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मैं भी सुनहरे सपने लेकर आयी थी, फिर बेदर्दी से तोड़े क्यूँ? मैं भी नभ को छूना चाहती थी, फिर पैरों में ये बेड़ियाँ क्यूँ?
जन्मी थी स्वतंत्र मैंफिर इतनी पाबंदी क्यूँ?लेकर आयी थी, मैं भी सुनहरे सपनेफिर बेदर्दी से तोड़े क्यूँ?छूना चाहती थी, मैं भी नभ कोफिर पैरों में ये बेड़ियाँ क्यूँ?तेरा ही तो अंश थी मैंफिर जंजीरों में जकड़ी क्यूँ ?जन्मी थी स्वतंत्र मैंफिर इतनी पाबंदी क्यूँ?
मूल चित्र: Reza via Unsplash
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