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कन्या उत्थान योजना नीतीश सरकार की योजना है, जिसके तहत लड़कियों को बारहवीं और स्नातक कर लेने पर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
“बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है” – आपको भी यह स्लोगन अच्छे से पता होगा क्योंकि नीतीश कुमार से ही बिहार में बहार की बात सच लगती है। लड़कियों को शिक्षित करने के साथ-साथ नीतीश सरकार ने ऐसे अनेक कदम उठाए हैं, जिससे बिहार का मान बढ़े मगर ज़मीनी हकीकत की बात बहुत अलग है।
कन्या उत्थान योजना नीतीश सरकार की एक ऐसी योजना है, जिसके तहत लड़कियों को बारहवीं और स्नातक कर लेने पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है ताकि लड़कियां आगे पढ़ सकें। परन्तु यह राशि मिलने में सरकार इतना अधिक समय लगा देती है कि यह योजना केवल जुमला लगती है।
नीतीश सरकार ने इस बार के चुनावों में भी वादा किया है कि लड़कियों को बारहवीं पास करने और स्नातक कर लेने पर सरकार के तरफ से राशि प्रदान कि जाएगी। हालांकि इस बार राशि को बढ़ा दिया गया है और इसे 50,000 कर दिया गया है। पहले यह राशि मात्र 25,000 थी। हकीकत यह है कि यह 25,000 का प्रोत्साहन राशि भी अभी तक अधिकांश लड़कियों को नहीं मिल सकी है।
मैंने स्वयं बिहार से ही अपना स्नातक किया है मगर मुझे भी यह राशि अभी तक नहीं मिली है। पता करने पर बताया गया कि अभी पिछले साल का ही कार्य हो रहा है। नीतीश कुमार जिस तरह से वादे पर वादे करते हैं, उस तरह से उन्होंने कार्य को अंजाम नहीं दिया है। खासकर ऐसा उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में किया है क्योंकि उन्होंने अपने किए वादों पर होने वाले काम पर नज़र नहीं रखा।
अगर उन्होंने अपने वादों का जायजा लिया होता, तो आज मुझे यह लेख लिखने की नौबत नहीं आती। मैंने अन्य लड़कियों से भी इस मुद्दे पर बात की मगर उन्होंने भी मुझे बताया कि राशि की कोई खोज खबर नहीं है। अब आप ही बताइए जिस मकसद से लड़कियों को यह राशि दी जानी चाहिए थी, जब वह मकसद ही पूरा नहीं होगा तब मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का क्या मतलब रह जाएगा?
रेगुलर सेशन में मिलने वाली राशि अगर देर से मिलेगी तो क्या लड़कियों की शिक्षा आगे बढ़ पाएगी? यह सवाल लाजमी है क्योंकि अनेक लड़कियों ने पैसे की कमी के कारण अपनी पढ़ाई को छोड़ा है। बिहार में वैसे भी लड़कियों को लेकर मानसिकता कितनी अधिक बोल्ड है, यह बात किसी से नहीं छिपी है। अब अगर पढ़ाई में पैसे बीच में आएंगे तब कौन से मां-बाप शादी की जगह पढ़ाई में पैसे निवेश करेंगे?
बिहार में मां-बाप शादी में पैसे खर्च करने आ सकते हैं मगर लड़कियों की पढ़ाई को लेकर संकीर्ण मानसिकता रखते हैं। अब शादी की बात आ ही गई है, तब यह भी हो सकता है कि मां-बाप लड़कियों को मिलने वाली राशि शादी में खर्च कर दें। बहरहाल यह निजी मसला है मगर लड़कियों को जब आर्थिक आज़ादी महसूस होगी तब उनके कदम खुद उठने लगेंगे।
नीतीश कुमार ने इस बार के चुनाव प्रचार में भी लड़कियों को स्नातक करने के बाद 50,000 की राशि देने का वादा किया है। पहले उन्हें पिछले सेशन के राशियों का भुगतान देखना होगा ताकि उन्हें लेट-लतीफी का हाल पता चल सके। योजनाएं आनी चाहिए, जरुर आनी चाहिए मगर योजनाएं सही तरीके से चल रही है या नहीं इसकी देखरेख भी करना एक जिम्मेदारी का ही काम होता है। क्योंकि बिहार में अनेक लड़कियां आर्थिक परेशानी होने के कारण पढ़ाई छोड़ देती हैं।
छात्राओं के लिए सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें कक्षा एक से आठ तक के छात्र छात्राओं की 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने पर पोशाक राशि दी जाती है।
कक्षा नौ में एडमिशन लेने वाली छात्राओं को साइकिल राशि, क्लास नौ से लेकर बारहवीं तक के सभी छात्र छात्राओं को पोशाक राशि 1500 रुपये, वर्ग एक से कक्षा दस के सभी कोटी के छात्राओं को छात्रवृति राशि, मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत कक्षा सात से कक्षा 12 तक की छात्राओं को 150 रुपये प्रतिवर्ष सैनेट्री नैपकिन के लिए दी जाती है।
साथ ही मुख्य मंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत प्रथम श्रेणी से पास मैट्रिक एवं इंटर उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को दस हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाते हैं।
ऐसी योजनाएं पढ़ने के लिए प्रोत्साहित भले करती हैं मगर ज़मीनी हकीकत से देखा जाए तब स्थिति बिल्कुल ही अलग है। सरकार को हर तरह से लड़कियों को दी जाने वाली योजनाओं पर नज़र रखनी चीहिए ताकि किसी लड़की की पढ़ाई बीच में ना रुक सके।
मूल चित्र : triloks from Getty Images Signature via Canva Pro
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