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मेरी माँ रेड लिपस्टिक लगाना चाहती थी मगर…

कोई कम उम्र की लड़की, बिन ब्याही, या फिर उम्र के 50 वे पायदान पार कर चुकी औरत रेड लिपस्टिक लगाए तो लोग तरह तरह की बातें करते हैं...

कोई कम उम्र की लड़की, बिन ब्याही या फिर उम्र के 50 वे पायदान पार कर चुकी औरत रेड लिपस्टिक लगाए तो लोग तरह तरह की बातें करते हैं…

हमारे पुरूष प्रधान समाज मे अधिकतर सारे नियम महिलाओं के लिए ही बनाया गया है। उनमें से ही एक नियम जो अक्सर कहा जाता है कि हर काम की एक उम्र होती है और जब बात हम औरतों की होती है, तब तो हमारा ये रूढ़िवादी समाज औरतों के बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर उम्र हर मोड़ पर सीमा निर्धारित कर के एक नियम बना देता है।

रेड लिपस्टिक के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हमारे समाज में कोई कम उम्र की लड़की, बिन ब्याही , कुँवारी लड़किया या फिर उम्र के 50 वे पायदान पर कर चुकी औरत रेेड लिपस्टिक लगाए तो लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगते हैं।

ऐसा ही कुछ एक महिला के साथ हुआ

54 वर्षीय महिला को उनके रिश्तेदारों ने सुर्ख रेड लिपस्टिक लगाने पर बुरा-भला कहा। उसे उसकी उम्र का हवाला देकर लिपस्टिक न लगाने की सलाह दी गई। घटना एक पारिवारिक समारोह में घटी। इसमें महिला का बेटा भी मौजूद था। बेटे से अपनी माँ का अपमान देखा सहा नही गया, लेकिन माँ के मना करने से उसने वहां कुछ नहीं कहा।

तब बेटे पुष्पक सेन ने इस अपमान को उन्हें अलग ढंग से समझाने की ठानी। उसने कुछ देर शाम अपना एक फोटो पोस्ट किया। फोटो में वह दाढ़ी, आंखों में काजल और रेड लिपस्टिक लगाए नजर आया। उसके हाथ में वो लिपस्टिक भी थी, जिसे लेकर हंगामा हुआ। युवक ने पोस्ट के साथ पूरा वाकया भी बताया।

युवक ने पोस्ट के साथ पूरा वाकया भी बताया

वे लिखते हैं मेरी मां जो कि 54 साल की है, को हमारे कुछ करीबी रिश्तेदारों द्वारा एक समारोह में लाल लिपस्टिक लगाने के लिए काफी कुछ कहा गया। मेरी मां शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। इसलिए कल मैंने उन सभी को ‘गुड मॉर्निंग, जल्द ठीक हो जाओ’ के साथ यह तस्वीर भेजी।
मुझे सबसे ज्यादा चकित करने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ रिश्तेदारों के बच्चे हैं, जोकि सोशल मीडिया पर काफी जागरूक हैं। तब वे भी वहां मौजूद थे जब यह ‘गॉसिप’ हो रही थी, लेकिन उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा।


वे अपनी पोस्ट में आगे लिखते है यहां मैं हूं, दाढ़ी वाला पूरा चेहरा और लाल लिपस्टिक वाला एक आदमी। यहां मैं सभी माताओं, बहनों, बेटों, गैर-पुरुषों और उन सभी महिलाओं के लिए खड़ा हूं, जिन्हें एक समाज की विषाक्तता के कारण अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ा है। लोग पुष्पक के इस प्रयास को बेहद सराहते हुए नजर आ रहे है।

ये मामला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता का है

इस मामले ने मुझे झकझोर दिया कि आज हम आधुनिकता का राग तो अलापते हैं लेकिन क्या सच में हम अपने विचारों से आधुनिक हो पाए हैं? ये किसने और कब निर्धारित किया कि किस उम्र में रेड लिपिस्टिक लगानी है, महिलाओं को किस उम्र में नहीं, किसने उन्हें ये अधिकार दिया निर्धारित करने का? मैं पुष्पक की खुले दिल से प्रसंसा करती हूँ जो उन्होंने संकीर्ण सोच रखने वाले समाज के वर्ग को झकझोर कर रख दिया

समाज मे व्याप्त ऐसे संकीर्ण मानसिकता के लोगो को समझना चाहिए कोई महिला अपने सौंदर्य प्रसाधन के लिए क्या इस्तेमाल करती है ये उनका निजी निर्णय है। किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि लोग उसके व्यक्गित मामलो की  निंदा या चर्चा  करें। खासकर जब बात महिलाओं के वस्त्र और सौंदर्य की हो तब।

ये कहानी सत्य घटना पर आधारित है। मैं पुष्पक के विचारों का समर्थन करती हूं।

मूल चित्र : Facebook/CanvaPro 

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