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रिश्तों के लिए करनी पड़ती है खुद से बेईमानी

रिश्तों की डोर को बनाए रखने के लिए मन को शांत रखना होता है। खुद की पहचान छिपाए रखना होता है। रिश्तों के लिए खुद से बेईमान होना पड़ता है।

रिश्तों की डोर को बनाए रखने के लिए मन को शांत रखना होता है। खुद की पहचान छिपाए रखना होता है। रिश्तों के लिए खुद से बेईमान होना पड़ता है।

लोगों को सुना है कहते हुए कि
“मन बड़ा चंचल होता है”
पर ऐसा कब होता है?

रिश्तों की डोर को बनाए रखने के लिए
इस मन को ,बड़ा शांत रखना होता है।
खुद की पहचान छिपाए रखना होता है।
इसलिए कहती हूँ, कि खुद से बेइमान होना पड़ता है
रिश्तों से ईमानदार होने के लिए।

रिश्ते सायों की तरह होते हैं
जहां जाओगे, साथ चलेगी
छिपोगे, तब भी दिखेंगी
जैसा करोगे ,वैसा ही करेगी
इसलिए कहती हूँ, कि खुद से बेइमान होना पड़ता है
रिश्तों से ईमानदार होने के लिए।

रिश्तों को निभाने में, कई पैबंद लगाने होते हैं
कतरनों को ,औरों की नज़र से बचाने होते हैं।
संबंधों में ख़ुशबू, कसाव पैदा करने होते हैं
और इसलिए यह कहती हूँ, कि खुद से बेइमान होना पड़ता हैं
रिश्तों से ईमानदार होने के लिए।

मूल चित्र: Bulbul Ahmed via Unsplash 

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