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कहती कलम किसी जगह पर रुक के गड़ी रह गयी कुछ पल। वहाँ गहरा बिंदु है, पल जो लिखने में पीड़ा करते समय जब किसी अधूरी बात से वही दम तोड़ रहे है।
कागज़ों में छिपी है रुंधे गले से एक कवितास्याही से लिखें शब्द नहीं हैबस भीगी पलकों के निशां हैइसलिये कही-कही कुछ शब्द फीके है,जो लिखें कुछ मिट रहे है।
कहती कलम किसी जगह पर रुक केगड़ी रह गयी कुछ पल, वहाँ गहरा बिंदु हैपल जो लिखने में पीड़ा करते समय जबकिसी अधूरी बात से वही दम तोड़ रहे हैअंतिम छोर पर आ कर मानों छूट गया कुछफिर ज़ोर से कविता के शब्द फफक पड़ते हैसिसक के गुम हो जाती है पढ़ी नहीं जाती है कविता।
मूल चित्र: Sonika Agarwal via Unsplash
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