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बहु, तुम वही पहनो जो तुम्हें अच्छा लगे…

उसके कपड़े देखकर लोगों की बहू बेटियों पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन उस जैसी आत्मनिर्भर लड़की को देखकर वैसा बनने की इच्छा क्यों नहीं पैदा होती?

उसके कपड़े देखकर लोगों की बहू बेटियों पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन उस जैसी आत्मनिर्भर लड़की को देखकर वैसा बनने की इच्छा क्यों नहीं पैदा होती?

यूंं तो सरिता जी अपने बेटे सौरभ की शादी अपनी पसंद की लड़की से करना चाहती थीं। जब कुछ दिन पहले जब सौरभ ने सिया को अपना जीवनसाथी बनाने की इच्छा जाहिर की, तो वे इंंकार न कर सकीं।

सिया को सरिता जी पहले से ही जानती थीं। पढ़ी लिखी, समझदार,आत्मविश्वास से भरपूर पेशे से वह फैशन डिज़ाइनर थी। बहुत ही प्यारी सिया ने जल्द ही बहु के रूप में सरिता जी के दिल मे जगह बना ली। ससुराल में बड़ो को मान सम्मान व छोटों को प्यार देकर सिया सबकी प्रिय बन गई।

सुबह जल्दी उठ सरिता जी के घर कार्यों में मदद करती, फिर अपने बूटीक के लिय निकल जाती।शाम को घर आते ही सरिता जी चाय बनातीं। दोनों सास बहू मिलकर चाय के साथ ढेरों बातें करती और फिर सिया रात के खाने की तैयारी करती। रात का खाना पूरा परिवार मिलकर खाता। सिया के आने से पूरे घर मे खुशी का माहौल था।

तभी एक दिन पड़ोस की कुछ औरतेंं सरिता जी से मिलने आईं। दरवाजा खोलते ही सिया ने उनका अच्छे से स्वागत किया और अंदर से सरिता जी को बुलाने चली गई। सरिता जी से थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद सब मुख्य मुद्दे पर आ गईं।

एक बोली, “आपकी बहु वैसे तो बहुत प्यारी है, पर उसका रोज यूंं छोटे छोटे कपड़े पहन घर से बाहर जाना ठीक नहीं। इससे हमारी आसपास की बहू बेटियों पर बुरा असर पड़ेगा। तो प्लीज अपनी बहू को समझाएँ। घर मे जैसे मर्जी रहे, लेकिन घर से बाहर पूरा तन ढकने वाले कपड़े पहनकर ही निकले।”

इतना सुनते ही सरिता जी को पूरा माजरा समझ मे आ गया कि आखिर क्यों सब इकट्ठा होकर आज यूं उनसे मिलने आई हैं। बड़ी नम्रता से हाथ जोड़ते हुए बोलीं, “माफ कीजिएगा, लेकिन मैं अपनी बहू की ऐसी आलोचना नहीं सुन सकती। मेरी बहु तो हीरा है। ईश्वर का दिया अनमोल खजाना है।  इतनी सभ्य व कार्यकुशल है तभी तो घर बाहर सब कुछ अच्छे से संभाल रही है। लेकिन अपने कपड़ो का चुनाव करने के लिए वह पूरी तरह से स्वतंत्र है। उसे कब क्या पहनना है यह उस की अपनी इच्छा है। उसमें किसी को दखल देने की जरूरत नहीं। और फिर बहु समझदार है,अपने कपड़ों का चुनाव करना अच्छी तरह जानती है।

उसके छोटे कपड़े देखकर तुम लोगों की बहू बेटियों पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन उस जैसी समझदार और आत्मनिर्भर लड़की को देखकर उसके जैसा बनने की इच्छा क्यों नही पैदा होती?मेरी बहु तो आज के जमाने की लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत है। घर परिवार को संभालते हुए अपने कैरियर को आगे बढ़ाना बखूबी जानती है।

माफ कीजिएगा, लेकिन छोटे मेरी बहु के कपड़े नही बल्कि तुम लोगों की सोच है और तुम लोगों की इस छोटी सोच की वजह से मेरी बहु अपने आपको नहीं बदलेगी। वही करेगी जो उसे उचित लगेगा, वही पहनेगी जिसमें वह खुद को सहज महसूस कर सके। आप हमारे घर आईं, बहुत स्वागत है आप सबका, लेकिन दोबारा कभी यूंं अपनी छोटी सोच का परिचय देने मत आइएगा।”

सिर झुकाए बैठी सबने चुपचाप वहाँ से जाना ही उचित समझा और अंदर से अपनी सासुमां की बात सुनकर सिया के मन मे सासुमां के प्रति सम्मान और बढ़ गया।

मूल चित्र : Still from LG ad, YouTube

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Rubita Arora

I'm teacher. Reading and writing stories is my passion. read more...

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