अब हुस्ना खातून को अपने इन गुणों का प्रयोग कर अपनी बेटी को न्याय दिलाना था। उन्होंने अपनी बेटी के साथ हो रहे घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की निर्णय लिया और माननीय मंत्री महोदय समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार को ईमेल के माध्यम से लिखित रूप में शिकायत भेजा, साथ ही 181 पर फोन कर भी महिला हेल्प लाइन में शिकायत भी दर्ज करवाई । उनका कहना था कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक लड़ती रहूंगी और प्रयास करूंगी कि समाज में किसी अन्य महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं भविष्य में न होने पाएँ।
हुस्ना खातून के द्वारा अपनी बेटी के साथ हो रहे घरेलू हिंसा के खिलाफ उठाई गई आवाज कामयाब हुई एवं उनकी मंत्री महोदय से की गई शिकायत का तुरंत असर देखने को मिला जब जिला प्रशासन के द्वारा अगस्त 2020 के प्रथम सप्ताह में महिला सहायता एवं परामर्श केंद्र मधुबनी के द्वारा हुस्ना खातून और उनकी बेटी नाजनी खातून को बुलाया गया। उनसे मौखिक रूप से पूछताछ करने के बाद उनको कहा गया कि वह अपनी शिकायत लिखित रूप में दें और मंत्री महोदय को भेजा हुआ आवेदन भी साथ में लगा दें।
हुस्ना खातून तय तिथि को अपनी बेटी के साथ महिला सहायता एवं परामर्श केंद्र मधुबनी में उपस्थित हुईं। उक्त तिथि को नाजनी खातून के ससुराल पक्ष यानी उनका पति मोहम्मद जुबैर एवं उनके परिवार के अन्य सदस्य को भी महिला सहायता एवं परामर्श केंद्र मधुबनी में बुलाया गया था। लिहाजा दोनों पक्षों को आमने सामने बैठा कर सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान महिला सहायता एवं परामर्श केंद्र में नाजनी खातून का पति मोहम्मद जुबैर एवं उनके परिवार के सदस्यों ने स्वीकार किया कि हमसे गलती हुई है ,और आगे भविष्य में दुबारा फिर मारपीट, गाली गलौज,अपमानित तथा अन्य किसी प्रकार से उत्पीड़न नहीं करने के शर्तों के साथ नाजनी खातून को ससम्मान रखने के लिए तैयार हो गया।
नाजनी खातून अपने पति एवं बच्चो के साथ रहना चाहती थी और इसके लिए वह हमेशा कोशिश भी करती रहती थी इसलिए महिला सहायता एवं परामर्श केंद्र के द्वारा मोहम्मद जुबैर को हिदायत एवं शुभकामनाओं के साथ आदेश दिया कि वह सम्मान पूर्वक अपनी पत्नी नाजनी खातून को अपने साथ रखें। फलस्वरूप नाजनी खातून फिर से अपने पति एवं बच्चो के साथ खुशियों से भरी जिंदगी जीने लगी है।
चैंपियन परियोजना की गतिविधि के परिणाम से नाजनी खातून की डूबती हुई जिंदगी और बिखरता हुआ परिवार बच गया तथा हुस्ना खातून को अपनी कामयाबी पर गर्व हुआ और चैंपियन परियोजना को दोहरी उपलब्धि हासिल हुई ।
आज हुस्ना खातून अपने समुदाय को भी घरेलू हिंसा एवं अन्य लिंग आधारित भेदभाव के ऊपर जागरूक, परिवारों को परामर्श एवं महिलाओं को हिम्मत और हौसला देने का कार्य कर रही हैं ताकि वे इस असमानता एवं भेदभाव के ऊपर अपनी आवाज बुलंद कर सकें और अपने विरूद्ध हो रही हिंसा को खत्म करने का प्रयास कर सकें।
सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज(सी थ्री) एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था है जो महिलाओं एवं लड़कियों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने के लिए पिछले तीस वर्षों से कार्यशील है। संस्था के द्वारा विगत दो वर्षों से बिहार के दस जिलों में चैम्पियन परियोजना के माध्यम से 2000 से ज्यादा महिला जन प्रतिनिधियों को उनके पंचायतों में स्थानीय स्वास्थ्य, पोषण, लैंगिक, शिक्षा, सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को चिन्हित कर उन्हें दूर करने के लिए क्षमतावान बनाने का प्रयास किया जा रहा है। चैम्पियन परियोजना ने हुस्ना खातून की नेतृत्व क्षमता एवं मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण, परिवार नियोजन, घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव इत्यादि से संबंधित मुद्दों पर् जानकारी एवं समझ विकसित कर उनके अंदर अदम्य जोश और साहस भरने का काम किया है।
मूल चित्र : By Author
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