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साल के अंत में आई ऑनर किलिंग की ये खबर शायद आखिरी न हो…

ऑनर किलिंग के मामले कोर्ट तक बहुत कम पहुंचते हैं, शायद इसलिए सरकार के लिए यह एक गंभीर विषय नहीं है, तो अब क्या होना चाहिए?

ऑनर किलिंग के मामले कोर्ट तक बहुत कम पहुंचते हैं, शायद इसलिए सरकार के लिए यह एक गंभीर विषय नहीं है, तो अब क्या होना चाहिए?

साल के जाते-जाते एक ऐसी खबर आई है, जिससे आज भी समाज लड़ना चाहता है मगर लड़ नहीं पा रहा। आज भी प्रेमियों को मारने का सिलसिला इस कदर हावी है कि लोग इसे अपनी इज्ज़त से जोड़ चुके हैं। हरियाणा के रोहतक से खबर आई है कि कोर्ट में शादी करने जा रहे प्रेमी जोड़े को मार दिया गया और ऑन द स्पॉट किलिंग का नाम दिया गया। यह लोगों की मानसिकता निचली स्तर पर जा रही है कि लोगों को मार देने से उसे अपने आप पर गर्व महसूस होता है।

यह प्रेमी जोड़ा भी अपने रिश्ते को नाम देने जा रहा था मगर अब इनका नाम मृतकों में शामिल हो गया। लड़के की उम्र 25 साल थी और लड़की की उम्र 27 साल। यह दोनों बालिग थे मगर समाज और परिवारवालों की नज़र में इन्हें अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का अधिकार नहीं था। एक ओर सरकार वोटिंग के लिए यही लोग योग्य रहते हैं मगर अपने लिए जीवनसाथी चुनने की आज़ादी इन्हें नहीं होती है। सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होती कि उन्हें बचाने के लिए कड़े कानून का निर्माण करे मगर भारत में आर्नर किलिंग की सजा तय करने के लिए अलग से कोई कानून है ही नहीं। आर्नर किलिंग के लिए भी आईपीसी की धारा 300 ही लागू होती है।

नहीं जारी होते आर्नर किलिंग के आंकड़ें

ऑनर किलिंग का आंकड़ा अब लगता है कि आंकड़ों में समाहित नहीं रहता है क्योंकि इस हत्या को लोगों ने इज्ज़त से जोड़ा हुआ है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो ने भी आखिरी बार 2016 में ऑनर किलिंग के आंकड़े दिए थे। हालांकि उसके बाद के सर्वे में यह कैटेगरी ही हटा दी गई है। अब आप समझ सकते हैं कि सरकार के लिए यह चिंता का विषय नहीं है क्योंकि यह शायद पारिवारिक मसला होगा।

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा आर्नर किलिंग के मामले सामने आए। मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 18 रहा। यह साल 2016 के आंकड़े हैं। साल 2014 में 28, साल 2015 में 251 और साल 2016 में 77 रहा। यह सारे आंकड़े नेश्नल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से लिए गए हैं। बहरहाल एनसीआरबी का आखिरी डेटा 2017 का है, जो 2019 में जारी हुआ था। उसमें ऑनर किलिंग का कोई आंकड़ा नहीं दिया गया था। हालांकि उसकी जगह उन्‍होंने नई कैटेगरी जोड़ी, जिसमें प्रेम के नाम पर होने वाली हत्‍याओं का जिक्र था लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि देश में सबसे ज्‍यादा हत्‍याएं प्रेम के नाम पर ही हो रही थीं और आज भी हो रही हैं।

लोग घरों से भागने पर मजबूर

सरकारी आंकड़े तो चार सालों से आए नहीं हैं मगर एक गैर सरकारी संगठन ‘ऑनर बेस्‍ड वॉयलेंस अवेयरनेस नेटवर्क’ के आंकड़े कहते हैं कि भारत में हर साल 1000 ऑनर किलिंग की घटनाएं होती हैं, जिसमें से 900 अकेले उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में होती हैं। एनसीआरबी का आंकड़ा यह खुलासा तो नहीं करता कि कितने लोगों की हत्‍या हुई है लेकिन उसके एक डेटा से अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है कि कितने लोग खतरे में हैं क्योंकि एनसीआरबी का ही आंकड़ा कहता है कि साल 2018 में भारत में कुल 10,773 लोग प्रेम संबंधों के कारण अपने घरों से भाग गए। अब घरों से भागने की नौबत इसलिए ही आई होगी क्योंकि परिवार ने स्वीकार नहीं किया होगा।

नेटफिल्स पर भी एक फिल्म आई है, जिसका नाम है ‘पावा कढ़ईगल इसमें भी आर्नर किलिंग को दर्शाया गया है कि लोगों के लिए लड़की और जोड़ियों की हत्या करने का जुनून सवार रहता है। ऑनर किलिंग के 91 प्रतिशत मामलों में हत्‍या की शिकार लड़कियां होती हैं और 9 प्रतिशत केस ऐसे भी होते हैं, जहां लड़कों को भी ऑनर के नाम पर मार दिया जाता है।

अंतरजातिय विवाह से थमेगी यह रफ्तार?

आंकड़ों और कहानियों को अगर पढ़ते और लिखते जाएंगे तो केवल पन्नों पर स्याही का रंग गहरा होता जाएगा मगर बदलाव नहीं आएगा। मेरा मानना है कि ऑनर किलिंग को जड़ से खत्म करने का एक मात्र तरीका अंतरजातिय विवाह ही है क्योंकि तभी लोगों के मन से जाति की लकीर मिटेगी मगर लोग लोग शादी करने से पहले ही इज्ज़त के नाम पर बलि चढ़ा देते हैं।

कोर्ट ने सुनाया था फैसला

ऑनर किलिंग के मामले कोर्ट तक बहुत कम पहुंचते हैं, शायद इसलिए सरकार के लिए यह एक गंभीर विषय नहीं है। एक केस था, मनोज और बबली का जिसमें कोर्ट ने खाप पंचायत के खिलाफ फैसला सुनाया था।

पंचायत ने फरमान सुनाया था कि घरवालों के खिलाफ जाकर एक ही गोत्र में शादी करने वाले मनोज और बबली को जान से मार दिया जाए। इसके बाद ही बबली के भाइयों ने उसे और उसके पति को किडनैप कर मौत के घाट उतार दिया था। साथ ही बबली के सगे भाईयों ने उसे मारते हुए कीटनाशक पीने पर मजबूर किया था। यह तीन साल पहले का केस है और आज भी भारत वहीं है क्योंकि अब भी हत्याएं हो रही हैं। फर्क केवल इतना है कि अब आंकड़े नहीं आते सीधे मौत की खबर आती है।

दिल दहल उठेगा अगर आप एक-एक केस को जानेंगे। प्यार करना और अपनी मर्जी से शादी करना लोगों को क्यों बर्दाशत नहीं होता जबकि प्रेम में डूबे हुए लोगों मे ही दूनिया को नई भाषाएं दी हैं, उसे संवारा है।

प्रेम ही हकीकत है मगर लोगों को परेशानी

समाज में केवल पितृसत्ता को इसके लिए दोषी करार देना सरासर गलत होगा क्योंकि जब तब घर की नींव नहीं बदलेगी, तब तक बदलाव नहीं आएगा। लोगों को प्रेम को इज्ज़त से नहीं बल्कि खुशियों से जोड़कर देखना होगा। एक ओर लोगों को प्रेम में डूबे गाने पसंद आते हैं मगर प्रेम अगर हकीकत बन जाता है, तब लोगों को परेशानी होने लगती है।

उम्मीद है कि नए साल पर सरकार प्रेमियों के लिए कानून बनाएगी और उन्हें संरक्षित करने की दिशा में काम करेगी। मेरी मानें तो प्रेम करिए और अंतरजातिय विवाह को अपनाइए क्योंकि यह ही एक उम्मीद है, जिसके बल पर समाज से जाति व्यवस्था खत्म होगी और ऑनर किलिंग के मामले समाप्त होंगी।

मूल चित्र : 51countriesandcounting, via Canva Pro 

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