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कर्नाटका सरकार ने अरुंधति और मैत्रेयी के नाम की दो स्कीम शुरू की हैं जिनके लिए केवल गरीब ब्राह्मण वधु योग्य हैं, लेकिन इसकी शर्तें ऐसी हैं!
भारत में जातिप्रथा का बोल-बाला है। बाबासाहेब भीम राउ जी अम्बेडकर के प्रयत्नों से भारत में जातिप्रथा पर आक्षेप किया और अपना पूरा जीवन जाति के भेद को मिटाने में लगा दिया। परंतु आज भी जाति के आधार पर भेद भाव होता है और निम्न जाति के लोगों को समाज की अवहेलना सहनी पड़ती है। हाल ही में कर्नाटक के ब्राह्मण विकास बोर्ड ने ब्राह्मण कन्याओं के लिए दो नयी स्कीम शुरू करने का ऐलान किया है।
अम्बेडकर का कहना था कि जब तक देश में सामाजिक बदलाव नहीं आता तब तक देश में राजनीतिक बदलाव नहीं आ सकता। देश में जाति के आधार पर भेदभाव कुछ काम नहीं हुआ है परंतु ऐसी स्कीम से समाज में जातिप्रथा को बढ़ावा मिलता है। कर्नाटका सरकार ने अरुंधती और मैत्रेयी नाम की दो स्कीम शुरू करी हैं जिसके लिए केवल ‘गरीब’ ब्राह्मण वधु योग्य हैं।
अरुंधती स्कीम के अंतर्गत ५५० ब्राह्मण कन्याओं को २५,००० की राशि मिलेगी। यह स्कीम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए ही होगी और इस स्कीम का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। ब्राह्मण कन्याओं के लिए चलायी गयी यह स्कीम स्पष्ट रूप से जाति प्रथा को समाज में बढ़ावा देती है। ऐसी कोई भी स्कीम आर्थिक पहलुओं पर आधारित होनी चाहिए ना कि जाति पर।
वहीं, मैत्रेयी स्कीम के अंतर्गत शुरुआत में ५० ऐसी कन्याओं का चयन किया जाएगा जो एक तय समय सीमा में शादी करना चाहती हैं। उन कन्याओं को ३ लाख का बॉन्ड मिलेगा परंतु यह उनकी पहली शादी होनी चाहिए। साथ ही साथ इस स्कीम के अंतर्गत कन्याओं को सिर्फ़ ब्राह्मण वरों से ही विवाह करना होगा, जैसे अचारक और पुरोहित।
यह स्कीम स्वजातीय विवाह को ना सिर्फ़ पुरस्कृत करती है अपितु एक अनकहे रूप में अंतरजातीय विवाह को भी रोकती है। यह स्कीम मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा शुरू की जाएगी। यह स्कीम समाज में पहले से व्याप्त जाति प्रथा को बढ़ावा देती है और साथ ही अंतरजातीय विवाह पर रोक लगती है। हमारे समाज को अंतरजातीय विवाह को रोकने के लिए यह हथकंडे अपनाने पद रहे हैं क्योंकि आज कल लोग समाज से लड़-झगड़ कर अपना जीवन साथी अपनी जाति के बाहर चुन रहे हैं।
समाज के ठेकेदारों को यह कदापि बर्दाश्त नहीं होता कि महिलाएँ अपनी इच्छा से अपनी जीवनसाथी का चुनाव करें और समाज द्वारा बनाए दायरों से बाहर जायें। अंतरजातीय विवाह के पर्दे में यह समाज महिलाओं पर रोक लगाना चाहता है जिससे वो उसके क़ब्ज़े में रहें। वह महिलाओं को आज़ादी ना देने के बहाने ढूँढता है और अंतरजातीय विवाह ना करने देना ऐसा ही एक बहाना है।
महिलाओं पर पाबंदी लगाना समाज का पसंदीदा काम है। कर्नाटका सरकार अरुंधति और मैत्रेयी स्कीम महिलाओं को अपने शिकंजे में रखने का एक उपाय है। पैसे का लालच देकर वह महिलाओं को शादी और जाति के बंधनों में जकड़े रखना चाहते हैं जिससे वो कभी अपने फ़ैसले खुद ना ले सकें। इस स्कीम को अगर ऊपर से देखा जाए तो शायद लगेगा कि यह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का ज़रिया है लेकिन ध्यान से देखने पर यह पता चलता है कि यह इस समाज की एक चाल है।
इतने सदियों से संघर्ष करने के बाद जब महिलाएँ अपने फ़ैसले खुद करने लगी हैं और पुरुषवादी समाज को चुनौती देने लगी हैं, तो समाज ने नया झाँसा देकर उन्हें फिर से फ़साने की कोशिश करने लगा है। चलिए अगर गरीब ब्राह्मण कन्या की इतनी फिक्र है सरकार को तो सोचने की बात ये है कि ज़्यादा धन राशि सिर्फ एक पुजारी से ही शादी करने पर क्यों? और ले दे कर क्या शादी इस लड़की की ज़िन्दगी का सबसे बड़ा मक़सद है? ये रक़म पढ़ाई या अपना खुद के उद्योग को शुरू करने के लिए दी जा सकती है।
ज़रा सोच कर देखिये!
मूल चित्र : Photo by pramod kumarva from Pexels
Political Science Research Scholar. Doesn't believe in binaries and essentialism. read more...
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