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आप तो हमेशा मुझ पर ही सवाल उठाते रहे हैं…

हमारी पाठक रूची मित्तल कहती हैं, मेरा सवाल बस इतना सा कि मुझपर ही सवाल उठाते क्यूँ, गुनहगार कोई और प्रश्नों से क़ब्र मेरी ही खुदती क्यूँ।

हमारी पाठक रूची मित्तल कहती हैं, मेरा सवाल बस इतना सा कि मुझपर ही सवाल उठाते क्यूँ, गुनहगार कोई और प्रश्नों से क़ब्र मेरी ही खुदती क्यूँ।

समय के साथ हमें भी कुछ शब्दों को हमारी डिक्शनरी से हटाने की जरुरत है। जिससे लोगो को सही और गलत में फर्क साफ़ नज़र आये। जैसे लोग कहते हैं लड़की का रेप हुआ है लेकिन हमें अब कहना होगा कि लड़के ने रेप किया है।

तो इसी को लेकर हमने आपके विचार जानने चाहे और फेसबुक पेज पर एक प्रश्न किया – बताइये हमे आपके हिसाब से लोगों को अपने कौनसे कथन में बदलाव लाने कि ज़रूरत हैं! और इसमें आप सभी ने अपने विचार साझा करें।

आज हम इन्ही में से कुछ चुनिंदा विचारो को चुनकर इस पोस्ट के माध्यम से आप तक पहुंचा रहे हैं जो हमारे बदलते समाज को दिखा रहा है।

पाठकों से किया सवाल

जुही मिश्रा समझाती हैं

लोग क्या कहते है :- लड़कियाँ अच्छे कपड़े (इसमें छोटे कपड़े भी आ जाते हैं) या मेकअप लड़को को दिखाने के लिए करती है या छोटे कपड़े पहनने से लड़कियों के संस्कार में कमी आ जाती है।

लोगो का क्या कहना चाहिए :- लड़कियाँ अच्छे कपड़े या मेकअप अपने मूड के अनुसार या कम्फर्ट के लिए करती है ना की लड़को को दिखाने के लिए, और छोटे कपड़े से लड़कियों के संस्कार का कोई लेना देना नहीं है।

रूची मित्तल के शब्द हैं

अच्छा! तो फिर उन नवजात बच्चियों का क्या, जिन नन्हीं सी कलियों को पैदा होते ही रौंद दिया जाता है। अपने घर की नवजात और अबोध बच्चियों को भी संस्कार सीखाते हो कि नहीं? और थोड़े संस्कार तुम क्यूँ नहीं सीख लेते?

मेरा सवाल बस इतना सा,

कि मुझपर ही सवाल उठाते क्यूँ,

गुनहगार कोई और,

प्रश्नों से क़ब्र मेरी ही खुदती क्यूँ।

दीपमाला के अनुसार

उन लड़कियों का बलात्कार होता है जहाँ माँ अपने बेटे को संस्कार और शिक्षा के तौर पर औरत की इज्जत करना नहीं सिखा पाती। वो नहीं सीखा पाती अपने बेटे को कि बहन पत्नी माँ और बेटी के अलावा भी लड़कियाँ इज्जत और सम्मान के व पूजने के लायक है। पहले माँ के रूप में औरत अपने पुत्र को सिखाये तो बलात्कार अपने आप खत्म होंगे।

प्रिया कुमार अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए

उफ्फ! लोगो की नग्न और तुच्छ मानसिकता कि संस्कार नहीं तो बलात्कार होगा। उन छोटी नन्ही बच्चियों का क्यों हुआ बलात्कार जो ना तो संस्कार और ना ही बलात्कार का अर्थ समझती हैं। उन अबोध का क्या दोष, इस पर लोग चुप्पी साध लेंगे, है ना! आँखे बंद कर लेने से रात नहीं होती। सच आँखे खोल कर देखो, बलात्कारी को ये बाते बढ़ावा ही देती हैं। इसलिए लड़कियों पर कीचड़ उछालना बंद करो और संस्कार कोई रेप फ्रूफ रहने की गारंटी है क्या?

ममता गुप्ता के सशक्त विचार

एक माँ का सवाल यही होता है जब एक बेटी का रेप होता है –

क्यों कहा जाता है, बेटी को संस्कार देने चाहिए, कपड़े थोड़े ढंग के पहनने चाहिए।

तूम ही बताओ साहब 3 महीने की बेटी को कैसे कपड़े पहनाऊँ।

गन्दी मानसिकता वाले दरिंदों से इन नन्ही कलियों को कैसे बचाऊं।

आयुष करोसिया के विचार

रेप उन लड़कियों का नहीं होता जिनमें संस्कार की कमी होती है बल्कि रेप वो लड़के करते हैं जिनकी ओछी सोच और संस्कारों की कमी होती है। सच्चाई तो कड़वी होती है।

शालिनी पाण्ये के शब्दों से आप भी सहमत होंगे

रेप का कारण सिर्फ एक है वह है रेपिस्ट की मानसिकता और नियत। इसमें लड़कियों के कपड़ों और संस्कारों में कोई कमी नहीं होती है क्योंकि 6 महीने की बच्ची के कपड़ों और संस्कारों में क्या कमी होती है जो उनका भी रेप होता है।

प्रिंयका दक्ष के सकारात्मक विचार

लोगों को कहना चाहिए कि शायद कमी उन लड़को के संस्कारों में है, जिन्हें लड़कियों की इज्जत करना नहीं आता।

तो आपके क्या विचार हैं? अगर अभी तक आपने कमेंट नहीं किया है तो आज ही विमेंस वेब के फेसबुक पेज पर जाकर अपने विचार साझा करें जिन्हें हम करेंगे एक पोस्ट में फीचर और पहुचायेंगे आपकी आवाज दुनिया तक।

मूल चित्र : KIJO77 from Getty Images, via Canva Pro

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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