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रात को जब रागिनी कमरे के नज़दीक गई, तो उसे अपनी भाभी के रोने की और भाई के भाभी को गालियां देने की आवाज़ आ रही थी।
रात के बारह बजने वाले थे। पर रागनी की पैकिंग अभी भी खत्म नहीं हुई थी। कमरे की लाइट जलने से रागिनी के पति मयंक सो नहीं पा रहे थे। मयंक ने रागिनी से कहा, “रागिनी जो बचा है, सुबह पैक कर लेना यार। अभी लाइट बंद कर दो और सो जाओ। दस दिन के लिए ही जा रही हो पर तुम्हारी पैकिंग ही खत्म नहीं हो रही है।”
रागिनी ने कहा, “ठंडी का समय है। इसलिए बच्चों के स्वेटर और कपड़े ज्यादा रखने पड़ रहे हैं। और ट्रेन भी सुबह की है। जल्दी उठ कर रास्ते के लिए खाना भी बनाना है। इसलिए पैकिंग का काम अभी ही खत्म करना पड़ेगा। अगर आपको यहां सोने में दिक्कत हो रही है, तो प्लीज़ आप जाकर बच्चों के कमरे में सो जाओ।”
रागिनी अपने दोनों बच्चों बेटा और बेटी के साथ कल सुबह अपने मायके जा रही है। इसलिए सुबह से पैकिंग में लगी हुई है। उसको सुबह से पैकिंग करते हुए देखकर मयंक कई बार मजाक में कह चुके हैं, “कुछ छोड़कर भी जाओगी, कि सब उठा ले जाओगी?”
बच्चे भी नानी के घर जाने की खुशी मे सो ही नहीं रहे थे। थोड़ी देर पहले ही दोनों बहुत मुश्किल से सोए हैं। रागिनी छः महीने पहले भाई की शादी में मायके गई थी। पर बच्चों की पढ़ाई के वजह से शादी के दूसरे दिन ही वापस आ गई थी। कुछ दिन भाभी के साथ रह भी नहीं पाई थी। अभी बच्चों के स्कूल में पंद्रह दिन की ठंडी की छुट्टियां हुई हैं। इसलिए दस दिन के लिए मायके जा रही है।
दूसरे दिन सुबह मयंक रागनी और दोनों बच्चों को ट्रेन पर बिठा गए थे। रागिनी रात दस बजे तक अपने मायके पहुंच गई। रागनी के मायके में मां, भाई नवीन और नई नवेली भाभी प्रिया थी। रागिनी के पिताजी कई साल पहले ही गुज़र गए थे। दोनों बच्चे नानी और मामा-मामी से मिलकर बहुत खुश हो गए थे, पहुंचते ही धमा-चौकड़ी मचाने लगे। बच्चों के साथ साथ पूरा परिवार बहुत खुश था। रागिनी की भाभी भी अपनी सास से पूछ कर ननंद और बच्चों के पसंद का खाना बनाए हुई थी।
रात में सब बहुत देर से सोए थे। इसलिए सुबह सोकर उठने में देर हो गई थी और फिर रविवार भी था। नाश्ता करने के बाद बच्चे नवीन के साथ बाहर घूमने चले गए। रागिनी अपनी मां और भाभी के साथ बात भी कर रही थी और साथ में घर के कामों में भाभी की मदद भी कर रही थी। रागिनी की भाभी प्रिया सीधी-सादी सरल स्वभाव की लड़की थी। रागिनी और बच्चों को यहां आकर बहुत अच्छा लगा था। पूरा दिन मौज-मस्ती में गुजर जाता था। इसी सब में छुट्टियां पंख लगा कर कब उड़ गई पता भी नहीं चला।
और आज रागिनी को मायके आए दस दिन बीत गए थे। कल सुबह उसकी ट्रेन थी। इसलिए रात में सब जल्दी सो गए थे। रात में रागनी बाथरूम गई, तब उसे अपने भाई और भाभी के कमरे से आती हुई कुछ आवाजें सुनाई दी। जब रागिनी कमरे के नजदीक गई। तो उसे अपनी भाभी के रोने की और भाई के भाभी को गालियां देने की आवाज़ आ रही थी। पहले रागिनी ने सोचा कमरे का दरवाजा खटखटा के पूछे कि क्या हुआ है। फिर उसने सोचा, पहले मां को जगा कर बताती हूं, फिर उनके साथ आकर पूछती हूं, क्या हुआ है?
रागिनी तुरंत जाकर अपनी मां को जगाकर सारी बात बता कर बोली, “मां चलो देखो इतनी रात में भाभी क्यों रो रही हैं। उनका रोना सुनकर मुझे बहुत घबराहट हो रही है।”
मां ने बड़ी तसल्ली से कहा, “अरे पति पत्नी के बीच में कोई बात हुई होगी, इसीलिए भाई डांट रहा होगा। और वो रो रही होगी। तुम अभी सो जाओ। सुबह पूछ लेना।” यह कहकर मां ने दूसरी तरफ करवट बदल ली।
रागिनी थोड़ी देर खड़ी रही फिर गुस्से में बोली, “मां, तुम सो जाओ पर मैं जा रही हूं। उनके कमरे में पूछने क्या हो रहा है। यह सब मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है। और मां तुम्हारे साथ यह सब हो चुका है। फिर भी तुम अनजान बन रही हो। ऐसे ही पापा तुम्हारे ऊपर अत्याचार करते थे। तुम दिन रात रोती रहती थी। तुम्हें रोता देखकर मैं बहुत परेशान हो जाती थी। पर उस समय मैं छोटी थी, असहाय थी।।कुछ नहीं कर पाई। पर आज मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी।”
मां के पास से रागिनी आकर भाई का दरवाजा खटखटा कर बोली, “नवीन दरवाजा खोलो, प्रिया क्यों रो रही है?”
रागिनी की आवाज सुनकर प्रिया चुप हो गई। नवीन ने अंदर से कहा, “अरे कुछ नहीं हुआ है दीदी, आप जाकर सो जाओ।”
रागिनी ने गुस्से में थोड़ा तेज़ बोला, “पहले दरवाजा खोलो तब बात करो।”
जब नवीन ने दरवाजा खोला, तब प्रिया अपने आंसू पोंछ रही थी। नवीन को धक्का मारते हुए रागिनी कमरे के अंदर चली गई। रागिनी ने देखा प्रिया की आंखें लाल और सूजी हुई हैं। गाल पर थप्पड़ का निशान बन हुआ है। हाथ पर चूड़ी टूट कर लगी थी। खून निकल रहा था। बेड और फर्श पर भी टूटी हुई चूड़ियां पड़ी थीं।
रागिनी गुस्से में नवीन से बोली, “तुमने इसे क्यों मारा?”
नवीन ने कहा, “दीदी यह बहुत *** औरत है। अपने आप को पता नहीं क्या समझती है। हर बात पर जवाब देती है…”
नवीन अभी बोल ही रहा था कि रागिनी खींचकर एक थप्पड़ नवीन के गाल पर मारकर बोली, “तुम होते कौन हो इसे मारने और गाली देने वाले। नवीन, तुमसे मुझे यह उम्मीद नहीं थी।”
नवीन गुस्से में दांत पीसते हुए प्रिया से बोला, “खुश हो ना तुम अब? मैंने कहा था, जब तक दीदी हैं शांत रहना। मगर तुम ना…”
रागिनी प्रिया को अपने से लगा कर बोली, “नवीन, आज मुझे तुम्हें अपना भाई कहते हुए भी शर्म आ रही है। किसी बात को बिना मारपीट के भी समझाया जा सकता है। तुम वो दिन भूल गए जब पापा मां को मारते और गालियां देते थे? तब तो तुम पापा से बहुत नफरत करते थे और आज तुम पापा जैसे ही बन गए। तुम्हें याद है ना, जब पापा मां के ऊपर अत्याचार करते थे? तब डर के मारे हम दोनों घर के किसी कोने में छुपे रहते थे। मां को दिन रात रोते हुए देख कर हम दोनों कितना तड़पते थे। हम दोनों पापा से जितनी नफरत करने लगे थे। आज मुझे तुमसे उतनी ही नफरत हो रही है।”
रागिनी फिर प्रिया से बोली, “प्रिया तुम एक पढ़ी-लिखी लड़की हो इतना सब क्यों बर्दाश्त करती रहीं? पहली बार ही जब इस ने हाथ उठाया था। तभी विरोध किया होती, तो आज बात यहां तक नहीं पहुंचती। प्रिया एक बात जान लो, जो अपनी मदद खुद नहीं करता, उसकी मदद भगवान भी नहीं करते हैं। इसलिए तुम्हें पहले अपने लिए खुद खड़ा होना पड़ेगा। और फिर घरेलू हिंसा के खिलाफ तो हमारे देश में कानून हैं। तुम्हें बस एक बार आवाज़ उठाने की देर थी। उसके बाद कानून अपना काम खुद ही करके नवीन को सुधार देता।”
रागिनी बोल रही थी। तभी उसकी मां आकर बोली, “रागिनी धीरे बोलो, नहीं कॉलोनी वालों को सुनाई पड़ेगा।”
रागिनी ने कहा, “इसमें कौन सी नई बात है? कॉलोनी वाले पहले भी तो हमारे घर में होने वाला तमाशा देखते और सुनते थे। मां, तुम्हारे सामने एक औरत के ऊपर अत्याचार हो रहा है, तुम्हें उसकी चिंता नहीं है? मोहल्ले वाले सुन लेंगे, इसकी चिंता है?” रागिनी की बात सुनकर उसकी मां ने शर्म के मारे नजरें नीचे कर ली थीं।
फिर रागिनी ने नवीन से कहा, “नवीन बचपन में तुम कहते थे ना कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तब पुलिस से पापा की शिकायत करके पापा को जेल में बंद करवा दूंगा। पापा तो तुम्हारे बड़े होकर पुलिस से शिकायत करने के पहले पैरालिसिस से कुछ दिन अपने किए पाप भोग कर दुनिया छोड़कर चले गए। पर आज मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस में शिकायत करके तुम्हें घरेलू हिंसा के जुर्म में जेल जरूर भेजूंगी।”
नवीन रागिनी की बात सुनकर और अपने बचपन की बातों को याद करके शर्म से उसके पैरों को पकड़ कर रोने लगा। तब रागिनी नवीन को उठा कर बोली, “नवीन मुझसे नहीं, प्रिया से माफी मांगो। तुमने उसके साथ जो गुनाह किया हैं और उसे जो जिल्लत भरी जिंदगी दी है उसके लिए माफी मांगो।”
नवीन रोते हुए प्रिया का हाथ पकड़कर बोला, “प्रिया मुझे माफ कर दो और अगर दोबारा मैंने ऐसी कोई गलती की तो तुम बिना देर किए, मुझे जेल भेज देना।” नवीन की बात सुनकर प्रिया रोने लगी।
तभी रागिनी की मां बोली, “मुझे भी माफ कर देना प्रिया बेटा। मैंने तो यह दु:ख और तकलीफ सही भी थी उसके बाद भी तुम्हारे साथ होने वाले अत्याचार को देखती रही और अपने मन को यह कहकर तसल्ली देती रही कि यह पति पत्नी के बीच का मामला है। नहीं, नवीन ने जब पहली बार तुम्हें मेरे सामने गाली दी थी, तभी रोक दिया होता, तो आज तुम्हारे साथ यह सब कुछ नहीं होता।”
प्रिया बोली, “नहीं मम्मी जी आप मुझसे माफी मत मांगिए। गलती मेरी भी है जो मैं अपने लिए खुद खड़ी नहीं हुई। नहीं आज नवीन की हिम्मत इतनी नहीं बड़ी होती।”
उसके बाद चारों की पूरी रात एक दूसरे को सही गलत समझाने और रोने में गुज़र गई।
दूसरे दिन सुबह जब रागिनी बच्चों के साथ जाने लगी, तब नवीन ने कहा, “दीदी, मुझे माफ कर देना और धन्यवाद, मुझे सही राह दिखाने के लिए। आपकी वजह से मेरा घर टूटने से बच गया।”
रागिनी, प्रिया और नवीन से बोली, “दोनों एक दूसरे के साथ प्यार से रहना और एक दूसरे को समझने की कोशिश करना। किसी मुश्किल का हल लड़ाई-झगड़ा और मारपीट नहीं है। शादी प्यार सम्मान, विश्वास और साझेदारी का रिश्ता है।”
और फिर प्रिया के रागनी का पैर छूने पर रागनी ने प्रिया को आशीर्वाद देते हुए कहा, “सदा खुश रहो और मेरी बात हमेशा याद रखना, जो खुद के लिए खड़ा नहीं होता, उसका साथ ईश्वर भी नहीं देते हैं। इसलिए हर औरत को अपने साथ होने वाले जुर्म और अत्याचार के खिलाफ पहले खुद खड़े होकर लड़ना पड़ेगा।”
मूल चित्र : YouTube
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