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चंद्रमुखी देवी के बयान के मुताबिक अगर महिलाएँ घर से बाहर नहीं जाएँगी तो हिंसाएँ रुक जाएँगी? क्या यही हर समस्या का समाधान है?
हाल ही में हुई यूपी के बदायूं की घटना में 3 हैवानों ने एक 50 साल की महिला के साथ गैंगरेप किया। इसमें तीनो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना का जायज़ा लेने कई नेता, सोशल वर्कर व मीडियाकर्मी वहां पहुंचे। इसी बीच गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी भी बदायूं पहुंचीं और वहां जाकर आखिर उन्होंने अपनी मानसिकता का एक उदाहरण हमारे सामने पेश कर दिया।
उन्होंने कहा, “महिलाओं को किसी के प्रभाव में नहीं आना चाहिए और ऐसे समय में नहीं घूमना चाहिए। मुझे लगता है कि अगर वह शाम को मंदिर न जाती, या परिवार का कोई सदस्य साथ में होता तो शायद ऐसी घटना नहीं होती।”
चंद्रमुखी देवी के इस विवादित बयान पर कई लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया। पूजा भट्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा को टैग करते हुए कहा कि ‘क्या आप बदायूं बलात्कार मामले के संदर्भ में अपने प्रतिनिधि द्वारा इस बयान के साथ खड़े हैं? कृपया स्पष्ट करें, यदि आप अपने प्रतिनिधि से सहमत हैं कि पीड़िता को मंदिर में जाने के लिए किसी को साथ ले जाना चाहिए था और इस समय नहीं जाना चाहिए था।’
इस पर रेखा शर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, ‘नहीं, मुझे नहीं पता। मैं नहीं जानती कि कैसे और क्यों सदस्य ने यह कहा है। लेकिन महिलाओं को अपनी इच्छा पर और जब चाहे, जहां चाहे जाने का पूरा अधिकार है। यह समाज और राज्य का कर्तव्य है कि वे महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करें।’
तो क्या आज भी हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जो अपने घिनौने अपराध के लिए किसी महिला को दोषी मानती है? हाँ, क्योंकि ये पहली बार नहीं है। इससे पहले भी कई केसेस में ऐसे बयान सामने आ चुके हैं और ये तो सिर्फ चंद लोगों की सोच हम तक पहुँच रही है। समाज में न जाने ऐसे कितने लोग हैं जो इसी तरह की मानसिकता से भरे हुए हैं। इन सब कारणों से हिंसाओं को बढ़ावा मिल रहा है और हिंसकों को साथ।
तो क्या अगर महिलाएँ घर से बाहर नहीं जाएगी तो ये हिंसाएँ रुक जाएँगी? क्या चंद्रमुखी देवी की नज़र में हर समस्या का समाधान औरतों को घर में कैद करना ही है? लड़कियों के जन्म से लेकर मरने तक तो उसे हर दिन कितने ऐसी समस्याओं का सामना घर में रहते हुए ही करना पड़ता है। उनका क्या समाधान देना चाहेंगी ये? या इन्होने घरेलु हिंसा, छोटी बच्चियों का रेप, मैरिटल रैप आदि आदि हिंसाओं के बारे में नहीं सुना है?
अगर चंद्रमुखी देवी जैसी महिलाएँ, जो देश की महिलाओं के हक की रक्षा करने के लिए काम कर रहे हैं, ऐसी सोच रखती हैं तो हम क्या ही उम्मीद कर सकते हैं। भले ही इन्होने अपना बयान वापस ले लिया हो लेकिन अभी भी इनको अपनी सोच को बदलना है। क्योंकि आज भी हम आम महिलाएँ हमारी समस्याओं के समाधान के लिए इन जैसे लोगों के पास ही आते हैं और हमारे एक बेहतर भविष्य की उम्मीद रखते हैं।
मूल चित्र : Twitter
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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