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पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित रजनी बेक्टर ने अपने घर से ही बिस्किट बनाने का सफर शुरू किया, जो आज क्रीमिका ग्रुप के नाम से मशहूर है।
कहते हैं अगर इंसान के पास कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। संघर्ष कर सफलता प्राप्त करने से कुछ ऐसी ही कहानी है रजनी बेक्टर की जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से ना सिर्फ सफलता के शिखर को छुआ, साथ ही करोड़ों हॉउसवाइफ के लिये भी प्रेरणास्रोत भी बन गई हैं।
आज मैं जिनकी बात कर रही हूँ वो है क्रीमिका ग्रुप की मैनेजिंग डायरेक्टर रजनी बेक्टर जिन्होंने कई चुनौतियो का सामना करते हुए बिज़नेस की दुनिया में कदम रखा और 43 सालों की कड़ी मेहनत के बाद अपने बिज़नेस को एक नई ऊंचाई दी। आज उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि रजनी बेक्टर को देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार पदमश्री से सम्मानित किया गया है।
मेरी नज़र में तो रजनी हर उस महिला के लिये प्रेरणास्रोत है जो अपने जीवन में कुछ बनना चाहती है। बताना चाहूंगी कि पदमश्री से सम्मानित होने वाली रजनी बेक्टर ने अपने घर से ही बिस्किट बनाने का सफर शुरू किया था और अपनी मेहनत से इतने बड़े कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर बन गई हैं।
1940 में रजनी का जन्म अविभाजित भारत के कराची शहर में हुआ था। विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ रजनी भारत आ दिल्ली में बस गईं और अपनी पढ़ाई पूरी कर लुधियाना के एक कारोबारी घर की बहु बन गईं।
रजनी को शुरू से बिस्किट बनाने का शौक था और अपने शौक को ही रजनी ने अपना प्रोफेशन बनाने की ठान ली। वर्ष 1978 में उन्होंने घर से ही काम शुरू किया और अपनी कंपनी का नाम “मिसेस बेक्टर्स फूड स्पेशियलिटीज़” रखा।
आज मिसेस बेक्टर्स का क्रीमिका, नॉन ग्लूकोज, सेगमेंट में उत्तर भारत का प्रमुख बिस्किट ब्रैंड बन चूका है। रजनी बेक्टर की कंपनी से 50 से भी अधिक देशो में बिस्किट, ब्रेड और आइसक्रीम भेजे जाते है जिसका सालाना टर्नओवर 700 करोड़ हो जाता है।
अभी हाल ही में रजनी की कंपनी द्वारा 550 करोड़ रुपये का आईपीओ लॉन्च किया गया जो कुछ दिनों में ही दो गुणा दाम तक पहुंच गया। 31 मार्च 2020 को कंपनी का राजस्व 762 करोड़ रुपये था और कंपनी द्वारा 30 करोड़ रुपय टेक्स भी चुकाया गया। कंपनी की मैनुफक्चरिंग यूनिट पंजाब के अलावा हिमाचल प्रदेश, ग्रेटर नोएडा, खपोली और बंगलुरू में भी है।
रजनी बेक्टर का कहना है कि महिलायें जीवन में ठान लें, तो हर मुश्किल आसान हो जायेगी। रजनी के अनुसार जीवन में संघर्षो से डरना नहीं उसका डट कर सामना करना चाहिये। एक महिला को अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो चुनौतियो का सामना करते हुए, बिना अपनी इच्छा दबाये आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिये।
रजनी कहती हैं कि वो भी एक सामान्य महिला हैं लेकिन कड़ी मेहनत और कुछ सीखने की लगन ने आज उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। रजनी के अनुसार समानता का अधिकार सिर्फ कागजों तक सिमित नहीं रहना चाहिये एक स्त्री पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ साथ अपने सपनों को भी पूरा कर सकती है।
रजनी के शौक ने रजनी को आगे बढ़ने को प्रेरित किया इसमें उनके ससुर और पति का भी विशेष योगदान रहा जिन्होंने रजनी को प्रोत्साहित किया। कई बार कुछ परिवार के सदस्यों द्वारा रजनी का मनोबल गिराने का प्रयास भी हुआ, तो कई बार कुछ अड़चनें और परेशानियाँ भी आयीं, लेकिन रजनी जीवन में किसी का नुकसान किये बगैर आगे बढ़ने को सदा तत्पर रहीं।
पद्मश्री रजनी बेक्टर ने अपने आइसक्रीम और बिस्किट बनाने का काम अपनी रसोई से शुरू किया था और उनके घर में आज भी वो ओवन और आइसक्रीम बनाने की हैंड मशीन है जिसके साथ रजनी ने अपना सफर शुरू किया था। रजनी कहती हैं कि मेरे पुराने बर्तनों से मुझे आज भी पहले दिन की भांति प्यार है। रजनी ने अपने पुरस्कार को उन महिलाओं को समर्पित किया है जो एक अच्छी बहु, पत्नी और माँ बन कर भी समाज में कुछ अलग कर दिखा एक मिसाल बनती है।
आज पद्मश्री रजनी बेक्टर के संघर्ष को सुन विश्वास हो गया कि एक महिला हाउसवाइफ बन कर भी सफलता प्राप्त कर सकती है बस जरुरत है तो आत्मविश्वास की, कड़ी मेहनत की और सच्ची लगन की। रजनी बेक्टर ने अपने घर परिवार की जिम्मेदारियों के साथ साथ अपने सपनों को भी पूरा किया है। वैसे ही अगर एक महिला ठान के तो परिवार की जिम्मेदारियों के साथ अपने सपने भी पूरे कर सकती है।
ये रजनी बेक्टर के असाधारण आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का ही नतीजा है कि उन्हें देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। रजनी बेक्टर को मिला ये सम्मान उनके साथ साथ हर महिला के लिये गर्व की बात है।
मूल चित्र : Cremica
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