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आईवीएफ ट्रीटमेंट से अब बिना सेक्स के मां बनना संभव है। तो जानिये इस पर विशेषज्ञों की राय और आज की लड़कियों का क्या सोचना है...
आईवीएफ ट्रीटमेंट से अब बिना सेक्स के मां बनना संभव है। तो जानिये इस पर विशेषज्ञों की राय और आज की लड़कियों का क्या सोचना है…
कई लोगों का मानना है कि मां बनना इस दुनिया की सबसे सुखद प्रक्रिया है। एक मां बनते ही ऐसा लगता है कि हर खुशियां झोली में आ गईं हो। बच्चे से पहली बार मां शब्द सुनने की खुशी ज़्यादातर महिला महसूस करना चाहती हैं।
हम में से कई महिला को एक निश्चित उम्र के बाद मां बनने के सुख की चाहत होती है। उसे भी मातृत्व का एहसास करने की इच्छा होती है मगर हर बार यह संभव नहीं हो पाता है क्योंकि समाज ने मां बनने के लिए शादी का मापदंड निर्धारित किया है। हर एक लड़की की जब शादी होती है, तब अनेक लोगों की नज़रें उस पर टिक जाती है कि वह मां कब बनेगी मगर केवल शादी को मां बनने से जोड़ना गलत है क्योंकि मां बनना स्वयं की इच्छा पर निर्भर करता है।
कभी-कभी एक लड़की अपने करियर में इस कदर उलझ जाती है कि उसके पास शादी करने का वक्त नहीं होता। ऐसे ही धीरे-धीरे समय बीतने लगता है और उस लड़की पर शादी का दबाव बढ़ने लगता है, मगर शादी की इच्छा समाप्त हो गई रहती है। हालांकि केवल एक इच्छा जो मन में सांस लेती रहती है, वह होती है मां बनने की इच्छा मगर सामाजिक मापदंड के कारण एक लड़की की कामना अंदर ही अंदर घुट जाती है। साइंस भी कहता है कि हर एक स्त्री के मन में एक तय उम्र के बाद मां बनने की इच्छा प्रबल होने लगती है, मगर शादी की लकीर होने के कारण उसे अपनी इच्छाओं को मारना पड़ जाता है।
बिना शादी किए मां बनने को वर्जिन बर्थ कहा जाता है, जिसमें बिना सेक्स के मां बनना संभव होता है और इस प्रक्रिया का नाम है आईवीएफ – इन विट्रो फर्टिलाइजेशन। इस प्रक्रिया में एक महिला बिना शारीरिक संबंध बनाए मां बन सकती है। आईवीएफ में महिलाओं के अंडेदानी से अंडे निकालकर अंडो को स्पर्म से फर्टिलाइजेशन करवाकर एम्ब्रायो बनाया जाता है। यह सारी प्रक्रिया शरीर के बाहर टेस्ट ट्युब में होती है इसलिए इसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है। यह एम्ब्रायो जब थोड़ा विकसित हो जाता है, उसके बाद इसे महिला के युट्रस में डाल दिया जाता है ताकि उसकी ग्रोथ हो सके।
इस मुद्दे पर मैंने कुछ लड़कियों से बात कि इस बारे में उनकी क्या राय है, क्योंकि यह एक नया चलन है। इस पर कुछ लड़कियों ने बताया कि आजकल अच्छा लाइफ पार्टनर नहीं मिल पाता जिस कारण उन्हें वर्जिन बर्थ को चुनना पड़ता है। साथ ही शादी करने पर एक जिम्मेदारी हो जाती है, जिससे करियर में परेशानी होती है और जीवन का एक हिस्सा इसमें लग जाता है। अगर हम लड़कियां मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूत हैं, तो इस प्रक्रिया से मां बनने में कोई परेशानी नहीं है।
मुजफ्फरपुर बिहार की रहने वाली डॉली बतातीं हैं कि मां बनना बहुत हसीन लम्हा होता है और बच्चों के साथ समय बिताना उससे भी सुखद पल। बच्चों के साथ रहने पर अनेक परेशानियां छूमंतर हो जाती है। अगर कोई लड़की बिना शादी किए मां बनना चाहती है, तो यह उसकी इच्छा है और किसी से उसकी इच्छा को नहीं छीनना चाहिए।भारत में वर्जिन बर्थ का आंकड़ा बहुत कम है क्योंकि एक ओर लोगों के बीच जागरूकता की कमी है। साथ ही दूसरी ओर लोग सामने नहीं आना चाहते क्योंकि बिना शादी किए मां बनने पर सवालों की लड़ी लग जाती है।
मैंने पटना के चर्चित आईवीएफ डॉक्टर. हिमांशु रॉय से जब इस विषय पर बात की, तब उन्होंने बताया कि आजकल लोगों में आईवीएफ के जरिये मां बनने का सिलसिला बढ़ा है। इसके पीछे फिल्म स्टार्स और लोगों के मन में समय के साथ होने वाले बदलाव हैं, मगर सिंगल मदर बनने के लिए अभी लोगों में उतनी जागरूकता नहीं आई है।
आईवीएफ ट्रीटमेंट एक समय के बाद थोड़ा जटिल हो जाता है क्योंकि कुछ महिलाओं को कंसीव कर लेने पर परेशानी उठानी पड़ जाती है। हालांकि आज ऐसे अनेकों कप्लस हैं, जिन्होंने आईवीएफ के ज़रिये पैरेंट्स बनना चुना है।
लड़कियों के वर्जिन बर्थ की ओर बढ़ने वाली सोच पर पटना की बहुचर्चित मनोचिकित्सक डॉक्टर. बिंदा सिंह कहती हैं कि लड़कियां आजकल रिलेशनशिप में रहती हैं, मगर उन्हें शादी के बंधन में नहीं बंधना होता क्योंकि इसके बाद अनेक जिम्मेदारियां सामने आ जाती हैं।
उन लड़कियों का मानना होता है कि सिंगल मदर बनकर अपनी इच्छा को पूरा करना एक बेहतर कदम है। ऐसे भी मां बनने के लिए पुरुष से शादी करना जरूरी नहीं है। सबसे ज़रूरी है, स्वयं को मजबूत बनाना ताकि आऩे वाली पीढ़ी को परेशानी ना हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि 20 साल की उम्र के आखिरी वर्षों और 30 साल की उम्र के शुरुआती वर्षों में कंसीव करना सबसे सही रहता है क्योंकि सही उम्र में मां बनने के फायदे मां और शिशु दोनों को मिलते हैं। एक अध्ययन में बताया गया है कि पहला बच्चा करने की सबसे सही उम्र साढे तीस साल होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सभी आईवीएफ मामलों में से 55 प्रतिशत IVF ट्रीटमेंट भारत के मुख्य 8 मेट्रो शहरों में किए जाते हैं। वर्जिन बर्थ का सही आंकड़ा सामने नहीं है क्योंकि समाज ने इसे अभी भी नहीं स्वीकारा है।वहीं कोई महिला बिना शादी किए मां बनती है, तब वह अपनी खुशी सबसे जाहिर नहीं कर पाती क्योंकि उसे हक नहीं है।
मां बनना कई लड़कियों की चाह होती है क्योंकि उसकी इच्छा होती है कि उसके पास भी कोई बच्चा हो, जिसे वह लाड़ लगाए, लोरी सुनाए, उसके लिए स्वेटर बुने और उसकी पोपली मुस्कुराहट पर अपनी हर एक हंसी वार दे। जब वह पहली बार मां कहे, उस अनुभूति को स्वयं में समेट सके। समाज के बने इस मापदंड को तोड़ने और मातृत्व सुख को पाने के लिए हर एक लड़की को अपनी हिस्से की खुशी के लिए आगे आकर बोलना होगा ताकि मां बनने की कामना पूरी हो सके। मां बनना आपकी इच्छा है इसलिए इसे जरूर पूरा करें।
मूल चित्र : Vaishuren from Getty Images, via Canva Pro
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