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मां बहुत ही याद आए…

हर पल को सुखद बनाती, हर दर्द को मन में छिपाती। उस कोमल दिल को मैंने मां बनने पर पहचाना, मां की ममता को करीब से जाना। मां बहुत ही याद आए...

हर पल को सुखद बनाती, हर दर्द को मन में छिपाती। उस कोमल दिल को मैंने मां बनने पर पहचाना, मां की ममता को करीब से जाना। मां बहुत ही याद आए…

वो आशा है वो अभिलाषा, वो अपनेपन की परिभाषा,
वो साथ चले मेरे बनके साया, उससे जीवन जगमगाया।

हर दुःख वो सह लेती, आंसू भी वो पी लेती,
जीवन को मधुर बनाती, हर प्यास मेरी बुझाती,
हर पल को सुखद बनाती, हर दर्द को मन में छिपाती।

उस कोमल दिल को मैंने मां बनने पर पहचाना,
मां की ममता को करीब से जाना।

मां बहुत ही याद आए, पर कोई जान न पाए,
मन की वीणा में कहीं, ममता के तार बजे,
हूक-सी उठने लगे जब, आंचल में वो सहलाए।

कर्म की गीता है मां, धर्म की मानस है मां,
ज्ञान की है पाठशाला, स्नेह की सरिता है मां।

मंदिरों की मूर्तियों की, जब कभी मैंने की अर्चना,
मूर्तियों के रूप में ही, मां की दिखे तब वंदना।

मूल चित्र : Sharath Kumar via Pexels

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