कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मेरी ज़िंदगी की पतंग…

मानो जैसे मोहब्बत की हवा में सिमटकर, भरोसे के तेरे माँझे से लिपटकर, मेरी ज़िंदगी की पतंग, तेरे अंगना के आसमाँ में उड़ने चली है।

मानो जैसे मोहब्बत की हवा में सिमटकर, भरोसे के तेरे माँझे से लिपटकर, मेरी ज़िंदगी की पतंग, तेरे अंगना के आसमाँ में उड़ने चली है।

मानो जैसे मोहब्बत की हवा में सिमटकर

भरोसे के तेरे माँझे से लिपटकर,

छोड़ कर अपनी जमीं,

मेरी ज़िंदगी की पतंग,

तेरे अंगना के आसमाँ में उड़ने चली है।

तू चाहे तो ढील दे,

तू चाहे तो खींच ले,

तू चाहे तो छू लूँ,

ख़्वाबों के आसमान को,

कर एतबार तुझ पर,

मेरी पतंग तेरी दुनिया में उड़ने चली है।

ये कैसा अद्भुत संगम है,

बंधन और आज़ादी का,

कुछ घबराई, कुछ इठलाई,

उड़ती फिरूँ मैं तेरे गगन में,

उड़ती फिरूँ मैं तेरे गगन में।

मूल चित्र : Rajibul Islam Mali via Pexels 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

45 Posts | 242,360 Views
All Categories