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पति पत्नी और पंगा में तालाक की मांग दूसरे मर्द या औरत के संग अवैध संबंध को लेकर नहीं है, यहां तलाक की वज़ह है 'लिंग परिवर्तन' आपरेशन है।
पति पत्नी और पंगा में तालाक की मांग दूसरे मर्द या औरत के संग अवैध संबंध को लेकर नहीं है, यहां तलाक की वज़ह है ‘लिंग परिवर्तन’ आपरेशन है।
स्पॉइलर अलर्ट
आदमी-औरत के बीच पति-पत्नी के संबंधों पर कितने ही जोक्स और कितनी ही नसीहतें बनी हैं इसकी गिनती तो असंभव है। पति-पत्नी के संबंध में थोड़ी बहुत असहमति को या तो अनबन कहकर परिभाषित किया जाता है या फिर ‘पंगा’ बोलकर ही व्यंग्य किया जाता रहा है। इस बात में असहमति नहीं हो सकती है कि पति-पत्नी के संबंधों में विवाद नहीं होता है। यह असहमति कई बार बहुत ही गंभीर विषय पर भी होती है जिसपर आमतौर बातचीत तो होनी ही चाहिए। मसलन कई पति पत्नी के बीच संजीदा मुद्दे, जैसे कि महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और कुपोषण पर आज भी बहुत बात नहीं होती है।
पति पत्नी और पंगा बेव सीरिज, जो मैक्स प्लेयर पर 11 दिसंबर को रिलीज हुई है। लेखक और निर्देशक अबीर सेन गुप्ता इस बेव सीरिज में पति-पत्नी के बीच तालाक के एक नये विषय पर बात करते है। यहां पति-पत्नी के बीच तालाक की मांग दूसरे मर्द या औरत के संग अवैध संबंध को लेकर नहीं है।
यहां तलाक की वज़ह ‘सेक्स रिअसाइनमेंट‘ या लिंग परिवर्तन आपरेशन है जिसको लेकर जो बात सीरिज में कहीं गई है, वो लोगों नारीवाद और महिला शरीर पर अकादमिक एंव नैतिक लेक्चर लग सकती है। परंतु, जिस विषय पर यह वेब सीरिज बात करना चाहती है उसपर बात होनी तो चाहिए इसमें दो राय नहीं हो सकती है। लेखक और निर्देशक अबीर सेन गुप्ता ‘पति-पत्नी और पंगा’ में बेहद संवेदनशील विषय पर अपनी कहानी कहने की कोशिश की है, पर पूरी कहानी अपनी बात कहने से चूकती हुई दिखती है।
पति पत्नी और पंगा की कहानी है रोमांचक अरोरा(नवीन कस्तूरिया) की, जो मुबंई में ‘लवली प्रापर्टीज’ के नाम से छोटी सी एस्टेट एजेंसी चलाता है। शिवानी(अदा शर्मा) उसके पास किराए पर मकान लेने के मकसद से आती है। एक अकेली लड़की को कोई किराए पर मकान देना नहीं चाहता है। रोमांचक उसे अपने घर पर एक कमरा किराए पर देता है।
धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार होता है शारीरिक संबंध बनता है। इससे रोमांचक की मां(अलका अमीन) अधिक खुश होती है और वो दोनों की शादी कर देती है। जब रोमांचक और उसकी मां को पता चलता है कि शिवानी पहले लड़का थी और सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी करवाकर वो लड़की बनी है और वह कभी मां नहीं बन सकती।
रोमांचक अपनी मां के साथ वकील तिवारी (हितेन तेजवानी) के पास शिवानी से तालाक लेने के लिए पहुंचते है जबकि शिवानी का मुकदमा लड़ने के लिए कोई वकील तैयार नहीं होता है। शिवानी खुद अपने केस की पैरवी करती है। अदालत में नारीवाद, नारी शरीर को वस्तु समझना, एलजीबीटीक्यू समुदाय के मानवाधिकार जैसे विषय पर अपनी दलील रखती है।
जब शिवानी देखती है कि लड़कियों के आत्मनिर्भरता और सम्मान की बात करने वाला उसका पति रोमांचक ही बतौर पत्नी उसको स्वीकार नहीं करना चाहता है तो वह तालाक दे देती है और ‘मेरा हक’ नाम से एनजीओ के संग काम करने लगती है। अंत में रोमांचक और उसकी मां दोनों को अपनी गलति का एहसास होता है और दोनों शिवानी से माफ़ी मांगते हैं।
पूरी वेब सीरिज में अदालत में जिन विषयों को अपने हक में दलील के रूप में शिवानी ने रखा है वो नारीवाद के क्लास के लेक्चर के तरह भले ही लगें, पर हमारे समाज में वह वास्तविक सच्चाई है। इस पूरे तर्क को फूहड़ता और भाषणबाजी भी समझा जा सकता है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। इन बहसों के साथ-साथ सीरिज गे समुदाय पर लोगों के गलत नजरिये को ही उकेरा है।
सीरिज इन सारे विषयों पर अपनी बात करती है पर मुख्य विषय पर विस्तार से नहीं बनाती है, वह है ‘सेक्स रिअसाइनमेंट’ आपरेशन। कभी-कभी लगता है सीरिज़ जेंडर अधिकार में जेंडर विभन्नता के सवाल पर उलझी गई है।
अभिनय के लिहाज से अदा शर्मा आकर्षक जरूर लगती है पर उनका अभिनय प्रभावित नहीं करता है। अन्य कलाकार और नवीन कस्तूरिया भी अपने अभिनय में ताजगी नहीं दे पाते है। जेंडर सेंसिटाइजेशन के समय में इस गंभीर विषय पर कमजोर पटकर्था, समान्य अभिनय और बेहतरीन संवाद अदायगी के कमी के कारण एक साधारण सी कहानी बनकर रह जाती है पति पत्नी और पंगा।
मूल चित्र : Screenshot of Trailer, YouTube
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