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अब जो तुम चले गए हो तो अब मत लौटना। आने वाला वर्ष अब बस सभी के दुख-दर्द को हरने वाला हो। अब बस सबके चेहरे पर मुस्कान हो मीठी और कुछ नहीं।
आज पूरे 12 बजकर 1 मिनट पर अपने कमरे में बैठी मैं सोच रही हूं, तुम्हारे बारे में। अब जबकि तुम गुज़र चुके हो, सोचती हूं क्यों सोच रही हूं तुम्हारे बारे में। जानती हूं जो हुआ उसके जिम्मेदार तुम नहीं थे, जानती हूं जो होना था वह तो होना ही था फिर भी ना जाने क्यों तुम्हारे जैसे वर्ष के ना लौटने की प्रार्थना कर रही हूं।
कहते हैं जो बीत गई वह बात गई, पर तुम; तुम तो शायद बीत कर भी ना जाने कब तक हम सब के ज़हन में मौजूद रहोगे। कितनों का सुख-चैन, सर से छत, मुंह से निवाला छीन लिया तुमने। कितनों की जिंदगी और उनके पीछे रह गए लोगों से जीने की उम्मीद। अभी कल ही तो एक सुहागन को विधवा होते देख कर आई हूँ। सांत्वना देने को शब्द नहीं थे मेरे पास। ऐसे ना जाने कितने ही लोगों को काल का ग्रास बना दिया तुमने। हां! तुमने ही। नहीं जानती जो कुछ हुआ उसके लिए तुम जिम्मेवार थे या होनी।
तुम्हारे आगमन पर कितनी खुशियां मनाई थी सबने। एक-दूसरे को ना जाने कितने बधाई, संदेश भेजे थे। अब तो तुम्हारे जल्दी चले जाने की बाट जोह रहे थे सब। खैर अब जो तुम चले गए हो तो अब मत लौटना। बस यही प्रार्थना है मेरी तुमसे। आने वाला वर्ष अब बस सभी के दुख-दर्द को हरने वाला हो। अब बस सबके चेहरे पर मुस्कान हो मीठी और कुछ नहीं।
मूल चित्र : Sharath Kumar via Pexels
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