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अगर बेटी कहे, "माँ मुझे किसी ने छुआ, मुझे कुछ अजीब सा हुआ", तब उसको बातों में हम ना बहलाएँ। सही-गलत उसे का फर्क समझाएँ।
अगर बेटी कहे, “माँ मुझे किसी ने छुआ, मुझे कुछ अजीब सा हुआ”, तब उसको बातों में हम ना बहलाएँ। सही-गलत उसे का फर्क समझाएँ।
दृश्य: दो सहेलियां आपस में बात करके अपना दुख सुख बांट रही हैं। पहली सहेली: बोलो ना सखी समाज से कैसे लड़े, किस किस बात पर हम शर्म करें? कैसे किसी को कोई बात बताएं, सही गलत का भेद कैसे समझाएँ? दूसरी सहेली: चलो सखी एक छोटी सी शुरुआत की जाए, जहां गलती नहीं हमारी वहां शर्म का त्याग किया जाए।
अगर बेटी कहे “माँ मुझे किसी ने छुआ, मुझे कुछ अजीब सा हुआ”, तब उसको बातों में हम ना बहलाएँ सही-गलत उसे का फर्क समझाएँ। बिटिया को अपनी हिम्मत दिलाएँ, और सबसे लड़ सके वो उसको इतनी ताकतवर बनाएँ।
जब कोई भी ये कहे कि “उन दिनों” में अचार को ना छूना, बिस्तर पे ना सोना, रसोई में ना जाना और पूजा मत करना, तब उसकी दकियानूसी सोच से हम लड़ जाएँ, और कुछ भी ऐसा ना करके हम इन ढकोसलों को मिटाएँ।
चलो सखी एक छोटी सी शुरुआत की जाए, जहां गलती नहीं हमारी वहां शर्म का त्याग किया जाए।
मूल चित्र: LazyArtistGallery via Unsplash
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