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बरेली के दूल्हे के मित्रों ने यह सोच लिया कि हम लड़की के साथ जैसा चाहें वैसा बर्ताव कर सकते हैं और आगे जो हुआ उसका उन्हें अंदेसा न था।
बरेली में होने वाली एक शादी में एक बहुत ही आपत्तिजनक घटना हुई जिसके कारण ना केवल शादी टूटी परन्तु इस समाज की संकुचित मानसिकता भी सामने आयी। बरेली का दूल्हा और कन्नौज की दुल्हन की बरेली में शादी होने वाली थी और वर वधू दोनों स्नातकोत्तर थे। शादी में दुल्हन को दूल्हे के दोस्तों द्वारा घसीट कर डांस फ्लोर पर ले जाया गया जिससे आहात होकर दुल्हन ने शादी तोड़ दी।
दूल्हे के दोस्तों द्वारा की गयी इस घटाया हरकत से यह परिलक्षित होता है कि हमारा समाज महिलाओं को प्रॉपर्टी के रूप में देखता है। शादी-ब्याह के माहौल में तो कहा ही जाता है कि लड़के वालों का पलड़ा भारी होता है। इस कहावत की आड़ में लड़के वाले अक्सर लड़की वालों से नाजायज़ मांग करते हैं और बुरा बर्ताव करते हैं।
शादी के हर पल में मानो यह दिखने की कोशिश करते हो कि हम अपने लड़के की शादी आपकी लड़की से कर आप पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं। समाचारों में इस तरह की खबरें भरी रहती हैं जिसमें कभी लड़के की बुआ, तो कभी चाची तो कभी किसी अन्य रिश्तेदार ने कोई अटपटी मांग रखी हो। हमारा संकुचित सोच वाला समाज लड़कियों को बोझ मानता है और उनसे शादी करने वालों को देवता।
लड़की के पिता ने कहा कि जिस घर में हमारी बेटी की इज़्ज़त नहीं है, वहाँ हम उसकी शादी नहीं करेंगे। लड़के वालों को भगवान का दर्जा देने से उन्हें अपने मन के मुताबिक हरकतें करने का लाइसेंस मिल जाता है। यहाँ पर भी कुछ ऐसा ही हुआ। लड़के के मित्रों ने यह सोच लिया कि हम लड़की के साथ जैसा चाहें वैसा बर्ताव कर सकते हैं। भारत में ऐसी घटनाएँ आये दिन होती रहती हैं।
न जाने कितने वर्षों से लड़की वाले लड़के वालों की हर मांग पूरी करने के लिए अपना सर्वस्व लुटा देते हैं, न जाने कितनी सम्मान के घूँट पी जाते हैं ताकि उनकी लड़की ससुराल में ख़ुशी से रहे। परन्तु आज ज़माना बदल रहा है। डांस फ्लोर पर घसीटे जाने पर इस दुल्हन ने बात को बर्दाश्त नहीं किया और लड़के वालों के अहम् पर गहरी चोट करते हुए शादी तोड़ दी।
इतना ही नहीं, लड़की वालों ने लड़के वालों पर दहेज़ की मांग करने की शिकायत भी दर्ज कराई। हालाँकि मामला दोनों गुटों ने आपस में सुलझा लिया और कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गयी। माना जा रहा है कि लड़के वालों ने मामले को रफा-दफा करने के लिए 6.5 लाख का भुगतान भी किया।
एक पूरे घटनाक्रम में एक और बात सराहनीय है, परिवार का साथ। लड़की के पिता ने अपनी बेटी के फैसले का समर्थन किया और उसका साथ दिया। हम यह कह तो सकते हैं कि हमारे समाज में काफी बदलाव आया है और बेटियों के फैसलों को मान्य किया जा रहा है। ऐसी घटनाएँ हमें इस बात का भान भी कराती हैं कि भले ही हमने अपने बेटियों को पढ़ा लिखा दिया है और उनके फैसलों को तवज्जो भी दे दी है परन्तु समाज का एक तबका भी लड़कियों को प्रॉपर्टी के रूप में देखता है जिस पर वो अपना अधिकार जमा सकता है।
मूल चित्र : rvimages from Getty Images Signature, Canva Pro(for representational purpose only)
Political Science Research Scholar. Doesn't believe in binaries and essentialism. read more...
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