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खुद तो यहाँ आराम से रहती है पति के साथ और सास-ससुर वहाँ गाँव में अकेले रह रहे हैं। यहाँ पर काम ही क्या है? थोड़ा सा काम और दिन भर आराम।
रोहित और रिया की नई-नई शादी हुई थी, छुट्टियां खत्म होते ही रिया रोहित के साथ शहर आ गयी थी रहने के लिए। रोहित की नई जॉब थी, तो घर तक सेट नहीं हुआ था अभी। बहुत ही कम सामान के साथ रहते थे दोनों पर निशा को इससे कोई दिक्कत नहीं थी। जो है उसी मैं खुश रहने वाली लड़की थी वो।
शादी के पहले से ही रोहित का परिवार गाँव में रहता था और रोहित शहर में। परिवार की जिम्मेदारी रोहित पर थी और गाँव में रोज़गार के अवसर ना के बराबर, इसलिए रोहित ने अपनी पढ़ाई शहर में रहकर ही पूरी की और उसे वहीं नौकरी भी मिल गयी।
अकेले रहने से खाने पीने की बहुत दिक्कत आती थी और बार-बार तबियत भी खराब होती थी रोहित की, इसलिए ससुराल वालों ने बहु को शादी के तुरंत बाद ही रोहित के साथ शहर भेज दिया।निशा एक संयुक्त परिवार में पली बढ़ी लड़की थी, दिन भर घर में रहना उसके लिए बिल्कुल आसान नहीं था। घर की दीवारें काटने को दौड़ती थीं रोहित के ऑफिस चले जाने के बाद।
निशा ने परिस्थितियों को समझ कर खुद को उसके अनुसार ढाल लिया था। रोहित की आर्थिक स्थिति भी कुछ खास नहीं थी इसलिए वो चाहती थी कि रोहित की कुछ मदद करे। दिन भर घर के सारे काम करने के बाद उसने खुद के आराम करने के समय पर ऑनलाइन काम करना शुरू कर दिया, जिससे धीरे-धीरे उनकी स्थिति सुधरने लगी।
पर ये खुशियाँ कुछ लोगों को रास नहीं आ रही थीं और वे लोग गाहे बगाहे निशा को ताने मारने लग गए थे कि “खुद तो यहाँ आराम से रहती है पति के साथ और सास-ससुर वहाँ गाँव में अकेले रह रहे हैं। यहाँ पर काम ही क्या है? दो लोग ही तो रहते हैं, थोड़ा सा काम और दिन भर आराम।”
निशा कभी लोगों को इस बात का ढिंढोरा नहीं पीटती थी कि उसने कितना संघर्ष किया है अपनी और रोहित की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए। आज जब वो दोनों कुछ हद तक इसमें कामयाब हुए हैं तो उन्हीं पर सवाल उठाएं जा रहे हैं। निशा ये जानती थी पर रिश्तेदारों को ये बताना जरूरी नहीं समझती थी कि दूर रहकर भी वो कैसे अपने सास-ससुर का सहारा बन रही है अपने पति के साथ, जो कि उसका फर्ज़ भी है।
लोगों की बातें चुभतीं तो थी कहीं न कहीं। एक दिन उसने इस बारे में अपने पति से बात की तो रोहित ने उसे समझाया, “तुम कुछ गलत नहीं कर रही हो, उन लोगों को वहाँ कोई तकलीफ़ नहीं है, इतना बड़ा घर है, यहाँ पर दो कमरों के घर में उन लोगों का मन नहीं लगेगा। जैसे ही हमारी स्थिति और बेहतर होगी, हम और बड़ा घर किराए पर लेकर उनसे पूछकर उन्हें यहाँ पर ले आएंगे।
तुम परेशान मत हो, लोगों को कहने दो। मैं जानता हूँ कि अकेले रहकर सारी जिम्मेदारियां संभालना आसान नहीं होता, मैं तो ऑफिस चला जाता हूँ। उसके बाद घर और बाहर का काम दोनों तुम्हीं संभालती हो और दो पैसे कमाकर मेरी मदद करने के बारे में भी सोचती हो।
इसलिए अगली बार जब तुमसे कोई कहे कि दो लोगों का काम भी कोई काम है तो तुम उन्हें कहना कि आप भी अकेले रहकर दो लोगों का काम करके देख लीजिए तब शायद आपको समझ आ जाएं कि दो लोगों का काम क्या होता है?”
रोहित की बातें सुन कर निशा निश्चिंत होकर सो गई। रोहित भी संतुष्ट था कि निशा की परेशानी को कुछ हद तक कम कर पाया।
मूल चित्र : Photo by Bhoopal M from Pexels
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