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पर-वर कुछ नहीं स्वाति, तुम ये सब मत सोचो बस अपना ध्यान रखो। खाओ-पियो मस्त रहो, राघव ने स्वाति का माथा चूमते हुए कहा।
“राघव मुझे 5000 रुपए चाहिएं”, स्वाति ने राघव के घर आते ही कहा।
“इतने रुपए क्यों चाहिए तुम्हें स्वाति?” राघव ने पूछा।
“असल मे राघव पड़ोस वाली शर्मा ऑन्टी बोल रही थी कि वो एक ऐसी डॉक्टर को जानती हैं जो लिंग परिक्षण करती है। मैं सोच रही हूँ मैं कल ही करवा लूँ जाके जिससे अगर लड़की हो तो हम बच्चा गिरा सकें”, स्वाति ने कहा।
“क्या? तुम पागल हो गई हो स्वाति। एक औरत होकर अजन्मी बच्ची की हत्या करना चाहती हो पर क्यों?” राघव ने गुस्से मे पूछा।
“राघव हमारे एक बेटी पहले ही है। अब मैं चाहती बेटा हो जिससे हमारा परिवार पूरा हो जाए।” स्वाति ने डरते हुए कहा।
“देखो स्वाति ये कहीं नहीं लिखा कि दो बेटियां हो जाये तो परिवार अधूरा रहता है। क्या पहले बेटा होता तो भी बेटी के लिए तुम दूसरे बेटे को जन्म लेने से पहले मार देतीं?” राघव ने सवाल किया।
“पर राघव दो बेटियों का खर्च कैसे उठाएंगे हम लोग। कल को उनकी शादी, दान दहेज़ कैसे होगा सब, बेटा होगा तो वो सहारा ही बनेगा”, स्वाति ने तर्क दिया।
“स्वाति मैं अपनी बेटियों को लायक बनाऊंगा। उन्हें पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बनाऊंगा कि वो हमारा सहारा बनेंगी, बोझ नहीं”, राघव ने स्वाति को समझाया।
“लेकिन राघव?”
“पर-वर कुछ नहीं स्वाति। तुम ये सब मत सोचो बस अपना ध्यान रखो। खाओ-पियो मस्त रहो जिससे जो भी बच्चा पैदा हो वो स्वस्थ हो”, राघव ने स्वाति का माथा चूमते हुए कहा।
“राघव मैं जानती हूँ। मैं सिर्फ आपका मन टटोलना चाहती थी कि कल को दूसरी भी बेटी हो तो आपके दिल में कोई फर्क तो नहीं आयेगा”, स्वाति ने राघव के गले मे बाहें डालते हुए कहा।
“ओह्ह तो मैडम हमे आज़मा रही थी! पगली मेरे लिए तुम और हमारी बेटी ख़ुशी, दुनिया की अनमोल दौलत हो जो दूसरे बच्चे के आने से बढ़ेगी। भले वो बेटी हो या बेटा”, राघव ने कहा।
“वैसे भी मेरी बेटी मेरा गुरूर है”, राघव ने सोती हुई चार साल की ख़ुशी के माथे को चूमते हुए कहा।
नन्ही बच्ची सोते में भी मुस्कुरा दी जैसे पापा को धन्यवाद बोल रही हो।
मूल चित्र : Pexels
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