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मैं कुछ नहीं करती हूँ

मैं सचमुच कुछ नहीं करती। बस अपना तन-मन जीवन झोंक देती हूँ। यही सुनने को, कि दिनभर क्या करती हूँ।

मैं सचमुच कुछ नहीं करती। बस अपना तन-मन जीवन झोंक देती हूँ। यही सुनने को, कि दिनभर क्या करती हूँ।

लोग कहते हैं कि
मैं कुछ नहीं करती हूँ
क्योंकि मैं एक गृहणी हूँ।

घर में पूरे दिन सोती रहती हूँ।
बच्चे अपने आप पल जाते हैं।
घर अपने आप संवर जाते हैं।
पकवान अपने आप पक जाते हैं।
बुजुर्ग अपने आप संभल जाते हैं।

सामान सही जगह ,अपने आप पहुँच जाते हैं।
रिश्ते अपने आप निभ जाते हैं।
मकान से घर अपने आप बन जाते हैं।
मैं सचमुच कुछ नहीं करती।
बस अपना तन-मन जीवन झोंक देती हूँ ।
यही सुनने को, कि दिनभर क्या करती हूँ।
मैं सोती रहती हूँ।
मैं गृहणी हूँ।

मूल चित्र: Gagan Kaur via Pexels 

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