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संयम को माँ-बाप समझाते तो उल्टा वो उन्हें समझाने लग जाता कि आजकल की लड़कियाँ कितनी तेज़ होती हैं और किस तरह उन्हें क़ाबू में रखना चाहिए।
संयम नाम के विपरीत काफ़ी गुस्सैल स्वभाव का व्यक्ति था। गुस्सा तो हमेशा उसकी नाक पर रहता। माँ-बाप ने सोचा कि शादी हो जाएगी तो शायद थोड़ा सुधर जाए, सो देख-सुन कर पढ़ी-लिखी हंसा को घर की बहु बना कर ले आए। पर संयम का स्वभाव तो दिन ब दिन ख़राब होता चला गया।
तेज़ तर्रार हंसा पर वो हर दम निगाह जमाए रहता कि फ़ोन पर किससे बात करती है और कितने देर बात करती है। ऑफ़िस से भी कई बार कॉल करता और अगर हंसा का कॉल व्यस्त आता तो उसकी त्योरिआँ चढ़ जातीं और फिर घर आकर हंसा पर बरस पड़ता। रोज़-रोज़ के इस कलह से हंसा मुरझा सी गई। संयम को माँ-बाप समझाते तो उल्टा वो उन्हें समझाने लग जाता कि आज कल की लड़कियाँ कितनी तेज़ होती हैं और किस तरह उन्हें क़ाबू में रखना चाहिए।
हंसा का इस माहौल में साँस लेना भी दूभर हो गया था। जिस सुखी विवाहित जीवन का सपना उसने देखा था वो तो अब उससे कोसों दूर हो चुका था। संयम को समझाने की कोई भी कोशिश नाकाम रहने लगी। हद तो तब हो गई जब उसने हंसा के कॉल डिटेल्स भी देखना शरू कर दिए। हंसा मायके जाती तो संयम और गुस्सा हो जाता और हंसा से जल्द से जल्द वापस लौटने को कहता। जब मामला सर से ऊपर जाने लगा तो हंसा ने एक युक्ति निकाली।
हंसा अब संयम का ज़रुरत से ज़्यादा ख़्याल रखने लगी। संयम गुस्सा करता तो बर्दाश्त कर लेती। ऑफ़िस जाता तो हर घंटे कॉल करती। ऑफ़िस टूर पर जाना तो संयम के लिए और मुश्किल हो गया क्यूंकि तब हंसा और कॉल करने लग जाती। संयम अब परेशान रहने लगा।
एक दिन ऑफ़िस से जैसे ही संयम घर आया तो हंसा ने प्रश्नों की बौछार कर दी, “आज दोपहर में आपका कॉल बिज़ी आ रहा था। आप किस्से बातें कर रहे थे?”
इतना सुनते ही संयम फूट पड़ा, “क्यों मेरे पीछे पड़ी रहती हो? तुम्हें कोई और काम नहीं है क्या?”
“नहीं…अब आप से ज़रूरी क्या हो सकता है मेरे जीवन में?” हंसा ने बोला तो संयम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया और वो हंसा को मारने दौड़ा। इतने में वहां संयम के माता पिता आ गए और उन्होंने संयम को रोका।
“ख़बरदार! जो तूने बहु पर हाथ उठाया और तू सुन ले इस तरह अब तू अपनी मनमानी नहीं कर सकता। हंसा इस घर की बहु नहीं बेटी है। फिर तू इतना गुस्सा क्यों हो रहा है? वो तुझ पर हरदम नज़र रखने लगी तो तुझे इतना बुरा लगा और तू जो हेलीकाप्टर पति बन घूमता फिर रहा था तो ठीक था? बोल? जवाब दे?”
एक दम से माँ-बाप को बिफरते देख संयम सकते में आ गया और चुप्पी साध ली।
“बेटा! हंसा तो तेरे दिल में प्यार से जगह बनाने की कोशिश करती रही पर तूने तो ज़ोर ज़बरदस्ती करनी शरू कर दी और ज़रुरत से ज़्यादा दखलंदाज़ी करने लगा। एक पत्नी अपने पति से प्रेम और सम्मान की अपेक्षा करती है और जो पति ये करते हैं वो निःसन्देह ही पत्नी के हृदय में जगह बना लेते हैं।”
संयम को अपनी ग़लती का एहसास हो चला। सच ही तो है हेलीकाप्टर पति बन वो हंसा के दिल से दूर जा रहा था। संयम ने हंसा से माफ़ी माँग ली और हंसा भी मुस्कुरा कर संयम के गले लग गई।
मूल चित्र : UniQue PhotoGraphy By Sonam Singh from Pexels
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