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उम्मीदों भरे 2021 के इंतज़ार में देखें ये 21 हिंदी शॉर्ट फिल्में यूट्यूब पर आज ही!

यूट्यूब की ये 21 हिंदी शॉर्ट फिल्में प्यारी हैं, पॉज़िटिव हैं और कुछ इमोशनली टचिंग हैं, साथ ही मिनटों में इनका संदेश आप तक पहुंच जाएगा।

यूट्यूब की ये 21 हिंदी शॉर्ट फिल्में प्यारी हैं, पॉज़िटिव हैं और कुछ इमोशनली टचिंग हैं, साथ ही मिनटों में इनका संदेश आप तक पहुंच जाएगा।

यूट्यूब की हिंदी शॉर्ट फिल्में सिनेमा का ऐसा हिस्सा हैं जिसने धीरे-धीरे अपने लिए एक ख़ास जगह बना ली है। कुछ ही मिनटों में कमाल करने वाली कुछ हिंदी शॉर्ट फिल्में वो भी यूट्यूब की, हम यहां आपके साथ साझा कर रहे हैं। इन फिल्मों को हमने इसलिए चुना है क्योंकि ये सभी फील गुड फिल्में हैं। बातों ही बातों में अपना संदेश इन फिल्मों के ज़रिए आप तक पहुंच जाएगा। ये क्यूट हैं, पॉज़िटिव हैं और कुछ इमोशनली टचिंग हैं।

नया साल हमारे दरवाज़े पर दस्तक देने ही वाला है। 2020 तो अपने साथ कुछ खट्टे पल भी लेकर आया लेकिन उसकी अच्छी यादों को साथ लेकर हमें अब आगे बढ़ना है। ऐसे में हम चाहते हैं कि ये यूट्यूब की हिंदी शॉर्ट फिल्में को देखकर आपका मन ख़ुश हो जाए और 2021 की आपकी शुरुआत ख़ुशहाल रहे।

ये 21 हिंदी शॉर्ट फिल्में आज ही यूट्यूब पर देंखे

मनोहर जी की निम्मी

अक्सर शादी में बंधे पति-पत्नी रोज़मर्रा के रूटीन में खोकर उस प्यार को भी भूल जाते हैं जिससे उनकी शुरुआत हुई थी। इसलिए कभी-कभी कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए। अधेड़ उम्र के मनोहर जी भी अपनी पत्नी निम्मी के लिए कुछ ऐसा ही करते हैं। ये शॉर्ट फिल्म पति-पत्नी के प्यारे से रिश्ते की पॉज़िटिव सी कहानी है जिसे देखकर आपके चेहरे पर ज़रूर मुस्कान आएगी।

कलाकार- सीमा पाहवा, दाउ दयाल, सिकंदर खान, शालिनी चौहान, संदीप सिंह

 

बोर्न फ्री

ये कहानी है समर्थ की जो बहुत कामयाब कॉरपोरेट हैं लेकिन उसके पास ख़ुद के लिए ही वक्त नहीं है। दूसरी तरफ़ है वान्या जो एक ब्लॉगर है और अपनी शर्तों पर अपना काम करती है। जब ये दोनों अनजान लोग एक-दूसरे से टकराते हैं तो ज़िंदगी के नए पहलुओं को बांटते हैं। बॉर्न फ्री वो कहानी है जिसे इस इंटरनेट जेनेरेशन को ज़रूर देखना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ने की रेस में हम सब अपनी सेहत, अपनी सांसें, अपने अपनों को कहीं पीछे छोड़ते जा रहे हैं।

कलाकार : सुमित व्यास, मुक्ति मोहन

 

खामखां

इंसान को अपना सच्चा साथी कब कहां मिल जाए पता नहीं होता और ये फिल्म उसी प्यारे से एहसास पर कही गई एक हल्की-फुल्की और पॉज़िटिव कहानी है। शहर का एक लड़का धूल फांकती सड़कों पर स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस में एक लड़की से मिलता है। उनकी बातें आपको इतनी खूबसूरत लगती हैं कि आप सुनते रहना चाहेंगे। तो क्या उन दोनों को एहसास होता है इस प्यार का या फिर नहीं इसके लिए ‘खामखां’ ये फिल्म देख ही लीजिए।

कलाकार : मंजरी फडनिस, हर्षवर्धन राणे

 

गोइंग डच

वो एक दूसरे से अलग है लेकिन उनके मां-बाप को लगता है कि उनका दोनों का मैच बेस्ट होगा। लेकिन क्या होता जब वो दोनों इस अरैंज मैरिज पर बात करने के लिए पहली बार मिलते हैं? ये फिल्म बहुत हल्के-फुल्के अंदाज़ में हमारे खड़ूस से समाज और मॉर्डन डे वूमेन की अनबन को दर्शाती है।

कलाकार : गुल पनाग, संजय राजौरा

खीर

ये कहानी प्यार और परिवार को लेकर दो जेनेरेशन की अलग-अलग परिभाषाएं बताती है। नानू को उनकी दोस्त के साथ देखकर नाति-नातिन थोड़े नाराज़ से हैं क्योंकि वो छोटे बच्चे ये नहीं समझते कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे प्यार भी परिपक्व होता रहता है और रिश्तों के मायने भी बदल जाते हैं। इस फिल्म में नाना और बच्चों की क्यूट सी मीटिंग मन को भा जाती है।

कलाकार : अनुपम खेर, नताशा रस्तोगी, अभिमन्यु चावला, स्तुति दीक्षित

खट्टी-मीठी

य़े शॉर्ट फिल्म मिष्टी की कहानी है जो अपने माता-पिता के घर से अब अलग अपने फ्लैट में शिफ्ट होने वाली है। उसकी मम्मी पैकिंग करते हुए कई नसीहतें देती है जिससे मिष्टी थोड़ा इरीटेड होती है लेकिन जब अपना सामान खोलती है तो मां के लिखे छोटे-छोटे नोट्स उसे ज़िंदगी की कई अनमोल बातें सिखाते हैं। एक मां अपनी बेटी को ना सिर्फ ज़िंदगी की मीठी बल्कि खट्टी बातों के लिए भी तैयार करती है। देखिए कैसे-

कलाकार : दीपिका अमीन, श्रेया गुप्तो

 

मेथी के लड्डू

ये कहानी उस मां की है जिसकी दोनों बेटियों का नज़रिया और भाग्य एक-दूसरे से बिलकुल अलग है। रसोई में खड़ी मां छोटी बेटी के आने वाले बच्चे के लिए लड्डू बना रही है और बड़ी बेटी मां नहीं बन पाने की वजह से दुखी भी है। लेकिन शुक्र है हमारी मांओ का जिनके पास हर मौके पर बनने वाला पकवान है और हम समस्या का निदान भी।

कलाकार : ज़रीना बहाव, अकांक्षा सिंह, अंजली बरोट

 

खाने में क्या है?

इस शॉर्ट फिल्म में मां-बेटी की दोस्ती का रिश्ता दिखाया गया है। मम्मी किचन में खाने की तैयारी कर रही है और बेटी हनीमून से लौटी है। मां ट्रिप के बारे में पूछती है तो बेटी अलग ही अंदाज़ में मम्मी को डिटेल देती है। सेक्स जैसे विषय अक्सर हम माता-पिता से कुछ कहने से कतराते हैं लेकिन बॉन्डिंग अच्छी हो तो ये भी आसान हो जाता है।

कलाकार : आयशा रज़ा मिश्रा, शिखा तलसानिया

फुलझड़ी

अपराजिता एक सफल कामकाजी महिला है जो दीवाली अपने मां-बाप के साथ मनाने के लिए घर लौटती है। उसके माता-पिता ख़ुश तो है लेकिन अपनी अनमैरिड बेटी की बच्चा गोद लेने वाली बात से थोड़ा झिझक सा जाते हैं। क्या अपराजिता का ये फ़ैसला उसके मां-बाप मानते हैं? ये फिल्म बहुत अंत ही बहुत ही प्यारा सा एहसास देती है।

कलाकार : आहना कुमरा, नवनी परिहार

 

कांदे-पोहे

ये शॉर्ट फिल्म मेरी पर्सनल फेवरेट है। बहुत ही फील गुड पिक्चर है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे दो परिवार बेटे-बेटी के साथ अरेंज मैरिज के लिए मिलते हैं। संजय और मनीषा की ये पहली मुलाकात पढ़ने में नहीं देखने में ही अच्छी लगेगी।

कलाकार : एहसास चन्ना, तुषार पांडे

 

डिलीवरी गर्ल

अपने पति के अचानक नौकरी छोड़ने पर आंचल बहुत गुस्से में है। लेकिन डिलीवरी गर्ल सुप्रिया जब अनजाने में अपनी लाइफ और पति से अपने रिश्ते के बारे में शेयर करती है तो ज़िंदगी को देखने का आंचल का रवैया ही बदल जाता है। पति-पत्नी के जिस रिश्ते को आंचल भौतिकता में तौल रही है अब वह सब धुंआ छंट जाता है।

कलाकार : वैभवी उपाध्याय, कृतिका देव

 

लाफ

हम क्या थे और क्या बन गए हैं, पहले के समय में एक इंसान दूसरे इंसान की भावनाओं को किस कदर समझता था और कैसे ज़िंदगी की छोटी-छोटी बातों के मायने भी समझता है। यही कहानी है इस फिल्म की। देखकर ही समझ में आएगा कि इस भागदौड़ में हम कैसे खो गए हैं।

कलाकार : संजय मिश्रा, शीबा चड्ढा, व्रजेश हीरजी, बृजेद्र काला

https://www.youtube.com/watch?v=eAVlNzgxCHs&pbjreload=101

 

स्टॉप स्मेंलिंग योर सोक्स 

ये शॉर्ट फिल्म है तो बहुत पुरानी लेकिन देखने वाली है। इनमें एक शख्स की सिंपल की कहानी है कि कैसे वो अपने सफर में विंडो सीट पाने के लिए हर कोशिश करता है लेकिन पता नहीं कामयाब हो पाता है या नहीं। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जब एक्टिंग करियर के स्ट्रगलिंग दौर में थे ये तब की है लेकिन नवाज़ तब भी कमाल के थे।

कलाकार : नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, परीक्षित

 

लड्डू

ये फिल्म भी मेरी पसंदीदा शॉर्ट फिल्मों की लिस्ट में है। एक बच्चे के मासूम से सवालों के जरिए ये फिल्म सभी धर्मों में समानता की बात करती है। इस छोटी सी फिल्म में बेहद प्रभावशाली ढंग से ‘ईश्वर और अल्लाह एक हैं’ का मैसेज दिया गया है। देखेंगे तो ही समझ पाएंगे।

कलाकार : कुमुद मिश्रा, कबीर साजिद, मानसी पारेख

मुंबई-वाराणसी एक्सप्रेस

ये फिल्म ज़िंदगी के प्रति आपको और आशावादी बनाती है। कैंसर से जूझ रहे कृष्णकांत निराश होकर परिवार से दूर बनारस मोक्ष के लिए चले जाते हैं। लेकिन यहां उन्हें ऐसे लोग मिलते हैं जो उन्हें जीने की नई राह दिखाते हैं। ये थोड़ी इमोशनल ज़रूर है लेकिन अगर पॉज़िटिव नज़रिये से देखेंगे तो हमेशा के लिए आपका नज़रिया बदल देगी।

कलाकार : दर्शन ज़रीवाला, शेखर शुक्ला, विवेक सिंह

 

टिंडे

ये प्यारी सी कहानी है नए प्यार की खोज में निकले एक शादीशुदा आदमी की। ऑनलाइन डेटिंग से कैसे ये आदमी एक लड़की से मिलता है और कैसे इसे अपनी पत्नी से प्यार का एहसास होता है, ये देखना बड़ा मसालेदार है।

कलाकार :अदा शर्मा, राजेश शर्मा, अश्विनी कालसेकर

इंटिरियर कैफे

12 मिनट की इस फिल्म में प्यार का हर एहसास चखने को मिलेगा। एक कैफे में बैठे वो लड़का-लड़की चंद मिनटों में अपनी पूरी ज़िंदगी का कलाइडोस्कोप (Kaleidoscope) देख लेते हैं। इसे देखते-देखते आपको पहले समझ नहीं आएगा लेकिन जब आएगा तो अच्छा एहसास होगा।

कलाकार : नसीरूद्दीन शाह, शेरनाज़ पटेल, श्वेता बासु प्रसाद, नवीन कस्तूरिया

हेयरकट

एक आदमी बड़े से सैलून में किसी खास मौके के लिए हेयरकट लेने जाता है। सुनने में आसान लग रहा है ना लेकिन उसके लिए ये मुश्किल हो जाता है पर क्यों? ये फिल्म आपको हंसाते-हंसाते अफनी बात भी कह देती है।

कलाकार : इमरान राशिद, फायज़ा जलाली, कुणाल खेमू

 

जय माता दी

मुंबई में या कहीं भी किसी बैचलर लड़के-लड़की का लिव-इन के लिए घर ढूंढना पहाड़ पर नंगे पांव चढ़ने जैसा है। इतनी सारी शर्तें और सोसइटी वाले अंकल के पास चिट भी होती है और पट भी। लेकिन इन दर्जनों कानूनों के बीच मां है तो सब सही है। किराएदारों को सताने वाली दुनिया में ये मां मस्त आहे!

कलाकार : सुप्रिया पिलगांवकर, श्रेया पिलगांवकर, मनु ऋषि

नामकरण

‘Watch If Your Family Never Leaves You Alone…’ ये इसकी टैगलाइन है और यही इसका संदेश। घर में नई शुरुआत हो, कोई ख़ुशी हो या गम, परिवार वो पिलर है जो हमेशा आपके साथ खड़ा रहता है। तो चलिए परिवार के साथ इस सफर पर आपको भी ले चलें।

कलाकार : नमित दास, विक्रम कोचर

दादी

सना अहमद की ये शॉर्ट फिल्म इसलिए देखिए ताकि नए साल की शुरुआत में अपने साथ-साथ आप घर के बुज़ुर्गों के प्रति भी अपना रवैया बदलें। अगर आपको लगता है कि उनके होने से आपको परेशानी होती है तो ये याद रखिए कि बुढ़ापा औऱ बचपना एक जैसा ही होता है।

 

उम्मीद है आपको ये फिल्म्स देखने के बाद अच्छा महसूस हो और आपकी ज़िंदगी पॉज़िटिविटी से भर जाए। और जब आप इन्हें देख लें तो हमसे ज़रूर अपना फीडबैक शेयर करें।

मुस्कुराइए…आप नए साल में जाने वाले हैं। 2021 मुबारक हो।

मूल चित्र : Screenshot from the short films, Youtube

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