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मैरिटल रेप के खिलाफ इंसाफ मांगती है वेब सीरिज़ क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2

क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2 के संवाद बार-बार यह सवाल पूछते हैं कि आखिर पुरुष अच्छी बीबी तो चाहते है पर अच्छे पति क्यों नहीं होना चाहते?

क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2 के संवाद बार-बार यह सवाल पूछते हैं कि आखिर पुरुष अच्छी बीबी तो चाहते है पर अच्छे पति क्यों नहीं होना चाहते?

क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2 : बिहाइंड द क्लोज्ड डोर डिज्नी प्लस हांटस्टार पर कल रिलीज हुई। कमाल के कलाकारों की अभिनय से सजी औरत की गरिमा, आत्मसम्मान, उसके अस्तित्व पर बात करती हुई कहानी है जिसमें कोर्ट रूम के अंदर पीड़ित महिला के साथ हुई उस हिंसा पर बात करती है जिसपर हाल के दिनों में बहस शुरू हुई है। वह बहस है -मेरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार।

इस कहानी में क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 1 के कुछ कलाकार पुराने है जैसे पंकल त्रिपाठी, अनुप्रिया गोयनका, मीता वशिष्ठ और पंकज साराश्र्वत। इन सभी का अभिनय प्रभावित तो करता ही है साथ ही इस सीजन में अभिनय करने वाले कलाकार कीर्ति कुल्हारी, जिशू सेन गुप्ता दीप्ति नवल, आशीष विधाथी, जीत सिंह पलावर और कल्यासणी भी अपनी अदाकारी की छाप छोड़ते हैं।

40 से 53 मिनट के आठ एपिसोड में लेखक अर्पूवा असरानी और निर्देशक रोहण सिप्पी एंव अर्जुन मुखर्जी ने भारतीय समाज में विवाह व वैवाहिक संबंधों के बीच की पतली डोर जहां हर परिवार की कई कहानियां छुपी हुई हैं, जिसपर समान्य रूप से हम कह देते हैं, “पति-पत्नी का आपसी मामला है”, उसके बीच के एक सच की कहानी कहने की कोशिश की है। पत्नी आदर्श पत्नी की एक सफेद चादर ओढ़ी हुई रहती है जिसके पीछे हिंसा और पीड़ा वह पत्नी छुपाए होती है। इसलिए इस सीजन का नाम बिहाइंड द क्लोज्ड डोर रखा गया है, दरवाजे के पीछे की कहानी। पूरा का पूरा सीज़न इतना कंसा हुआ है कि वह शुरुआत से अंत तक बांध कर रखता है।

पूरी सीज़न के कुछ संवाद जैसे ज़हन में अटक से जाते हैं 

पहला संवाद : आशीर्ष विधार्थी और मीता वशिष्ठ का जिसमें आशीष विधार्थी का चरित्र मीता वशिष्ठ से कहता है, “हमारे कानून में मैरिटल रेप कोई जुर्म नहीं है।”

दूसरा संवाद : पति-पत्नी पुलिस अफसर जीत सिंह पलावर और कल्यासणी मुले के बीच का है जिसमें कल्यासणी मुले अपने गर्भवती होने की बात बताती है और कहती है, “मै बीबी हूं तुम्हारी मगर तुम उसका मतलब नहीं समझते हो।”

तीसरा संवाद : मीता वशिष्ठ आशीष विधार्थी से कहती है, “बतौर वकील आपको नहीं लगता कि कानून सिर्फ पुरुषों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बना है?”

तीनों  संवाद सवाल तो खड़ा करता है कि सालों से इस देश में एक औरत के अस्तित्व को कितना दबाया गया है। साथ ही एक उम्मीद भी देता है कि अगर आधी आबादी अपने खिलाफ हुए हिंसा के लिए अदालतों के चौखट पर पहुंचेगी तो परतों में दबी हुई कई कहानियां सामने आएगीं तो भविष्य में महिला अधिकारों के लड़ाई के संघर्ष को मजबूत करेगी।

यह संवाद बार-बार यह सवाल पूछते हैं कि आखिर मैरिटल रेप हमारे कानून में अपराध क्यों नहीं है?  पुरुष अच्छी बीबी तो चाहते है पर अच्छे पति क्यों नहीं होना चाहते है?

क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2 की कहानी 

विक्रम चंद्रा(जिशू सेन गुप्ता) एक इज्जतदार वकील है उसकी पत्नी अनुराधा चंद्रा(कीर्ति चंद्रा) और बारह साल की बेटी रिया चंद्रा(आदिजा सिन्हा) है। आदिजा की करीबी सहेली रिद्धि है जिसके पिता डां मोक्ष शहर के मनोचिकित्सक है जो अनुराधा का इलाज भी कर रहे हैं। विक्रम चंद्रा की मां विधा चंद्रा(दीप्ति नवल) और भाई ध्रुव से अलग रहते हैं। यह कहानी का खूबसूरत हिस्सा है, जहां सब कुछ खूबसूरत है।

कहानी का दूसरा हिस्सा है कि विक्रम चंद्रा अपनी पत्नी पर हर तरह से निगरानी करता है और उसको कंट्रोल करता है। वह यह इतनी खूबसूरती से करता है कि अनुराधा और उसकी बेटी रिया चंद्रा को लगता है वह उसका ख्याल रखता है। न ही अनुराधा न ही रिया यह समझ पाती है वह अब्यूज़ करता है।

एक दिन अनुराधा के मन की घुटन अपनी सीमा तोड़ देती है और वह विक्रम का खून कर देती है। जेल जाकर मैटरेटल रेप को शर्मिदगी के चादर में छिपाने की भरपूर कोशिश करती है इसलिए अपने वकील माधव मिश्रा(पंजज त्रिपाठी) और निखत हुसैन (अनुप्रिया गोयंका) को कुछ भी खुल कर नहीं बताती। वह खून क्यों करती हैं, आगे क्या होता है जानने की लिए आपको ये वेब सीरीज़ देखनी होगी। 

अनुराधा जैसी कई महिलाएं किस शर्मिदर्गी के कारण मैरिटल रैप और बाकी हिंसाओं को झेलती हैं? हमारी न्यायिक व्यवस्था अपने तमाम दावों के बाद भी महिलाओं को सुरक्षा की गारंटी क्यों नहीं दे पाता? तमाम तरह के अपराधों के जांच में पुलिस किस तरह पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर जांच करती है? जेल के अंदर महिलाएं किस तरह के दम घोटू महौल में जी रही होती है? किसी भी तरह के हिंसा के खिलाफ महिलाओं की चुप्पी उसे कहां तक ले जा सकती है?

इस सभी सवालों को एक कहानी के माध्यम से बेहतरीन तरीके से पिरोने की कोशिश इस सीज़न में हुई है। इन सब चीजों को अगर आप एक साथ देखना चाहते है तो यह क्रिमनल जस्टिस का यह सीज़न कहीं से निराश नहीं करता है।

अगर आप पंकज त्रिपाठी के अभिनय के कदरदान है तो उनका अभिनय और उनके साथ उनकी नई नवेली पत्नी रत्ना जो बिहार से उनके पीछे-पीछे मुबंई आ धमकती है और पति का रहन-सहन देख रोती नहीं है,अपने अधिकार को हासिल करने की लड़ाई हंसते हुए लड़ती है। दोनों ही अपने अभिनय से कहानी के मौजूद तनाव को हल्का कर देते है। कहानी का हर पात्र मुख्य कहानी के साथ अपनी भी कहानी साथ लेकर चलता है जो मुख्य कहानी के साथ-साथ तो  चलती है पर उसका रास्ता नहीं काटती है, अपना रास्ता वह खुद तय करती है।

क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2 : बिहाइंड द क्लोज्ड डोर वेब सीरिज के दुनिया में एक शानदार कहानी है जो न्याय पाने के लिए आधी आबादी को अपने आबाज़ बुलंद करने का संदेश देती है। आधी-आबादी को अपने ऊपर थोपी गई शर्मदर्गी के झीनी सी चादर को फेंकने का संदेश देती है। साथ ही साथ यह भी बताती है कि अगर उनको अपनी दुनिया खूबसूरत बनानी है तो अपनी चुप्पी हर हिंसा के खिलाफ तोड़नी होगी…

मूल चित्र : Screenshot of Trailer, YouTube

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