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शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल और कामकाज़ी महिलाओं को ट्रैक किया जाए तो वे सुरक्षित हो सकती हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को ‘सम्मान’ नामक महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए एक पखवाड़े तक चलने वाले जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया और कहा कि महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल किया जाना चाहिए और कामकाज़ी महिलाओं को उनकी सुरक्षा के लिए ट्रैक किया जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शिवराज चौहान ने कहा,“मुझे लगता है कि बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल की जानी चाहिए। मैं इसे बहस का विषय बनाना चाहता हूं और देश और राज्य को इस पर विचार करना चाहिए। ‘
आगे उन्होंने कहा कि एक नई प्रणाली लागू की जाएगी, जिसके तहत अपने काम के लिए अपने घर से बाहर काम पर जाने वाली कोई भी महिला स्थानीय पुलिस स्टेशन में खुद को पंजीकृत करेगी, और उसे उसकी सुरक्षा के लिए ट्रैक किया जाएगा। ऐसी महिलाओं को एक हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया जाएगा, जिससे वे संकट की स्थिति में मदद मांग सकेंगी। सार्वजनिक परिवहन में पैनिक बटन की स्थापना अनिवार्य की जाएगी।
शिवराज सिंह चौहान के ये कदम महिलाओं की सुरक्षा के लिए बताया जा रहा है लेकिन ये प्रस्ताव किस तरह से सही है और कितने सुरक्षित हैं?
क्या गुनहगार हम महिलाएँ हैं जो हमें ट्रैक किया जाये? ज़रा सोचिये अगर आप पर हर वक़्त नज़र रखी जाएं तो आपको कैसा महसूस होगा। क्या ये महिलाओं से उनकी फ़्रीडम छीनने जैसा नहीं होगा। और आखिर हम महिलाऐं हीं क्यों दूसरों की गलती के लिए ख़ुद को नज़रबंद करवाएं? क्यों अपराधियों पर काम करने की बजाय आप महिलाओं को ट्रैक करने का सोच रहे हैं? क्या ये एक बार फिर सारी गलती महिलाओं पर डालने जैसा प्रतीत नहीं हो रहा? और क्या हम कोई चीज़ है जिसे प्रोटेक्ट किया जाए? क्या हम कभी पितृसत्ताम्क सोच से बाहर आ पाएंगे?
और मंत्री जी आपको ऐसा क्यों लगता है कि अगर हम घर से बाहर जाते हैं तो खुद की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हैं? क्या चारदीवारी में होने वाले अपराधों के बारे में आप तक ख़बर नहीं पहुंची है? आपके कानून के हिसाब से काम पर जाने वाली महिलाओं को आप ट्रैक करेंगे तो क्या हम बिना काम के घर से बाहर नहीं जाते हैं? क्यों आज भी महिलाओं को आप आम इंसान की तरह नहीं देख सकते हैं?
इसके अलावा अगर हम अपनी सभी डिटेल्स किसी लोकल पुलिस स्टेशन दे देंगे तो क्या गारंटी है कि हमारी निज़ी जानकारी सुरक्षित है? इसीलिए बेहतर होगा आप ख़ुद को थोड़ा जागरूक करें और महिलाओं की सुरक्षा से पहले अपराधियों पर लगाम कसने के बारे में सोचें। तो सुनिए, महिलाओं को नहीं अपराध करने वालों को ट्रैक करने की ज़रूरत है।
यहां जानिये इस पर अन्य महिलाओं के क्या विचार है।
शिवराज सिंह चौहान के दूसरे प्रस्ताव पर मेरा प्रश्न है कि यदि संविधान में महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बदल दिया जाए तो एक महिला सड़कों और घरों में कैसे सुरक्षित रह सकती है? एक महिला की सुरक्षा को उसकी विवाह योग्यता के साथ क्यों जोड़ा जाता है? कानून तो हमारे पास दहेज़ पर भी है फिर क्यों महिलाएँ इसका शिकार हो रही हैं? क्या आपके कानून से आज बाल विवाह पूरी तरह खत्म हो गए हैं? नहीं न। तो फिर किस तर्क के साथ आपने इसे महिलाओं की सुरक्षा के साथ जोड़ा?
आज भारत में हर एक महिला असुरक्षित है क्योंकि हमारी मानसिकता में पितृसत्ता सोच घुल रखी है जिसे आज भी कई लोग, (खास, कुछ सत्ता में बैठे लोग) बदलना नहीं चाहते हैं। माननीय मंत्री जी के भाषण में ही अगर इस तरह की बातें हैं तो हम उनके द्वारा चलाया जाने वाला ‘सम्मान’ नामक कैंपेन पर कैसे भरोसा करें? इस पूरी प्रणाली में साफ़-साफ़ लूपहोल्स नज़र आ रहे हैं।
तो ऐसे में बेहतर होगा कि आप पहले भारत में महिलाओं को होने वाली समस्याओं के बारे में पता करके आये और फिर उनके लिए प्रणाली लेकर आये।
इन सबके साथ एक और चौकाने वाला बयान आया है जिससे साफ़ पता चल रहा है कि सच में, भारत में कुछ मिनिस्टर्स की सोच आज भी वही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लड़कियों के विवाह की उम्र 21 साल किए जाने की बात का विरोध करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने विवादित बयान दिया।
उन्होंने कहा है कि, ‘जब 15 साल की लड़कियां बच्चे पैदा करने के लायक हो जाती हैं तो फिर शादी क्यों 21 साल में होनी चाहिए? ये मैं नहीं कह रहा हूँ, ये डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार है कि लड़कियां 15 साल की उम्र में एक बच्चे को पालने के लिए उपयुक्त हैं। केवल इसके कारण, एक लड़की को न्यूनतम 18 साल की उम्र में शादी के लिए पर्याप्त परिपक्व माना जाता है। फिर शिवराज सिंह चौहान कौन से वैज्ञानिक या डॉक्टर हो गए हैं?’
इसके खिलाफ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कांग्रेस नेता को नोटिस जारी कर दो दिन के अंदर इस बात का स्पष्टीकरण देने और नाबालिग लड़कियों और कानून के खिलाफ इस तरह का भेदभावपूर्ण बयान देने के अपने इरादे को उचित ठहराने का अनुरोध किया है।
जिस देश में कुर्सी पर बैठे देश के लिए काम करने वालों की सोच इस तरह की है वहां हम क्या उम्मीद रखें?
मूल चित्र : Indian Express, ANI, Twitter
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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